Hinglaj Mata Mandir Baluchistan...

हमनें हमारें पिछले लेखों के माध्यम से बहुत से प्राचीन माता मंदिरों के बारें में विस्तृत रूप से जाना हैं जैसे कि- शिलादेवी मंदिर आमेर, कनक दुर्गा मंदिर, विंध्याचल माता मंदिर, ज्वाला माता मंदिर, मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर आदि के माध्यम से आपको अवगत करवाया। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए आज हम हिंगलाज माता मंदिर के बारें में आपको बतानें जा रहें हैं।

Hinglaj Mata Mandir Baluchistan

Hinglaj Mata Mandir Baluchistan: यहां मां सती का शीश गिरा...

Hinglaj Mata Mandir Baluchistan: हिंगलाज माता का ये मंदिर हिन्दू सनातन धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। यहां माता सती का शीश गिरा था। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान शहर के हिंगलाज में हिंगोली नदी के तट पर स्थित हैं। यहां माता को अनेकों नामों से जाना जाता हैं जैसे कि - हिंगुला देवी या नानी मंदिर आदि.ऐसा माना जाता हैं यहां हिंगोली नदी के तट पर "किर्थर पवर्त" की गुफा में माता सती का शीश गिरा था अब यहीं हिंगलाज माता मंदिर हैं इस मंदिर कि विशेषता ये हैं कि यहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के श्रृद्धालु शीश नवाते हैं। 
हिंगलाज देवी Hinglaj Mata को नाथ संप्रदाय की कुलदेवी भी माना जाता हैं। नोट- हिंगलाज माता काठियावाड़ के राजा की कुलदेवी थी। कालांतर में राजा के वंशजों को जीविकोपार्जन के लिए मप्र के छिंदवाड़ा में आना पड़ा। वे अपने साथ हिंगलाज माता की प्रतिमा भी ले अाएं और छिंदवाड़ा में एक कोल माइन के पास इसे स्थापित किया गया। यहां हिंगलाज माता पूजी जानें लगी। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान स्थित दो शक्तिपीठों में हैं, दूसरा शक्तिपीठ कराची के निकट शिवहरकराय हैं। इसे करवीपुर के नाम से ही जाना जाता हैं। यहां माता का तीसरा नेत्र गिरा था।

1. श्रीराम से संबंधित कथा:-

Hinglaj Mata Mandir Baluchistan: माना जाता हैं कि- रावण का वध करने के बाद "ऋषि कुम्भोदर" ने भगवान राम को पाप मुक्ति के लिए हिंगलाज माता पाकिस्तान के दर्शन के लिए कहा था। सीताजी, लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ दर्शन को गयें । किंवदंती हैं कि माता की सेना ने राम जी की सेना सहित रोक दिया था। पूछने पर माता ने कहा- वे तीर्थयात्री की भांति आयें इसके बाद माता उन्हें सभी पापों से मुक्ति प्रदान करती हैं। हिंगलाज मंदिर पहुंचना अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन माना जाता हैं। रास्ते में हजार फीट ऊंचे-ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला रेगिस्तान, जंगली जानवर वाले घने जंगल और ऊंचा मंड ज्वालामुखी पड़ता हैं यहां अकेले यात्रा की मनाही हैं इसलिए आमतौर पर यहां श्रद्धालु ग्रुप में जातें हैं। यहां सड़क मार्ग बनने से पहले 200 किमी की यात्रा पैदल करनी पड़ती थी जिसमें दो से तीन माह का समय लगता था।

नोटः- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION- आज हमनें हमारें लेंख- Hinglaj Mata Mandir Baluchistan: के माध्यम से आपको हिंगलाज माता मंदिर के बारें में जानकारी उपलब्ध करवाई आशा करते हैं कि आपको ये लेख पसंद आयेगा धन्यवाद।

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