लम्बोदर भगवान गणेश का प्रिये नाम हैं, गणेश भगवान शिव व पार्वती के पुत्र हैं। गणेश रिद्धि- सिद्धि, वैभव, सुख और समृद्धि के देवता हैं। पुराणों के अनुसार- भगवान श्री गणेश के स्वरूप का ध्यान करनें मात्र से ही सारे विध्नों का अंत होता हैं इसीलिए भगवान गणेश को "विध्न विनाशक" भी कहते हैं। सनातन धर्मग्रंथों में भगवान श्री गणेश के स्वरूप की कईं स्थानों पर व्याख्या हैं। इन व्याख्याओं में बताया गया हैं कि- श्री गणेश और उनके स्वरूप में कौन-कौन सी विशेष बातें हैं ? जिन्हें मनुष्यों को अपनाना चाहियें। गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के इस पावन सप्ताह में हम आपको बतानें जा रहें हैं। भगवान श्री गणेश जी के पावन स्वरूप की कुछ ऐसी ही बातें हमारे इस लेख- Lambodar Ke Svaroop: लम्बोदर के स्वरूप के माध्यम से-
Lambodar Ke Svaroop: लम्बोदर के स्वरूप में छिपे हैं, वैभव और सुख- समृद्धि के सूत्र...
Lambodar Ke Svaroop: हम आपको बताते चलें कि इस वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी 07 सितंबर को मनाईं जायेगी इसके बारें में हमनें हमारें पिछले लेख
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी 2024 के माध्यम से दिनांक, शुभ-मुहूर्त और महत्व के बारें में सम्पूर्ण जानकारियां आपको उपलब्ध करवाई हैं। प्रकृति की सभी शक्तियां गजानन में समाहित हैं। "श्री गणेश प्रथम पूज्य" हैं इनकी घर में स्थापना करनें से "सकारात्मक उर्जा" का प्रवाह होता हैं, लम्बोदर के स्वरूप में छिपे हैं "वैभव और सुख-समृद्धि" के सूत्र तो आयें जानेतें हैं इनके बारे में -
1. गज मस्तक Gaj Mastak:-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश को गजानन इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि इनका मुख गज का हैं यानी जिनका मुख गज अर्थात हाथी के समान हैं। श्री गणेश के बड़े सिर से यह शिक्षा मिलती हैं कि व्यक्ति को हमेशा बड़ा सोचना चाहिए तभी उसके कर्म भी बड़े होंगे। भगवान श्री गणेश "कुशाग्र बुद्धि" के प्रतीक हैं। गणपति अधिकतर वाद-विवाद और युद्ध बुध्दि की वजह से जीते अतः जीवन में सदैव सोच समझकर ही फैसला ले।
2. छोटे नेत्र Chhote Netr:-
Lambodar Ke Svaroop: गज मस्तक होने के कारण भगवान श्री गणेश के नेत्र छोटे हैं, तीक्ष्ण दृष्टि होने के कारण अंधकार में भी देखने की क्षमता हैं। छोटे नेत्र लक्ष्य में "पैनी नजर" और "एकाग्रता" का प्रतीक हैं इसे हमें हमेशा सचेत रहने की सीख मिलती हैं।
3. एकदंत Ekadant:-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश का एक दांत टूटा हैं इसलिए श्री गणेश को "एकदंत" भी कहा जाता हैं। एकदंत श्री गणेश के त्याग का प्रतीक हैं साथ ही इससे सीमित संसाधनों का पूरा उपयोग करनें की सीख मिलती हैं जैसे कि श्री गणेश ने टूट दांत से "महाभारत ग्रंथ" लिख दिया। एकदंत का बहुत सीधा सा मतलब हैं कि व्यक्ति को हमेशा अच्छे गुणों को अपने पास रखना चाहिए और अनावश्यक व दुर्गुणों को खुद से दूर कर देना चाहिए।
4. बड़े कान Bade Kaan:-
Lambodar Ke Svaroop: बड़े कान होंने के कारण भगवान श्री गणेश "शूपकर्ण" कहलाते हैं। इसका अर्थ हैं कि व्यक्ति को सबकी सुननी चाहिए फिर गम्भीरता से विचार कर कार्य करना चाहिए। ध्यान से सुनीं गई हर बात पर अमल करना और उसे समझना आसान हो जाता हैं।
5. बड़ी नाक (सूंड) Badee Naak (Soond):-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश के गज स्वरूप में सूंड का अर्थ हैं कि- "क्षमता और किसी को अपनाने की इच्छाशक्ति व्यक्ति में होनी चाहिए", जिसमें ये गुण नहीं होते वे व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। बड़ी नाक से अभिप्राय समझदार व्यक्ति आस-पास के माहौल को पहले ही भांप लेता हैं। इसे विपत्ति को पहचानने का प्रतीक माना जा सकता हैं।
6. लंबोदर Lambodar:-
Lambodar Ke Svaroop: लंबे उदर (पेट) के कारण भगवान श्री गणेश का एक नाम "लंबोदर" भी हैं। ये सभी अच्छी और बुरी बातों को पचा लेते हैं साथ ही बड़ा पेट "समृद्धि" का भी प्रतीक हैं। अर्थात- "भगवान श्री गणेश का बड़ा पेट शांतिपूर्वक जिंदगी की अच्छे और बुरे अनुभवों को पचाने का संकेत हैं"।
7. स्वर्ण आभूषण Svarn Aabhooshan:-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश के स्वर्ण आभूषण व्यक्ति की "समृद्धि और सौंदर्य" का प्रतीक हैं, "आर्थिक सुरक्षा के साथ व्यक्ति के सौभाग्य और समाज में प्रतिष्ठा का भी परिचायक हैं"। विपरीत परिस्थिति में व्यक्ति को आर्थिक संकट से उबारने में सक्षम होने के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता हैं।
8. अंकुश Ankush:-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश एक हाथ में अंकुश धारण किये हुए हैं। "जो कि नियंत्रण का प्रतीक हैं" और "साथ ही साथ जागृत होने का भी प्रतीक हैं"। आंतरिक बुराइयों के साथ ही तरक्की के लिये मन की चंचलता पर अंकुश की जरूरत होती हैं। भगवान श्री गणेश अंकुश के माध्यम से व्यक्ति को ये ज्ञान देते हैं।
9. मूषक वाहन Mooshak Vaahan:-
Lambodar Ke Svaroop: भगवान श्री गणेश का मूषक वाहन व्यक्ति को ये संदेश देता हैं। "शत्रु को अपने वश में करने के साथ ही सूझबूझ से मुश्किल हालात को संभालना भगवान श्री गणेश के मन के हर कोने तक पहुंचने की इच्छा और क्षमता को दर्शाता हैं"। मूषक भगवान श्री गणेश का वाहन हैं और श्री गणेश के स्वरूप में अवश्य दिखाई देता हैं। मूषक का तात्पर्य- एक सच्चे सेवक से हैं। एक ऐसा वाहन जिस पर आप हावी रहें ना की वाहक आप पर हावी हो जायें।
10. मोदक प्रसाद Modak Prasaad:-
Lambodar Ke Svaroop: "भगवान श्री गणेश को नैवेद्य में मोदक अत्यंत प्रिय हैं"। सनातन संस्कृति में किसी भी पूजा में नैवेद्य में मोदक अर्पित करना श्रेष्ठ माना जाता हैं "मोदक साधना का फल हैं जिसका अर्थ मेहनत से पाई सफलता हैं"। "मोदक व्यक्ति के कठिन परिश्रम के पुरस्कार को दर्शाता हैं"।
नोटः- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
CONCLUSION - आज हमनें हमारें लेंख- Lambodar Ka Svaroop: लम्बोदर का स्वरूप के माध्यम से जाना कि भगवान श्री गणेश जिन विशेष वस्तुओं को धारण करते हैं उन वस्तुओं से व्यक्ति को समय समय पर सीखना चाहिए कि भगवान श्री गणेश ने इन वस्तुओं को क्यों अपना रखा हैं।
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