Chaitra navratri 2024: चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्तं, समय, पूजा विधि व महत्व के बारें में...

आज हम हमारे लेख- Chaitra Navratri 2024:चैत्र नवरात्रि के माध्यम से घट स्थापना के मुहूर्त के बारे में जानेगें- हिन्दू धर्म में नवरात्रि माँ दुर्गा को समर्पित एक पर्व हैं नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों "उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:"।। अर्थ - पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं-

चैत्र नवरात्र में माँ दुर्गा का आगमन अश्व पर व प्रस्थान हाथी पर होगा दुर्गा पाठ व रामचरितमानस का पाठ विशेष फलदायी रहेगा। माँ दुर्गा के नौ रूप हैं। इन रूपों का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती हैं, साथ-साथ सुख और शांति के लियें माँ दुर्गा का व्रत भी किया जाता हैं।

Chaitra navratri 2024:

Chaitra navratri 2024: चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्तं, समय, पूजा विधि व महत्व के बारें में...

Chaitra Navratri 2024: 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी, कलश स्थापना के लियें 09 अप्रैल को प्रातः 06 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट तक का शुभ मुहूर्त रहेगा।हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा का नौ अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक लोग उपवास रखते हैं। सालभर में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि, एक शारदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि होती है। आइए जानते हैं इस साल कब से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही हैं, कलश स्थापना का मुहूर्त क्या होगा और महत्व के बारे में।

Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा का नौ अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक लोग  उपवास रखते हैं। सालभर में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि, 1 शारदीय नवरात्रि और 1 चैत्र नवरात्रि होती हैं। तो आयें जानते हैं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही हैं, घट स्थापना का क्या मुहूर्तं हैं, इसके महत्व के बारे में और घट स्थापना में किन बातों का रखें ध्यान तो आयें आपको बताते हैं इस लेख के माध्यम से-

                  चैत्र नवरात्रि मुहूर्त एवं समय Chaitra Navratri 2024

दिनांक

कलश स्थापना

नक्षत्र

मुहूर्त / वार

देवी / माँ

09 अप्रैल 2024

प्रात:06:11 मि.से 10:23 मि. तक

दोपहर 12:03 मिनट से 12:54 मिनट तक

रेवती  7-32

शुभ मुहूर्त/


अभिजीत मुहूर्त/ मंगलवार

शैलपुत्री

10 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

भरणी 27-05

शुभ मुहूर्त बुधवार

ब्रह्मचारिणी

11 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

कृत्तिका 25-38

शुभ मुहूर्त गुरूवार

चंद्रघंटा

12 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

रोहिणी 24-51

शुभ मुहूर्त शुक्रवार

कूष्मांडा

13 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

मृगशिर 24-49

शुभ मुहूर्त शनिवार

स्कंध माता

14 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

आर्द्रा 25-35

अभिजीत रविवार

कात्यायिनी

15 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

पुनर्वसु 27-05

अभिजीत सोमवार

कालरात्रि

16 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

पुष्य 29-16

अभिजीत मंगलवार

महागौरी

17 अप्रैल 2024

प्रात: सुविधानुसार

अश्लेषा 31-56/ पुनर्वसु 27-05

शुभ मुहूर्त बुधवार रामनवमी

सिद्धिदात्री 

1. चैत्र नवरात्र का प्रारंभ Beginning of Chaitra Navratri:- 

Chaitra navratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल की रात को 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो जाएगी जिसका समापन 9 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट होगा। उदया तिथि के आधार पर चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से शुरू होगी। 

2. चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का मुहूर्तं Chaitra Navratri auspicious time for setting up Kalash:-

Chaitra navratri 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी। कलश स्थापना के लियें 9 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट तक का शुभ मुहूर्तं रहेगा। वहीं अगर 9 अप्रैल के अभिजीत मुहूर्तं की बात करें तो इस दिन दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्तं में किस भी तरह कोई शुभ कार्य किया जा सकता हैं।

इस बार चैत्र नवरात्रि पर माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आयेगी। मंगलवार को चैत्र नवरात्रि शुरू होने के कारण माँ का वाहन अश्व होगा "माता का वाहन नवरत्रि के आरंभ होने वाले वार से तय होता हैं" नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लियें कुछ नियम होते हैं साथ ही इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका पसंदीदा भोग लगाकर माँ का आशीर्वाद पाया जा सकता हैं।

3. नवरात्रि पूजा का महत्व Importance of Navratri Puja:-

Chaitra navratri 2024: नवरात्रि के नौ दिन पूजा का महत्व इस प्रकार से हैं। प्रथम दिन-कलश स्थापना के साथ ही प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती हैं। माना जाता हैं कि- माता शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं इसीलियें इनको सफेद रंग बेहद प्रिय हैं। दूसरा दिन-दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी का दिन हैं और माता ब्रह्मचारिणी के पूजन-अर्चना से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ने लगता हैं। तीसरा दिन-तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं और कहा जाता हैं कि माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से मानव सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाते हैं।

चौथा दिन-नवरात्र के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती हैं और माता को मालपुए का भोग लगाया जाता हैं। पांचवा दिन-पांचवें दिन दुर्गाजी के पंचम स्वरुप माता स्कंदमाता की पूजा की जाती हैं और माता को केले का भोग चढ़ाया जाता हैं। छठा दिन-नवरात्रि के छठें दिन देवी के षष्टम रूप माता कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती हैं।

सातवां दिन-नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती हैं और माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश करने वाली होती हैं। आठवां दिन-नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा अर्चना का विधान हैं। महागौरी की पूजा करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, घर में सुख-समृद्धि आने लगती हैं। नवां दिन-नवरात्रि का नौवां दिन माता सिद्धिदात्री का हैं। मान्यता हैं- इस दिन भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

विशेष:- नवरात्र की मंगलवार से शुरूआत व समापन बुधवार को होगा। इस दिन गुडी पड़‌वा पर्व भी रहेगा। 9 से 13 अप्रैल तक खरमास  के चलते मांगलिक कार्यों पर रोक रहेंगी माता के अलग-अलग रूपों की पूजा से मन में ऊर्जा के संचार के साथ ही आत्मिक शांति भी मिलती हैं। ज्योतिषाचार्य- गुरु राघवेन्द्र चौरसिया

4. घट स्थापना से पहले ध्यान रखने योग्य बातें Things to keep in mind before ghat sthaapana:-

1. अभिजीत मुहूर्तं में कलश स्थापना या घट स्थापना करना शुभ माना गया हैं। 2. इस समय वैघृत योग और अश्विनी नक्षत्र का भी संयोग रहने से नवरात्रि पूजा के लियें संकल्प लेना घटस्थापना, अखंड दीपक का संकल्प लेना आदि कर्म करना उत्तम और शुभ फलदायी होगा। 3. शास्त्रों के अनुसार- कलश स्थापना या घटस्थापना  हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहियें। नोट- पूजा के लियें लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

4. कलश स्थापना या घट स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ध्यान रखें- कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहियें। 5. कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाईं कर लें और उस स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें। 6. कलश स्थापना के लियें चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनायें। 

7. कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगा जल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें। 8. लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेट कर कलश के ऊपर रख दें। 9. सिंदूर से कलश पर स्वास्तिक बनायें । 10. कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें। 11. पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्तं, समय, पूजा विधि व महत्व के बारें में के माध्यम से जाना कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही हैं? घट स्थापना का मुहूर्तं क्या हैं? इसके महत्व के बारे में और घट स्थापना में किन बातों का रखें ध्यान इन सभी विषयों के बारें में आपको जानकारी उपलब्ध करवाईं। 

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