Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam...

हमनें हमारें पिछले लेखों के माध्यम से भारत के आन्ध्रप्रदेश के बहुत से प्राचीन मन्दिरों के बारें में विस्तृत रूप से आप सभी को अवगत करवाया इसी क्रम को आगें बढ़ाते हुए आज हम आपको आन्ध्रप्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: दक्षिण का कैलाश- आन्ध्रप्रदेश मन्दिर के बारें में बताने जा रहें हैं। 

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam :दक्षिण का कैलाश- आन्ध्रप्रदेश...

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश के दक्षिण भाग में "श्रीशैलम पर्वत" पर "कृष्णा नदी" के तट पर स्थित एक सनातनी मन्दिर हैं। आन्ध्र प्रदेश के इस धार्मिक दर्शनीय मन्दिर को "दक्षिण के कैलाश" के नाम से भी जाना जाता हैं। ईश्वर शिव के द्वावादशं ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग हैं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मन्दिर के मुख्य देवता माता पार्वती "मलिक" और ईश्वर शिव "अर्जुन" हैं। इस मन्दिर को सनातन धर्म और संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता हैं। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां खींचें चलें आते हैं और अपने आराध्य देव के दर्शन पा कर अपने आप को धन्य समझते हैं। यदि आप इस पावन धाम के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें -

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर की कथा का विवरण स्कंद पुराण में "श्री शैल काण्ड" नाम का एक अध्याय हैं इसमें इस मन्दिर का विवरण हैं इससे मन्दिर की प्राचीनत का पता चलता हैं। तमिल संतों ने भी पुरातनकाल से ही इसकी स्तुति का गान किया हैं। "आदि शंकराचार्य" ने जब इस मन्दिर की यात्रा कि तब ही आदि शंकराचार्य ने शिवानन्द लहरी की रचना की इस मन्दिर का विवरण हिन्दू पुराणों और महाभारत ग्रंथ में भी बताया गया हैं जिसे मन्दिर की प्राचीनता का पता चलता हैं। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर परिसर लगभग 2 हेक्टेयर भूमि पर बना हुआ हैं इसमें चार मुख्य गेट या गेटवे टावर हैं जिन्हें गोपुरम भी कहा जाता हैं। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मन्दिर परिसर में अनेकों मन्दिर भी बने हैं जिनमें "मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा" ही सबसे प्रमुख मन्दिर हैं। नोट- यहाँ सबसे देखने लायक या उल्लेख करने लायक विजयनगर काल के दौरान बनाया गया मुख मंडप हैं यूँ तो मन्दिर के केंद्र में कई मंडपम स्तंभ हैं और जिसमें "नादिकेश्वरा" की एक विशाल दर्शनीय मूर्ति हैं।

1. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की वास्तुस्थिति Architectural location of Mallikarjuna Jyotirlinga:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर भारत में स्थित राज्य आन्ध्रप्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित हैं इसी जिले में श्रीशैलम मण्डल का मुख्यालय भी स्थित हैं। श्रीशैलम मन्दिर हैदराबाद से तकरीबन 232 कि. मी दक्षिण में कृष्णा नदी के पास नल्लमला पहाड़ीयों में स्थित हैं। आन्ध्रप्रदेश के इस दर्शनीय मन्दिर को "दक्षिण के कैलाश" के नाम से भी जाना जाता हैं। ये मन्दिर भगवान शिव को समर्पित एक सनातनी हिन्दू मन्दिर हैं। ये एक भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक हैं ये स्थान भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग में से दूसरे नम्बर का जयोतिर्लिंग हैं। ये ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं- (सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशीविश्वनाथ, त्र्यम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुश्मेश्वर) मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर के मुख्य देवता मलिका- माँ पार्वती और अर्जुन- भगवान शिव हैं। श्रीशैलम मन्दिर हिन्दू धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। इस मन्दिर में विश्व भर से शिव भक्त अपने आराध्य देव परमपिता शिव के दर्शन करने आते हैं।

2. क्या मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर एक शक्तिपीठ भी हैं Is Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam Temple Also a Shaktipeeth

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: शक्तिपीठ वह स्थान होता हैं जहाँ माता सती के अवशेष गिरे थे। पौराणिक कथनानुसार- माता सती के पिता राजा दक्ष ने अपने आपको सबसे शक्तिशाली घोषित करने के लिए एक यक्ष करवाया जिसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया किन्तु अपने जामाता ईश्वर शिव को आमंत्रित नहीं किया इस बात का अपमान न सहपाने की वजह से माता सती ने उसी हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया तब भगवान शिव ने देवी सती के जलते देह को लेकर तांडव किया इसे सारी श्रृष्टि हिल गई तब सभी देवतागण भगवान विष्णु के पास पहुंचे और इस श्रृष्टि को बचाने के लिये भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया जिसे माता सती के अंग कटने लगे इनी अंगो में से माता सती का ऊपरी होठ यहाँ गिरने के परिणाम हैं इस तरह श्री शैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मन्दिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता हैं। 

3. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर की कथा Story Of Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam Temple:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: शिवपुराण के अनुसार- श्रीशैलम मल्लिकार्जुन श्रीशैलम मन्दिर की कथा  ईश्वर शिव के परिवार से जुडी हुईं हैं। माना जाता हैं- शंकर भगवान के छोटे पुत्र गणेश जी कार्तिकेय से पहले विवाह करना चाहते थे। इसी बात पर भोलेनाथ और माता पार्वती ने इस समस्या को सुलझाने के लियें अपने दोनों पुत्रों के समक्ष यह शर्त रखी की जो भी पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लोटेगा उसका विवाह पहले होगा। यह सुनकर कार्तिकेय ने परिक्रमा शुरू कर दी किन्तु गणेश जी बुद्धि से तेज थे उन्होंने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा करके उन्हें पृथ्वी के सामान बताया। जब यह समाचार कार्तिकेय को पता चला तो वह नाराज होकर क्रंच पर्वत पर चले गयें। उन्हें मनाने के सारे प्रयास जब असफल हुए तो देवी पर्वती उन्हें लेने गईं लेकिन वह उन्हें देखकर वह से पलायन कर गए। इस बात से हतास होकर पार्वती जी वही बैठ गईं और भगवान भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए इस कारण यह स्थान श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मन्दिर के रूप में दर्शनीय हुआ। 

4. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर के पास स्थित पर्यटन स्थल Tourist Place Near Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam Temple:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: जब भी आप मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम के दर्शन करने जायें तो वहां स्थित इन पर्यटन स्थलों पर भी घूमने जा सकते हैं जो कि बहुत ही आकर्षण का केंद्र हैं उनमें से कुछ पर्यटन स्थल जो कि निम्न प्रकार से हैं जिन्हें आप घूम सकते हैं- 1. हाटकेश्वर मन्दिर श्रीशैलम, 2. चेंचू लक्ष्मी म्यूजियम श्री शैलम, 3. साक्षी गणपति मन्दिर श्रीशैलम, 4. शिखरेश्वर मन्दिर श्रीशैलम, 5. लिंगाला गट्टु मन्दिर श्रीशैलम, 6. श्री शैलम बांध, 7. श्रीशैलम टाइगर रिजर्व श्री श्रीशैलम, 8. श्रीशैलम पातालगंगा, 9. श्री ब्रह्ममराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मन्दिर, 10. अक्क महादेवी गुफाएँ, 11. हेमरेड्डी मल्लम्म मन्दिर श्री श्रीशैलम और 12. श्रीशैलम शाॅपिंग बाजार

5. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम का स्थानीय स्वादिष्ट भोजन Local Delicious Food Of Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर के आसपास शाकाहारी भोजन ही एकमात्र विकल्प हैं यहाँ पर पर्यटकों के लियें ज्यादा विकल्प नहीं हैं किन्तु दक्षिण भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता हैं। 

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam

6. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम में कहाँ रुका जायें Where To Stay In Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: यदि आप मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम की यात्रा पर जा रहें हैं और वहाँ आप रूकना चहाते हैं तो आपके लियें लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जायेंगे। होटल का चुनाव आप अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लियें कुछ निम्न होटल- सूरज होटल, होटल सूरज ग्रैंड, श्री लक्ष्मी गणेश होटल, होटल तेजस्वी, और शोभा होटल जिन्हें आप आॅफ लाईन ही बुक करें। 

7. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर कैसे पंहुचे How to reach Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam Temple:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर तक आप आसानी से पंहुच सकते हैं फ्लाईट, रेल और बस से आसानी से यहाँ पहुँच जा सकता हैं।

1. फ्लाईट:- यदि आपने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर जानें के लियें हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम के लियें सीधे उड़ान हैं लेकिन उड़ाने नियमित नहीं हैं। श्रीशैलम में अपना कोई हवाई अड्डा नहीं हैं और सबसे करीबी हवाई अड्डा बेगमपेट हैं। यहाँ से आप स्थानीय साधनों की मदद से  मल्लिकार्जुन श्रीशैलम पंहुच सकते हैं। 2 रेलवे:- यदि आपने अपनी यात्रा के लिये रेलवे की सुविधा प्राप्त कि हैं तो हम आपको बता दे कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम का कोई रेलवे स्टेशन नहीं हैं यहाँ का नजदीक रेलवे स्टेशन मलकापुर रेलवे स्टेशन हैं यहाँ पर पंहुच कर आप स्थानीय साधनों के माध्यम से मल्लिकार्जुन श्रीशैलम मन्दिर तक आसानी से पंहुच सकते हैं। 3 बस:- यदि आपने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर तक आनें के लियें सड़क मार्ग का चयन किया हैं तो आप यहाँ बहुत ही आसानी से पंहुच सकते हैं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर सड़क मार्ग के जरिए बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हैं। 

8. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर के अनुष्ठान Rituals Of Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam Temple:-

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर में सदियों पुरानी अनुष्ठानों की एक समृद्ध श्रृंखला हैं जिस परम्परा को आज भी सम्पूर्ण रूप से जारी रखा गया हैं, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को ओर भी मजबूत करता हैं। ये अनुष्ठान न केवल गहरा आध्यात्मिक महत्व रखते हैं बल्कि भक्तों के बीच समुदाय की भावना भी पैदा करते हैं। ये अनुष्ठान हैं- सुप्रभातम्, अभिषेक, अलंकार (सजावट) रुद्राभिषेकम्, महाशिवरात्रि उत्सव, ध्वजारोहणम्, दीपोत्सवम (रोशनी का त्योहार), नित्य कल्याणोत्सवम्, प्रदोष पूजा और अन्नदानम। मन्दिर आमतौर पर सुबह 4:30 बजे खुलता हैं। शुरुआती घंटे भक्तों को प्रार्थना और पूजा के साथ अपना दिन शुरू करने के लिए एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करते हैं प्रातःकाल भगवान का दर्शन अत्यधिक शुभ माना जाता हैं। दिन के अंतिम दर्शन की अनुमति लगभग 9:00 बजे तक हैं। फिर मंदिर रात के लिए बंद हो जाता हैं जो दैनिक पूजा कार्यक्रम के अंत का प्रतीक हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर हर सनातनी हिंदू के आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में अड़िग खड़ा हैं, जो दिव्य आशीर्वाद चाहने वाले तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करता हैं।  सावधानी पूर्वक आयोजित अनुष्ठान और विशिष्ट समय का पालन भक्ति और अनुशासन का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण बनाता हैं। चाहे वे सुप्रभातम् के अन्तर्गत गूंजने वाले मंत्र हो या प्रमुख समारोहों में होने वाले जीवंत उत्सव मन्दिर आने वाले सभी भक्तों के लियें एक परिवर्तनकारी अनुभव प्रदान करता हैं। अंत में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मन्दिर का समय और अनुष्ठान अपने भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा के लियें एक रोडमैप प्रदान करते हैं। यह सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं हैं बल्कि भगवान मल्लिकार्जुन का सम्मान करने वाले लोगों की स्थायी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवित प्रमाण हैं। चूंकि मन्दिर समय की कसौटी पर खरा उतर रहा हैं इसके अनुष्ठान और समय नश्वर और परमात्मा के बीच एक शाश्वत संबंध बनाये हुए हैं जो सभी को भक्ति की पवित्रता में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: दक्षिण का कैलाश- आन्ध्रप्रदेश के माध्यम से बताया की इस मन्दिर की वास्तु स्थिति क्या हैं, पूर्ण मन्दिर का विवरण, क्या ये एक शक्तिपीठ भी हैं, मन्दिर के बारें में प्रचलित कथा क्या हैं, इस मन्दिर के पास कौन कौन से पर्यटन स्थल हैं, यहाँ का स्वाद क्या हैं साथ साथ ये भी बताया की यहाँ आसानी से कैसे पंहुचा जाये, यहाँ कौन कौन सी पूजा होती हैं उनका समय क्या हैं के बारें में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाईं।

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