Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

हमनेें हमारें पिछले लेखों में भारत के प्रसिद्ध मन्दिर के बारे में बहुत से लेखों के माध्यम से आपको जानकारियां उपलब्ध करवाई इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए आज हम राजस्थान के एक सुप्रसिद्ध मन्दिर के बारे में आपको जानकारी उपलब्ध करा रहें हैं हमारे लेख का शीर्षक हैं- Khatu Shyam ji ki Katha खाटू श्याम जी की कथा खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से हैं और राजस्थान के जयपुर शहर से 80 कि. मी दूर रींगस के पास खाटू नामक कस्बे में श्री खाटू श्याम जी का विश्व प्रसिद्ध मन्दिर हैं। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार- खाटू श्याम जी श्री कृष्ण के ही अवतार हैं। खाटू श्याम जी "लखदातार" के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। खाटू श्याम जी के लाखों की संख्या में भक्तजन दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। आयें जानेतें हैं- खाटू श्याम जी की कहानी और उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प रहस्यों के बारे में अपने इस लेख के माध्यम से -

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

Khatu Shyam Ji Ki Katha: खाटू श्याम जी या खाटू नरेश का विश्व प्रसिद्ध मन्दिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 80 कि. मी दूर सीकर जिले के खाटू नामक गांव में हैं। यहां सड़क मार्ग और रेलमार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता हैं। मूलतः खाटू श्याम मन्दिर का निर्माण 980 वर्ष पूर्व किया गया था। श्रीमती नर्मदा कंवर और उनके पति श्री रूप सिंह चौहान द्वारा किया गया था। इस मन्दिर का समय समय पर जीर्णोद्धार भी होता रहा हैं। वर्तमान समय में भक्तों की अपार श्रद्धा होंने के कारण मन्दिर को और विस्तृत किया गया हैं। मुख्य रूप इसका जीर्णोद्धार जोधपुर नरेश के आदेश पर उनके दीवान अभय सिंह ने अपनी देख-रेख में करवाया था।

1. खाटू श्याम जी की कथा Khatu Shyam Ji Ki Katha: -

Khatu Shyam Ji Ki Katha: वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे "घटोखा" कहा जाता था। घटोखा से "बर्बरीक" नाम से पुत्र हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरफ हैं तो उन्होंने कहा था कि- वो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे। 

भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता हैं तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली हैं। भगवान श्रीकृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

2. खाटू श्याम जी से जुड़े 10 रहस्य Khatu Shyam Ji se jude 10 rahasy:-

1.  "कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी" के दिन ही खाटू श्याम बाबा का जन्म दिवस मनाया जाता हैं।

2. हर साल "फाल्गुन महीने के शुक्ल षष्ठी" से लेकर बारस तक  खाटू श्याम बाबा के मंदिर में भव्य मेला लगाया जाता हैं जिसे कई लोग ग्यारस मेला के नाम से भी जानते हैं।

3. बर्बरीक यानि खाटू श्याम जी की माता का नाम "हिडिम्बा" था।

4. मान्यता अनुसार- खाटू धाम में स्थित कुंड में खाटू श्याम जी प्रकट हुए और "भगवान श्रीकृष्ण" के "शालीग्राम" के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

5. भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगि अवतार माने जाते हैं "खाटू श्याम जी"।

6. महाभारत के दौरान "भगवान श्री कृष्ण द्वारा बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। आज खाटू श्याम जी के नाम से बर्बरीक की आराधना की जाती हैं"।

7. खाटू श्याम जी शीश दानी के नाम से भी जाने जाते हैं- "श्रीकृष्ण को अपना शीश दान में देने की वजह से इन्हें शीश दानी के नाम से जाना जाता हैं" वहीं प्रभु को "मोरछीधारी" भी कहा जाता हैं।

8. पौराणिक कथा के अनुसार, "पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्क के बेटे थे खाटू श्याम उनका नाम बर्बरीक था"।

9. खाटू श्याम का तात्पर्य हैं ''मां सैव्यम पराजितः'' यानी जो "हारे" और "निराश" लोगों को साहर देता हो।

10. खाटू श्याम जी "प्रभु श्री राम" के बाद विश्व के दूसरे और सर्वश्रेष्ठ "धनुर्धर" भी जाने जाते हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION - आज हमनें हमारें लेंख- Khatu Shyam Ji Ki Katha खाटू श्याम जी की कथा के माध्यम से खाटू श्याम जी कथा और उन से संबंधित दस रहस्यों के बारे में अपने लेख के माध्यम से जाना। हमें आशा हैं कि आपको ये लेख पसंद आयेगा धन्यवाद!

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