Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

Khatu Shyam Ji Ki Katha: खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत के समय से माना जाता हैं। राजस्थान में खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। आइए जानतें हैं आखिर किस भगवान के अवतार हैं खाटू श्याम बाबा। Khatu Shyam Ji Ki Katha: पौराणिक कथाओं के अनुसार:-

खाटू श्याम जी भगवान श्री कृष्ण के अवतार हैं। राजस्थान में प्रभु का भव्य और प्रसिद्ध मंदिर हैं। लाखों की तादाद में भक्तजन प्रभु के दर्शन करने आते हैं। खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत के समय से माना जाता हैं। इसलिए आयें जानते हैं  खाटू श्याम जी की कहानी और उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प रहस्य-
Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

1. खाटू श्याम जी की कथा: -

Khatu Shyam Ji Ki Katha: वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे "घटोखा" कहा जाता था। घटोखा से "बर्बरीक" नाम से पुत्र हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था।

भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तो उन्होंने कहा था कि वो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे। भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए, ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता हैं, तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली हैं। भगवान श्रीकृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

2. खाटू श्याम जी से जुड़े 10 रहस्य:-

1.  "कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी" के दिन ही खाटू श्याम बाबा का जन्म दिवस मनाया जाता हैं।

2. हर साल "फाल्गुन महीने के शुक्ल षष्ठी" से लेकर बारस तक  खाटू श्याम बाबा के मंदिर में भव्य मेला लगाया जाता हैं, जिसे कई लोग ग्यारस मेला के नाम से भी जानते हैं।

3. बर्बरीक यानि खाटू श्याम जी की माता का नाम "हिडिम्बा" था।

4. मान्यता अनुसार- खाटू धाम में स्थित कुंड में खाटू श्याम जी प्रकट हुए और "भगवान श्रीकृष्ण" के "शालीग्राम" के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

5. भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगि अवतार माने जाते हैं "खाटू श्याम जी"

6. महाभारत के दौरान "भगवान श्री कृष्ण द्वारा बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। आज खाटू श्याम जी के नाम से बर्बरीक की आराधना की जाती हैं"

7. खाटू श्याम जी शीश दानी के नाम से भी जाने जाते हैं, "श्रीकृष्ण को अपना शीश दान में देने की वजह से इन्हें शीश दानी के नाम से जाना जाता हैं", वहीं प्रभु को "मोरछीधारी" भी कहा जाता हैं।

8. पौराणिक कथा के अनुसार, "पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्क के बेटे थे खाटू श्याम उनका नाम बर्बरीक था"।

9. खाटू श्याम का तात्पर्य हैं ''मां सैव्यम पराजितः'' यानी जो "हारे" और "निराश" लोगों को साहर देता हो।

10. खाटू श्याम जी "प्रभु श्री राम" के बाद विश्व के दूसरे और सर्वश्रेष्ठ "धनुर्धर" भी जाने जाते हैं।

Khatu Shyam Ji Ki Katha:खाटू श्याम जी की कथा...

FAQ-

1. खाटूश्याम का सिर क्यों कटा हैं ? 

खाटूश्याम ने अपने शीश का दान स्वेच्छा से किया था इसका कारण ये था कि बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु आपने शीश का दान किया गया इस दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वरदान दिया। इस वर के कारण ही बर्बरीक को खाटूश्याम जी के नाम से पूजा जाता हैं। 

2. हारे का सहारा क्यों कहा जाता हैं ? 

खाटूश्याम जी को हारे का सहारा इसलियें कहा जाता हैं क्योंकि महाभारत के युध्द के समय वे अपनी माँ को बोलकर गयें थे कि युध्द में जो भी हारेगा में उसका साथ दूंगा। इसके बाद श्रीकृष्ण भगवान उनकी परीक्षा लेने आयें- और बर्बरीक को कहा था कि एक तीर से पेड़ के बारें पत्ते गिराकर दिखाओ। ऐसा कहकर एक पत्ता स्वयं के पैर के नीचे दबा लिया। 

3. खाटूश्याम में क्या खास हैं ? 

खाटूश्याम जी का कलियुग का प्रसिद्ध भगवान माना जाता हैं। सीकर जिले के खाटू गाँव में खाटूश्याम जी का मन्दिर स्थित हैं ये मन्दिर विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता हैं कि भक्तजन जो भी खाटूश्याम जी से मांगते हैं उन्हें भगवान लाखों बार देते हैं इसलिए खाटूश्याम जी को लखदातार भी कहा जाता हैं। 

4. खाटूश्याम कौन से शहर के पास हैं ? 

खाटूश्याम जी का मन्दिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले के खाटू नामक गाँव में हैं। पास का नजदीक शहर जयपुर हैं जयपुर शहर से खाटूश्याम जी की दूरी 89.4 कि.मी हैं यहाँ आप वायां रींगस पहुँच सकते हैं। 

5. खाटूश्याम मन्दिर कितना पुराना हैं ? 

मूलतः खाटूश्याम मन्दिर का निर्माण 980 वर्षों पूर्व श्रीमती नर्मदा कंवर और उनके पति श्री रूप सिंह चौहान द्वारा किया गया था। इस मन्दिर का समय समय पर जीर्णोद्धार भी होता रहा हैं मुख्य रूप से जो जीर्णोद्धार जोधपुर नरेश के आदेश पर उनके दीवान अभय सिंह ने इसका जीर्णोद्धार अपनी देखरेख में करवाया था।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारें लेख- Khatu Shyam Ji Ki Katha: खाटूश्याम जी की कथा के माध्यम से जाना  खाटूश्याम जी की कथा के बारें में और साथ-साथ खाटूश्याम जी से जुड़े 10 रहस्यों के बारें में-

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