Achyutanannda Das Ek Parichay अच्युतानंद दास एक परिचय...

आज हम हमारे लेख- Achyutanannda Das Ek Parichay: अच्युतानंद दास एक परिचय के माध्यम से अच्युतानंद दास जी कौन थेऔर उन्हें एक भविष्यवक्ता क्यों कहा जाता हैं? हालांकि हम अपने आगामी लेख में इनके द्वारा की भविष्यवाणियों के बारे में भी आपको बतायेंगे जिसे पढ़ कर आप सभी अचरज से भर जायेंगे तो हमारा ये लेख भी पढ़े और दुसरे लेख का कुछ समय इंतजार करें तो आयें आगे बढ़ते हैं और आनंद लेते हैं इस लेख का Achyutanannda Das Ek Parichay:अच्युतानंद दास एक परिचय-

Achyutanannda Das Ek Parichay

Achyutanannda Das Ek Parichay अच्युतानंद दास एक परिचय...

Achyutanannda Das Ek Parichay: अच्युतानंद दास जी महाराज 16वीं सदीं के कवि, द्रष्टा और उड़ीसा राज्य के एक वैष्णव सन्त थे। वे एक महान लेखक थे वे उन पांच व्यक्तियों में शामिल थे जिन्हें पंचसंखा कहा जाता हैं {वलरामदास, जगन्नाथदास, यशोवन्तदास, अनन्ददास व स्वयं अच्युतानंददास शामिल थे} जिन्होंने संस्कृत ग्रन्थों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करके पूर्वी भारत में आध्यात्मिक क्रान्ति ला दी थी। उनका ओड़िया भाषा में रचित ग्रन्थ "शून्यसंहिता" प्रसिद्ध हैं। कहा जाता हैं कि- उन्हें भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्यकाल को देखने की शक्ति प्राप्त थी। ये माना जाता हैं कि- रामायण के प्रश्न सुनकर अच्युतानंद ने जो उपदेश दिया वहीं शून्यसंहिता में हैं।

अच्युतानंद दास जी एक महापुरुष थे उन्होंने अपने जीवन काल में 36 संहिता, 78 गीता, 27 हरिवंशादि चरित, 12 उपवंश चरित, 100 पुराण या मळिका  की रचना की इसके अलावा उन्होंने नाना प्रकार के भजन चौपाईयाँ भी लिखी। भविष्य माळिका- संत अच्युतानंद दास जी ने नाना प्रकार के विषयों पर किताबें लिखी माना जाता हैं कि- उन्होंने सभी पुस्तकें अपनी योग शक्ति से लिखीं और ये भी कहा जाता हैं कि- उड़िसा में एक लाख मळिका की पुस्तकें हैं जिनके अलग-अलग विषय और अलग-अलग नाम हैं। इस समय कुछ सैंकड़ों पुस्तकों की ही जानकारी लोगों के पास हैं यह सभी पुस्तकें "श्री जगन्नाथ पुरी मन्दिर ट्रेस्ट" के अधिकार में हैं इन पुस्तकों को हर किसी को नहीं दिखाया जाता हैं। 

1. अच्युतानंद दास जी का एक परिचय Achyutanannda Das Ek Parichay:-

Achyutanannda Das Ek Parichay: अच्युतानंद जी का जन्म 1480 से 1505 के बीच का माना जाता हैं। उनका जन्म ओडिशा के कटक जिले के "चिलकाना" नामक एक गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम "पद्मावती" और पिता का नाम "दीनवन्धु खुटिया' था उनके दादा "गोपीनाथ मोहती" श्री जगन्नाथ मन्दिर में एक मुन्शी के पद पर कार्यरत थे। अच्युतानंद जी भगवान श्री जगन्नाथ के परमभक्त थे। उन्होंने धर्मग्रंथो का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कर के पूर्वी भारत में आध्यात्मिक क्रान्ति ला दी थी उनके इस ग्रंथ को ही "शून्यसंहिता" के नाम से जाना जाता हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने बहुत सी किताबें लिखी जो की ओडिशा की उड़ीयां भाषा में हैं।  अच्युतानंद दास जी के बारे में एक किवदंती हैं कि उनकी पुस्तक में उनके अनेक जन्मों का विवरण भी हैं जैसे कि- सतयुग में वे एक "महर्षि" थे त्रेतायुग में "नल" नामक वानर बनकर उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सेवा की और द्वापरयुग "सुदामा" बनकर श्रीकृष्ण की भक्ति की वहीं कलयुग में अच्युतानंद दास बनकर श्रीकृष्ण भक्ति के प्रचार में सहयोग किया था। 

2. नास्त्रेदमस से भी बड़े भविष्यवक्ता अच्युतानंद दास जी Achyutanannda Das Ji a greater prophet than Nostradamus:-

Achyutanannda Das Ek Parichay: भारत के इतिहास में यूं तो बहुत से भविष्यवक्ता हुए हैं किन्तु 16वीं सदीं में ओड़िशा राज्य में जन्में अच्युतानंद दास की भविष्यवाणियों की खासी चर्चा होती हैं। ऐसा माना जाता हैं कि उनकी अब तक की भविष्यवाणियां सच हुईं हैं। फ्रांस के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस भी 16वीं सदीं में 14 दिसम्बर 1503 में जन्में थे। अच्युतानंद दास को भारत का नास्त्रेदमस माना जाता हैं। 

3. भविष्यवाणियों के प्रमुख बिन्दु Major points of predictions:-

Achyutanannda Das Ek Parichay: उन्होंने श्री जगन्नाथ मन्दिर से जुड़ी भविष्यवाणियों के आधार पर ही विश्व की घटनाओं का उल्लेख अपनी पुस्तक "भविष्य मळिका" में किया हैं उन्होंने कलयुग के अंत और इस काल में घटने वाली घटनाओं का भी उल्लेख किया हैं। अपनी पुस्तक में यह भी बताया हैं कि- महाभारत काल के योध्दा कलयुग में किस नाम से जन्म लेकर क्या कार्यं करेंगे। उनकी भविष्यवाणियों में कलयुग में अकाल, विश्व युध्द, भूचाल, विस्फोट, महामारी के साथ ही देशों के भविष्य को लेकर भी भविष्यवाणियां हैं। उन्होंने भारत, रूस और अमेरिका को लेकर भी भविष्यवाणी की हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में ऐसे संकेत भी दिए हैं जिससे ये ज्ञात हो सके की यह भविष्यवाणियां कब घटित होने वाली हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेख- Achyutanannda Das Ek Parichay अच्युतानंद दास एक परिचय के माध्यम से जाना कि अच्युतानंद कौन थे और उन्हें भविष्यवक्ता क्यों कहा जाता हैं।

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