Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra...

आज हम हमारें लेख में 51 शक्तिपीठ में से एक माता के मन्दिर के बारें में आपको बतानें जा रहे हैं जिसका सम्बन्ध महाभारत काल से हैं जो कि भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं। जिसे हम Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra: श्री बज्रेश्वरी माता मन्दिर, जिसे काँगड़ा देवी मन्दिर के नाम से भी जाना जाता हैं अर्थात इस नाम से भी ये माता मन्दिर विख्यात हैं। हमनें हमारें पिछले लेखों जैसे कि वरदराजा पेरुमल मन्दिर, तिरुपति बालाजी मन्दिर, एकाम्बरेश्वर मन्दिर, श्रीकालाहस्ती मन्दिर चित्तूर और ज्वाला माता मन्दिर हिमाचल प्रदेश आदि मन्दिर को विस्तृत रूप से जाना आज हम हमारें लेख-Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra: श्री बज्रेश्वरी माता मन्दिर, काॅंगड़ा के माध्यम से इस मन्दिर के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे-

Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi

 Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra...

Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi: श्री बज्रेश्वरी देवी मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर हैं जो कि भारत के उत्तर- पश्चिम राज्य हिमाचल प्रदेश के काॅंगड़ा शहर में स्थित दुर्गां का एक रूप "श्री बज्रेश्वरी देवी" को समर्पित मन्दिर हैं। श्री बज्रेश्वरी देवी मन्दिर को "नगरकोट" की देवी व "काँगड़ा देवी" के नाम से भी जाना जाता हैं। इसलियें इस मन्दिर को नगरकोट धाम भी कहा जाता हैं। श्री बज्रेश्वरी देवी मन्दिर काँगड़ा हिमाचल प्रदेश का भव्य मन्दिर हैं। मन्दिर के सुनहरे कलश के दर्शन बहुत दूर से ही हो जाते हैं। वर्तमान समय में उत्तर भारत की नौ देवीयों की यात्रा में माॅं काॅंगड़ा देवी भी शामिल हैं। काॅंगड़ा के राजा मेघचंद के तीसरे बेटे राजा "प्रतापचंद" जो काॅंगड़ा से भिम्बर रियासत में जा बसे उनके वंशज चिब राजपूतों की माता काॅंगड़ा कुल देवी हैं। 

1. पौराणिक कथा माता श्री बज्रेश्वरी देवी काँगड़ा Mythological story Mata Shri Bajreshwari Devi Kangra:-

Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi: हिन्दू धर्म की एक पौराणिक कथा के अनुसार- देवी सती के पिता दक्ष द्वारा किये यज्ञ में उन्हें ना बुलाने पर उन्होंने अपना और भगवान शिव का अपमान समझा और उसी हवन कुण्ड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी तब भगवान शंकर देवी सती के मृत देह को लेकर पूरे ब्रहमाण्ड के चक्कर लगा रहे थे। उसी दौरान भगवान श्रीविष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था और उनके अंग धरती पर जगह जगह गिरे जहाँ जहाँ भी उनके शरीर के अंग गिरे वहाँ वहाँ एक शक्तिपीठ बन गया। उसमें से सती की बायां "वक्षस्थल" इस स्थान पर गिरा था जिसे "माॅं बज्रेश्वरी या काँगड़ा माईं" के नाम से पूजा जाता हैं। 

2. पौराणिक इतिहास श्री बज्रेश्वरी देवी काँगड़ा Mythological History Shri Bajreshwari Devi Kangra:-

Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi: एक कथानुसार- मूल मन्दिर महाभारत के समय पांडवों द्वारा बनाया गया था किंवदंती कहती हैं कि- एक दिन पांडवों ने देवी दुर्गां को अपने सपने में देखा था जिसमें देवी माँ ने उन्हें बताया था कि वे नगरकोट गाँव में स्थित हैं और यदि वे खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन्हें उस क्षेत्र में उनके लियें मन्दिर बनाना चहियें अन्यथा वे नष्ट हो जायेंगे। उसी रात उन्होंने नगरकोट गाँव में माता श्री बज्रेश्वरी देवी का मन्दिर बनवाया 1905 में मन्दिर को एक शक्तिशाली भूंकप ने नष्ट कर दिया था बाद में सरकार द्वारा इसका पुननिर्माण किया गया था। 

3. क्या आप जानते हैं ये बातें श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर काँगड़ा के बारें में Do you know these things for Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra:-

1. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार - यहाँ माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था। माता का ये धाम नगरकोट के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इस मन्दिर का वर्णन दुर्गां स्तुति में किया गया हैं। मन्दिर के ही निकट बाण गंगा हैं जिसमें स्नान करने का विशेष महत्व हैं। 2. माना जाता हैं कि- महाभारत काल में पांडवों ने इस मन्दिर का निर्माण किया था। 3. 1337 में मुहम्मद बीन तुगलक और पांचवी शताब्दी में सिकंदर लोदी ने भी इस मन्दिर को लूट कर तबाह कर दिया था। फिर साल 1905 में भूकंप से मन्दिर पूरी तरह नष्ट हो गया जिसे सरकार द्वारा 1920 में दोबारा बनवाया। 4. श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर काँगड़ा में माता पिंडी रूप में विराजमान हैं। यहाँ माता का प्रसाद तीन भागों में विभाजित करके चढ़ाया जाता हैं। पहला- महासरस्वती, दूसरा- महालक्ष्मी, तीसरा- महाकाली को चढ़ा कर भक्तों में बांटा जाता हैं। 5. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार- एकादशीं के दिन चावल का प्रयोग नहीं किया जाता किन्तु इस शक्तिपीठ में माता एकादशीं स्वयं मौजूद हैं, इसलियें उनको प्रसाद के रूप में चावल ही चढ़ाया जाता हैं। इस माता मन्दिर में पांच बार आरती का विधान हैं। यहाँ बच्चों के मुंडन करवाने की भी व्यवस्था हैं। जो भी सच्चे मन से माता के दरबार में पूजा उपासना करता हैं माता उसकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं। 6. श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर काँगड़ा हिन्दूओं और सिखों के अलावा मुस्लिम भी आस्था के फूल चढ़ाते हैं, मन्दिर में मौजूद तीन गुंबद तीन धर्मों के प्रतीक हैं। पहला- हिन्दू धर्म जिसकी आकृति मन्दिर जैसी हैं, दूसरा- सिख धर्म का और तीसरा- मुस्लिम समाज का प्रतीक हैं।  7. भविष्य की घटनाओं के बारे में बता देता हैं- मन्दिर की खासियत यह हैं कि मंदिर भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भक्तों को पहले से ही आगह कर देता हैं। यहां आसपास में अगर कोई बड़ी समस्या आने वाली होती हैं तो भैरव बाबा की मूर्ति से आंसुओं का गिरना शुरू हो जाता हैं तब मन्दिर के पुजारी विशाल हवन का आयोजन कर मां से आपदा को टालने के लियें निवेदन करते हैं। भैरव बाबा के मन्दिर में महिलाओं का जाना वर्जित हैं। बताया जाता हैं कि- बाबा भैरव की मूर्ति पांच हजार साल पुरानी हैं। मन्दिर के मुख्य द्वारा के आगे ध्यानु भगत की मूर्ति मौजूद हैं। जिन्होंने अकबर के समय में देवी को अपना सिर चढ़ाया था।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। 

CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेख Shaktipeeth Shri Bajreshwari Devi Temple Kangra के माध्यम से इस शक्तिपीठ के बारें में विस्तृत रूप से जाना।

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