51 Shakti Peeth: शक्तिपीठ और नवरात्रि का शुभ मुहूर्त...

आज हम हमारें लेंख 51 Shakti Peeth: 51 शक्तिपीठ और नवरात्रि का शुभ मुहूर्त के माध्यम से 51 शक्तिपीठ कहां कहां स्थित हैं के बारें में जानकारी उपलब्ध करवायेंगे और साथ साथ ही शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त क्या हैं आज इस लेख के माध्यम से आपको बतायेंगे। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया हैं नवरात्र के इन पावन दिनों में माता रानी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता हैं और अगर बात शक्तिपीठ की हो तो भक्तों की ये लाइन और लंबी हो जाती हैं। 

मां दुर्गा देवी शक्ति स्वरूपा के 52 शक्तिपीठ के बारे में हिन्दू धर्म में शक्तिपीठ का बहुत अधिक महत्व हैं। देश में 51 जगहों पर शक्तिपीठ स्थापित हैं ऐसी मान्यता हैं कि- जिन जगहों पर सती देवी के शरीर के अंग गिरे थे वहां-वहां शक्ति पीठ की स्थापना हुईं हैं। शक्तिपीठ को बहुत पावन तीर्थं माना जाता हैं ये तीर्थ पूरे भारत में हैं।

51 Shakti Peeth

51 Shakti Peeth: 51 शक्तिपीठ और नवरात्रि का शुभ मुहूर्त...

51 Shakti Peeth: शुरू होने वाला हैं शारदीय नवरात्रि, इसमें करें 51 शक्तिपीठों के दर्शन, जानिए उनके नाम और जगह के बारें में- नवरात्रि में 51 शक्तिपीठों का दर्शन करना चाहिए इसका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में हैं वहीं देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता हैं। इसके अलावा तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ का जिक्र किया गया हैं। पुराणों में 51 शक्तिपीठों का वर्णन हैं वहीं देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता हैं। इसके अलावा तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ का जिक्र किया गया हैं, देवी पुराण के अनुसार 51 शक्तिपीठ में से कुछ विदेशों में भी स्थित हैं। इनमें भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 और नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं।

1. 51 शक्तिपीठ के नाम Names of 51 Shakti Peeths:-

1. हिंगलाज शक्तिपीठ:- कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित हैं हिंगलाज शक्तिपीठ पुराणों की मानें तो यहां माता का सिर गिरा था इसकी "शक्ति-कोटरी भैरवी कोट्टवीशा" हैं।
2. शर्कररे-करवीर:- पाकिस्तान के ही कराची में सुक्कर स्टेशन के पास शर्कररे शक्तिपीट स्थित हैं यहां माता की आंख गिरी थी।
3. सुगंधा-सुनंदा:- बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से करीब 20 किमी दूर सोंध नदी हैं इसी नदी के पास स्थित हैं मां सुगंधा शक्तिपीठ कहते हैं कि- यहां मां की नासिका गिरी थी।
4. कश्मीर-महामाया:- भारत के कश्मीर में पहलगांव के पास मां का कंठ गिरा था यहीं माहामाया शक्तिपीठ बना।
5. ज्वालामुखी-सिद्धिदा:- भारत में हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं।
6. त्रिपुरमालिनी-जालंधर:- पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब हैं यहां माता का बायां वक्ष गिरा था।
7. वैद्यनाथ- जयदुर्गा:- झारखंड के देवघर में बना हैं वैद्यनाथधाम धाम यहां माता का हृदय गिरा था।
8. महामाया-नेपाल:- नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बसा हैं गुजरेश्वरी मंदिर यहां माता के दोनों घुटने गिरे थे।
9. मानस- दाक्षायणी:- तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था।
10. विरजा- विरजाक्षेतर:- भारत के उड़ीसा में विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी।
11. गंडकी- गंडकी:- नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर हैं यहां माता का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी।
12. बहुला-बहुला चंडिका:- भारत के पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था।
13. उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका:- भारत में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी।
14. त्रिपुरा-त्रिपुर सुंदरी:- भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था।
15. चट्टल-भवानी:- बांग्लादेश में चिट्टागौंग चटगाँव जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल चट्टल या चहल में माता की दायीं भुजा गिरी थी।
16. त्रिस्रोता-भ्रामरी:- भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्थित त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था।
17. कामगिरि-कामाख्या:- भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था।
18. प्रयाग-ललिता:- भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश के इलाहबाद शहर प्रयाग के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी।
19. युगाद्या-भूतधात्री:- पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्या युगाद्या स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
20. जयंती-जयंती:- बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर हैं। यहां माता की बायीं जंघा गिरी थी।
21. कालीपीठ-कालिका:- कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
22. किरीट-विमला भुवनेशी:- पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था।
23. वाराणसी-विशालाक्षी:- उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणि जड़ीत कुंडल गिरे थे।
24. कन्याश्रम-सर्वाणी:- कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था।
25. कुरुक्षेत्र-सावित्री:- हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी।
26. मणिदेविक-गायत्री:- अजमेर के पास पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे।
27. श्रीशैल-महालक्ष्मी:- बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था।
28. कांची-देवगर्भा:- पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी।
29. कालमाधव-देवी काली:- मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था जहां एक गुफा हैं।
30. शोणदेश-नर्मदा शोणाक्षी:- मध्यप्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था।
31. रामगिरि-शिवानी:- उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था।
32. वृंदावन-उमा:- उत्तरप्रदेश में मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे।
33. शुचि-नारायणी:- तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर हैं यहां पर माता के ऊपरी दंत ऊर्ध्वदंत गिरे थे।
34. पंचसागर-वाराही:- पंचसागर (एक अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत गिरे थे।
35. करतोयातट-अपर्णा:- बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी।
36. श्रीपर्वत-श्रीसुंदरी:- कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी दूसरी मान्यता अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएं पैर की एड़ी गिरी थी।
37. विभाष-कपालिनी:- पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बाईं एड़ी गिरी थी।
38. प्रभास-चंद्रभागा:- गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर पेट गिरा था।
39. भैरवपर्वत-अवंती:- मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होंठ गिरे थे।
40. जनस्थान-भ्रामरी:- महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी।
41. सर्वशैल स्थान:- आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे।
42. गोदावरीतीर:- इस जगह पर माता के दक्षिण गंड गिरे थे।
43. रत्नावली-कुमारी:- बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था।
44. मिथिला-उमा महादेवी:- भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था।
45. नलहाटी-कालिका तारापीठ:- पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी।
46. कर्णाट-जयदुर्गा:- यहां कर्नाट अज्ञात स्थान में माता के दोनों कान गिरे थे।
47. वक्रेश्वर-महिषमर्दिनी:- पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य गिरा था।
48. यशोर-यशोरेश्वरी:- बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे।
49. अट्टाहास-फुल्लरा:- पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के होठ गिरे थे।
50. नंदीपूर-नंदिनी:- पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता का गले का हार गिरा था।
51. लंका-इंद्राक्षी:- ऐसा माना गया है कि संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी।

2. नवरात्रि का शुभ मुहूर्त Navaratri ka Shubh Muhort:-

महामाया के बाद आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाली नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। इस दिन ही कलश की स्थापना की जाती हैं। मान्यता हैं कि- कलश में त्रिदेव का वास होता हैं और कलश स्थापित कर भगवान गणेश समेत ब्रह्मा विष्णु का आह्वान किया जाता हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर मां दुर्गा के आहवान से पहले कलश स्थापित करने का विधान हैं।
कलश स्थापित करने के लिए घर के मंदिर की साफ-सफाई करके एक सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं उसके ऊपर एक चावल की ढेरी बनाएं एक मिट्टी के बर्तन में थोड़े से जौ बोएं और इसका ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं, कलावा बांधे, एक नारियल लेकर उसके ऊपर चुन्नी लपेटें और कलावे से बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें। कलश के अंदर एक साबूत सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें अशोक के पत्ते कलश के ऊपर रखकर नारियल रख दें। नारियल रखते हुए मां दुर्गा का आवाह्न करना न भूलें अब दीप जलाकर कलश की पूजा करें फिर उसके बाद नौ दिनों के व्रत करने का मन हो तो संकल्प लेकर दुर्गा सप्तशती की पाठ करें।

3. नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त Navaratri mein Kalash Sthaapana ka Shubh Muhort:-

51 Shakti Peeth

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION:- आज हमनें हमारें लेख- 51 Shakti Peeth: 51 शक्ति पीठ और नवरात्रि का शुभ मुहूर्त के माध्यम से जाना कि 51 शक्तिपीठों के नाम क्या और उनके स्थान कहाँ कहाँ हैं और साथ साथ ये भी जाना कि नवरात्रि का शुभ मुहूर्त क्या हैं और नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या हैं।

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