Mahalakshmi Mandir Kolhapur...

प्रिय पाठकों हमनें हमारें पिछले लेखों के माध्यम से बहुत से मंदिरों के बारें में आपको बताया था जैसे कि- तिरुपति बालाजी मंदिर, एकाम्बरेश्वर मंदिर, श्री काला हस्ती मंदिर, श्री करणी माता मंदिर और ज्वाला माता मंदिर इसी प्रकार के अनेकों मंदिरों के बारें में हमनें हमारें लेखों के माध्यम से बताया कि उन मंदिरों की कथा क्या हैं ? उनके महत्व क्या हैं ? उन मंदिरों तक कैसे पंहुचा जायें ? इन सबके बारें में हमनें लिखा जो कि आपके द्वारा बहुत पंसद कियें गयें।

इसी क्रम में आगें बढ़ाते हुयें- आज हम कोल्हापुर महाराष्ट्र में आनें वालें एक प्राचीन मंदिर के बारें में आपको बतानें जा रहें हैं जिस मंदिर की मान्यता पूरे भारतवर्ष में हैं तो आयें चलते हैं इस मंदिर के बारें में आपको बतातें हैं। Mahalakshmi Mandir Kolhapur: महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर जिसे अंबाबाईं मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं ये भारत के महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर शहर में स्थित एक हिन्दू सनातनी मंदिर हैं जो की हिन्दू देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं।

Mahalakshmi Mandir Kolhapur

Mahalakshmi Mandir Kolhapur: महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर... 

Mahalakshmi Mandir Kolhapur: यहाँ के स्थानीय लोग अंबाबाईं के नाम से पुकारते हैं देवी महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और हिन्दूओं में श्री तिरुपति बालाजी तिरुमाला, महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर और पद्मावती मंदिर की यात्रा तीर्थयात्रा के रूप में करने की प्रथा हैं ऐसा माना जाता हैं की- इन सभी मंदिरों के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। महालक्ष्मी मंदिर के बाहर लगें शिलालेंख से पता चलता हैं कि यह 1800 साल पुराना हैं। देवी महालक्ष्मी का मंदिर 634 ईस्वीं में चालुक्य शासनकाल "शालिवाहन घराने के राजा कर्णदेव" ने इसका निर्माण करवाया था। माँ लक्ष्मी की मूर्तिं काली पाषाण पर उकेरी गईं हैं इसका वजन लगभग 40 कि. ग्रा. हैं ये मूर्तिं मुकुट धारण किये हुए हैं जिस मुकुट में नाना प्रकार के रत्न जड़े गयें हैं। महालक्ष्मी की मूर्तिं तीन फीट ऊंची हैं। मंदिर की एक दीवार पर श्रीयंत्र भी स्थापित हैं। मूर्तिं के पीछे की ओर "एक शेर देवी का वाहन" खड़ा हैं। मुकुट पर "पांच सिर वाला सांप" हैं। इसके अलावा- "मातुलिंगा फल" "गदा" "ढाल" और "एक पानपत्र कटोरा" से सुसज्जित हैं। धीरे-धीरे मंदिर के अहाते में 30-35 मंदिर और निर्मित कियें गयें। कोल्हापुर (महाराष्ट्र) शहर के मध्य में बसे तीन गर्भगृहों वाला यह पश्चिमाभिमुखी श्री महालक्ष्मी मंदिर हेमाड़पंथी हैं। मंदिर में चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता हैं। मंदिर के महाद्वार से प्रवेश के साथ ही देवी के दर्शन होते हैं। मंदिर के खंभों पर नक्काशी का खूबसूरत काम देखते ही बनता हैं, ये संरचना मानो मंत्रमुग्ध कर लेती हैं। 

1. महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर की कथा Story of Mahalakshmi Mandir Kolhapur:-

Mahalakshmi Mandir Kolhapur: राजा दक्ष के यज्ञ में सती ने अपनी आहुति दी और भगवान शंकर उनकी देह कंधे पर लियें सारे ब्रह्मांड में घूमे तब श्री हरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती की देह के जो भाग कियें वे पृथ्वी पर 108 जगह गिरे इनमें आँखें जहाँ गिरी वहाँ लक्ष्मी प्रकट हुईं करवीर यानी कोल्हापुर देवी का ऐसा पवित्र स्थान हैं जिसे "दक्षिण की काशी" माना जाता हैं। आमतौर पर किसी भी तीर्थस्थान को देवी या देवता के नाम से जाना जाता हैं लेकिन कोल्हापुर और करवीर यह राक्षस के नाम से जाना जाता हैं। इस स्थान के बारें में कहा जाता हैं कि- विष्णु की नाभि से उत्पन्न ब्रह्मा ने तमोगुण से युक्त गय, लवण और कोल्ह ऐसे तीन मानस पुत्रों का निर्माण किया बड़े पुत्र गय ने ब्रह्मा की उपासना कर वर माँगा कि उसका शरीर देवपितरों तीर्थ से भी अधिक शुद्ध हो और ब्रह्माजी के तथास्तु कहने के साथ गय अपने स्पर्श से पापियों का उद्धार करने लगा। यम की शिकायत पर देवताओं ने बाद में उसका शरीर यज्ञ के लियें माँग लिया था। केशी राक्षस के बेटे कोल्हासुर के अत्याचार से परेशान देवताओं ने देवी से प्रार्थना की श्री महालक्ष्मी ने दुर्गा का रूप लिया और ब्रह्मास्त्र से उसका सिर उड़ा दिया। कोल्हासुर के मुख से दिव्य तेज निकलकर सीधे श्री महालक्ष्मी के मुँह में प्रवेश कर गया और धड़ कोल्हा (कद्दू) बन गया। अश्विन पंचमी को उसका वध हुआ था। मरने से पहले उसने वर माँगा था कि इस इलाके का नाम कोल्हासुर और करवीर बना रहे। समय के साथ कोल्हासुर से कोल्हापुर हुआ लेकिन करवीर वैसा ही कायम रहा। ऐसा कहा जाता हैं कि- तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रूठकर उनकी पत्नी महालक्ष्मी कोल्हापुर आईं। इस वजह से आज भी तिरुपति देवस्थान से आया शालू उन्हें दिवाली के दिन पहनाया जाता हैं। कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी को करवीर निवासी अंबाबाईं के नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ दीपावली की रात महाआरती में माँगी मुराद पूरी होनें की जन-मान्यता हैं- अश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी घटस्थापना से उत्सव की तैयारी होती हैं। पहले दिन बैठी पूजा, दूसरे दिन खड़ी पूजा, त्र्यंबोली पंचमी, छठे दिन हाथी के हौदे पर पूजा, रथ पर पूजा, मयूर पर पूजा और अष्टमी को महिषासुरमर्दिनी सिंहवासिनी के रूपों में देवी का उत्सव दर्शनीय होता हैं। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे खुलता हैं और रात को 11:00 बजे बंद हो जाता हैं। इस दौरान मंदिर में कई तरह के अनुष्ठान भी किए जाते हैं। सभी भक्तगण इन अनुष्ठानों में शामिल हो सकते हैं। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का समय इस प्रकार हैं। 

2. महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर खुलने का समय Mahalakshmi Temple Kolhapur Opening Timings:-

Mahalakshmi Mandir Kolhapur

CONCLUSION-हमनें हमारें लेख के माध्यम से जाना की Mahalakshmi Mandir Kolhapur: महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर की कथा के बारें में तथा मंदिर आरती के समय के बारें में जाना।

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