रुद्राक्ष Rudraksh की उत्पत्ति...

आज हम हमारें लेंख में भगवान शिव को अत्यंत प्रिय रूद्राक्ष Rudraksh के विषय में जानेंगे कहा जाता हैं कि- जिस व्यक्ति ने रूद्राक्ष धारण करा होता हैं वह ईश्वर शिव को भी पसंद होता हैं। यूं तो रूद्राक्ष एक फल की गुठली हैं, इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता हैं कहा जाता हैं कि रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंखों के आंसु से हुईं हैं। 

ये सकारात्मक उर्जा का भी प्रतीक हैं रूद्राक्ष भगवान शंकर का वरदान हैं जो संसार के भौतिक दुःखो को दूर करने के लियें भगवान शंकर ने प्रकट किया हैं। आज हम हमारें लेंख में रूद्राक्ष Rudraksh के माध्यम से जानेंगे कि रूद्राक्ष भगवान शंकर को क्यों प्रियें हैं? रूद्राक्ष के कितने स्वरूप हैं? रूद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुईं? और रूद्राक्ष का हमारें स्वास्थ्य से क्या सम्बन्ध हैं? तो आयें जानेतें हैं हमारे इस लेख के माध्यम से-

रुद्राक्ष Rudraksh

रुद्राक्ष Rudraksh की उत्पत्ति, प्रकार और औषधीय गुणों की चर्चा...

Rudraksh: पुराणों के अनुसार- सबसे शक्तिशाली रुद्राक्ष एक मुखी ही माना जाता हैं इसको पाना कोई आसान काम नहीं हैं क्योंकि इसका सम्बन्ध सीधे ईश्वर शिव से हैं ये रुद्राक्ष सबसे अधिक प्रभावशाली हैं इसमें भगवान शिव की परम शक्ति समाहित होती हैं। अध्यात्म के साथ-साथ रुद्राक्ष वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खास हैं विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिंटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों के अनुसार- रुद्राक्ष Rudraksh मस्तिष्क के लियें बहुत उपयोगी व फायदेमंद हैं, रुद्राक्ष का विवरण- शिवपुराण, लिंगपुराण और स्कन्दपुराण में किया गया हैं। शिवपुराण की "विद्येश्वर" संहिता में रुद्राक्ष 14 प्रकार के बताए गए हैं।

1. रुद्राक्ष के प्रकार निम्न हैं The types of Rudraksh are as follows:-

 Rudraksh: 1. एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर का स्वरूप हैं। 2. दो मुखी रुद्राक्ष अर्द्धनारीश्वर का स्वरूप हैं। 3. तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि का स्वरूप हैं। 4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मस्वरूप हैं। 5. पांच मुखी कालाग्नि का स्वरूप हैं। 6. छह मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप हैं। 7. सात मुखी रुद्राक्ष कामदेव का स्वरूप हैं। 8. आठ मुखी रुद्राक्ष  गणेश और भगवान भैरव का स्वरूप हैं। 9. नौ मुखी रुद्राक्ष मां देवी भगवती और शक्ति का स्वरूप हैं। 10. दस मुखी रुद्राक्ष दशों दिशाओं और यम का स्वरूप हैं। 11. ग्यारहा मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान रुद्र का स्वरूप हैं। 12. बारह मुखी रुद्राक्ष सूर्य, अग्नि और तेज का स्वरूप हैं। 13. तेराहा मुखी रूद्राक्ष  विजय और सफलता का स्वरूप हैं एवं 14. चौदह मुखी रुद्राक्ष  भगवान शंकर स्वरूप माना जाता हैं। 

सावन चल रहा हैं इसमें कई चीजों का खास महत्त्व हैं इनमें से एक हैं रुद्राक्ष Rudraksh इसको धारण करने का यह अमृत समय माना गया हैं। भोलेनाथ की पूजा में इसका विशेष महत्त्व हैं कहते हैं- "रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई हैं" इसकी उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। "रुद्राक्ष रुद्र और अक्ष दो शब्दों से मिलकर बना हैं। रुद्र का अर्थ- शिव होता हैं  और अक्ष का अर्थ- भगवान शिव की आंख का आसूं से हैं"।

2. रूद्राक्ष की उत्पत्ति Origin of Rudraksh:-

Rudraksh: माना जाता हैं- रुद्राक्ष धारण करने वाला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता हैं रुद्राक्ष को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं इसके अनुसार- अपनी ताकत के कारण "त्रिपुरासुर दैत्य" को अहंकार हो गया था उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया सभी त्रस्त देवता ब्रह्मा, विष्णु और भोलेनाथ की शरण में गयें भोलेनाथ उनकी पीड़ा सुन गहरे ध्यान में चले गयें और आंख खोलने से आंसू जमीन पर गिरे जिससे रुद्राक्ष Rudraksh की उत्पत्ति हुईं। नोटः आज कल देश ही नहीं विदेशों में भी शिव को प्रियें रूद्राक्ष की मांग बढ़ने लगी हैं इसलिए बजारों में भी ये बहुतायत में नकली आनें लगें हैं इसकी पहचान का सही तरीका हैं की रूद्राक्ष को पानी में डाला जायें यदि पानी में वह तैरने लगें तो समझ जायें की वह नकली हैं और यदि नहीं तैरे तो वह असली हैं।

रुद्राक्ष Rudraksh

3. किस प्रकार रुद्राक्ष सेहत के लियें जरुरी How Rudraksh is important for health?

Rudraksh: ज्योतिष के अनुसार- सबसे शुध्द एक मुखी रूद्राक्ष को गले में धारण करना ही अत्यधिक शुभ माना जाता हैं किन्तु एक मुखी रूद्राक्ष बहुत दुर्लभ हैं तो ऐसा करना संभव नहीं होता किन्तु जातक 108 मनको वाली रुद्राक्ष माला भी धारण कर सकता हैं। तनाव, सिरदर्द, उलझन और घबराहट को दूर करने के लिए रुद्राक्ष पहन सकते हैं इसे हार्ट के लियें अच्छा बताया जाता हैं। चुंबकीय प्रभाव के कारण रुद्राक्ष शरीर की अवरुद्ध धमनियों और नसों में रुकावट को दूर करता हैं। रुद्राक्ष में "एंटीबैक्टीरियल" गुण होते हैं स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता हैं। रुद्राक्ष के मोती "डायनामिक पोलेरिटी" गुणों की वजह से एक चुंबक की तरह काम करते हैं आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों की चर्चा हुई हैं।

CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेंख- रूद्राक्ष Rudraksh के माध्यम से जाना कि रूद्राक्ष के कितने रूप होते हैं, रूद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुईं और कैसे रूद्राक्ष हमरी सेहत के लियें जरूरी हैं। इस बारें में विस्तृत रूप से आपको अवगत करवाया हैं।

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