Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji...

हमनें हमारें लेखों के माध्यम से बहुत विशाल मन्दिरों के बारें में जाना इसके साथ साथ दक्षिण भारत के मन्दिर जैसे कि मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर- मीनाक्षी अम्मां मन्दिर, रामेश्वरम मन्दिर का महत्व-रामेश्वरमधाम, एकाम्बरेश्वर मन्दिर कांचीपुरम, वरदराजा पेरुमल मन्दिर और श्रीकालाहस्ती मन्दिर आन्ध्रप्रदेश के बारें में विस्तृत रुप से जाना इसी क्रम को आगें बढ़ाते हुए आज हम विश्व प्रसिद्ध विशाल मन्दिर Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji तिरुपति बालाजी मन्दिर- वेंकटेश्वर बालाजी के बारें में सम्पूर्णं रूप से जानेंगे तो आयें जानेते हैं-

Tirupati Balaji Mandir Venkateswara Balaji

Tirupati Balaji Mandir Venkateswara Balaji तिरुपति बालाजी मन्दिर वेंकटेश्वर बालाजी...

Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: तिरुपति बालाजी मंदिर वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल हैं। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक हैं यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित हैं। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना "श्री वैंकटेश्‍वर मंदिर" यहां का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र हैं। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को "त्रिवेंगदम" कहा गया हैं। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं लेकिन यह स्पष्ट हैं कि- 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता हैं- कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था।

1. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास History of Tirupati Balaji Temple:-

Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: माना जाता हैं-तिरुपति बालाजी मन्दिर- वेंकटेश्वर बालाजी का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता हैं जब काँच‍ीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था। परंतु 15वीं सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मन्दिर की ख्याति सीमित रही। 15वीं सदी के पश्चात इस मन्दिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलनी शुरू हो गई।1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मन्दिर का प्रबंधन "हातीरामजी मठ" के महंत ने संभाला। हैदराबाद के मठ का भी सहयोग इसमें रहा। 1933 में तिरुपति बालाजी मन्दिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति "तिरुमाला-तिरुपति" के हाथ में इस मन्दिर का प्रबंधन सौंप दिया। आंध्रप्रदेश के राज्य बनने के पश्चात इस समिति का पुनर्गठन हुआ और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया।

2. तिरुपति बालाजी मन्दिर की मान्यता Recognition of Tirupati Balaji Temple:-

Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: 1. इस मन्दिर के विषय में एक मान्यता इस प्रकार से हैं- प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी भगवान विष्णु अवतार ही हैं। ऐसा माना जाता हैं- कि प्रभु विष्णु! ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था। यह सरोवर तिरुमाला के पास स्थित हैं, तिरुमाला-तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियाँ शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं "सप्तगिर‍ि" कहलाती हैं। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित हैं जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध हैं। ये सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कहीं जातीं हैं। इन चोटियों को "शेषाद्रि" "नीलाद्री" "गरूड़ाद्रि" "अंजनाद्रि" "वृषटाद्रि" "नारायणाद्रि" और "व्यंकटाद्रि" कहा जाता हैं। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं, इसी कारण से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता हैं।

Tirupati Balaji Mandir Venkateswara Balaji

Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: 2. वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार- 11वीं शताब्दी में संत रामानुज ने तिरुपति की इस सातवीं पहाड़ी पर चढ़ कर गये थे। "प्रभु श्रीनिवास" "वेंकटेश्वर का दूसरा नाम" उनके समक्ष प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता हैं कि- प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात वे 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहे और जगह-जगह घूमकर वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाई। वैकुंठ एकादशी के अवसर पर लोग यहाँ पर प्रभु के दर्शन के लिए आते हैं जहाँ पर आने के पश्चात उनके सभी पाप धुल जाते हैं। मान्यता हैं कि- यहाँ आने के पश्चात व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती हैं। इसके अंतर्गत श्रद्धालु प्रभु को अपने केश समर्पित करते हैं जिससे अभिप्राय हैं कि- वे केशों के साथ अपना दंभ व घमंड छोड़ देते हैं ओर मानव योनी मे जन्म और समस्त  पीढी की तरफ से कृतज्ञता हेतु केश समर्पिण किया जाता हैं। पुराने समय में यह संस्कार घरों में ही नाई के द्वारा संपन्न किया जाता था पर समय के साथ-साथ इस संस्कार का भी केंद्रीकरण हो गया और मंदिर के पास स्थित "कल्याण कट्टा" नामक स्थान पर यह सामूहिक रूप से संपन्न किया जाने लगा। अब सभी नाई इस स्थान पर ही बैठते हैं केशदान के पश्चात यहीं पर स्नान करते हैं और फिर पुष्करिणी में स्नान के पश्चात मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं।

CONCLUSION- हमनें आज हमारे लेख- Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji तिरुपति बालाजी मन्दिर- वेंकटेश्वर बालाजी में इस मन्दिर के इतिहास और मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारें में विस्तृत रूप से आपको अवगत करवाया हैं आशा करते हैं कि- आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा धन्यवाद।

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