Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji...
हमनें हमारें लेखों के माध्यम से बहुत विशाल मन्दिरों के बारें में जाना इसके साथ साथ दक्षिण भारत के मन्दिर जैसे कि मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर- मीनाक्षी अम्मां मन्दिर, रामेश्वरम मन्दिर का महत्व-रामेश्वरमधाम, एकाम्बरेश्वर मन्दिर कांचीपुरम, वरदराजा पेरुमल मन्दिर और श्रीकालाहस्ती मन्दिर आन्ध्रप्रदेश के बारें में विस्तृत रुप से जाना इसी क्रम को आगें बढ़ाते हुए आज हम विश्व प्रसिद्ध विशाल मन्दिर Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji तिरुपति बालाजी मन्दिर- वेंकटेश्वर बालाजी के बारें में सम्पूर्णं रूप से जानेंगे तो आयें जानेते हैं-
Tirupati Balaji Mandir Venkateswara Balaji तिरुपति बालाजी मन्दिर वेंकटेश्वर बालाजी...
1. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास History of Tirupati Balaji Temple:-
Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: माना जाता हैं-तिरुपति बालाजी मन्दिर- वेंकटेश्वर बालाजी का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता हैं जब काँचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था। परंतु 15वीं सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मन्दिर की ख्याति सीमित रही। 15वीं सदी के पश्चात इस मन्दिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलनी शुरू हो गई।1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मन्दिर का प्रबंधन "हातीरामजी मठ" के महंत ने संभाला। हैदराबाद के मठ का भी सहयोग इसमें रहा। 1933 में तिरुपति बालाजी मन्दिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति "तिरुमाला-तिरुपति" के हाथ में इस मन्दिर का प्रबंधन सौंप दिया। आंध्रप्रदेश के राज्य बनने के पश्चात इस समिति का पुनर्गठन हुआ और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया।
2. तिरुपति बालाजी मन्दिर की मान्यता Recognition of Tirupati Balaji Temple:-
Tirupati Balaji Mandir-Venkateswara Balaji: 1. इस मन्दिर के विषय में एक मान्यता इस प्रकार से हैं- प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी भगवान विष्णु अवतार ही हैं। ऐसा माना जाता हैं- कि प्रभु विष्णु! ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था। यह सरोवर तिरुमाला के पास स्थित हैं, तिरुमाला-तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियाँ शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं "सप्तगिरि" कहलाती हैं। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित हैं जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध हैं। ये सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कहीं जातीं हैं। इन चोटियों को "शेषाद्रि" "नीलाद्री" "गरूड़ाद्रि" "अंजनाद्रि" "वृषटाद्रि" "नारायणाद्रि" और "व्यंकटाद्रि" कहा जाता हैं। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं, इसी कारण से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता हैं।
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