आज हम हमारे लेख में मां शक्ति के विषय में आपने लेख के माध्यम से बतानें जा रहें। यूं तो हमनें हमारे लेखों में शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा, ज्ञान की देवी सरस्वती, धन की देवी महालक्ष्मी के बारें में आप सभी को हमारे लेखों के माध्यम से बताया भी हैं। आज हम जानेंगे कि- कौन सी शक्ति सर्वत्र व्याप्त हैं और उसका स्वरूप क्या हैं ? सारी जगत सृष्टि! इस अर्थ में- 'शक्ति के विस्तार का कल्पनातीत जीवन रूप हैं' जिसमें अधिष्ठात्री मात्र स्वरूपा भगवती पराम्बा हैं।
आगम शास्त्र के दोनों रूपों में अर्थात 'शैवागम' और 'शाक्तागम' में शिव शक्ति आराधना के विविध रूप, पद्धतियां और अनुष्ठान तथा तत्संबंधी मंत्रों का एक विशाल संसार रचा गया हैं, यहीं शक्ति स्तम्भ हैं। शक्ति उपासना में बहुत सी बातों का ध्यान रखना भी हमारा कर्तव्य हैं- जैसे कि आसन, वस्त्र, भोजन और जीवन शैली के बारें में हमें शक्ति उपासना से पहले पूर्ण विचार कर लेना चाहिए। अन्यथा इसका विपरीत असर पड़ सकता हैं। अतः हम अपने लेख के माध्यम से आपको बतानें जा रहें हैं कि वो कौन सी बातें हैं जो हमारे लिए विचारणीय हैं तो आयें जानेतें हैं- हमारे इस लेख के माध्यम से जिसका शीर्षक हैं- Shakti Upaasana Mein Vichaaraneey Baaten शक्ति उपासना में विचारणीय बातें तो आयें जानेतें हैं इस विषय में ओर विस्तार से-
Shakti Upaasana Mein Vichaaraneey Baaten:शक्ति उपासना में विचारणीय बातें-
Shakti Upaasana Mein Vichaaraneey Baaten: शक्ति उपासना में विचारणीय बातें क्या हैं ? इस पहले हम आपको एक बात ओर बताना जा रहें हैं कि सच्ची उपासना का क्या अर्थ हैं ? व्यर्थ की पूजा के विपरीत सच्ची पूजा आज्ञाकारिता, स्तुति, सम्मान, आराधना और कृतज्ञता की कोई भी अभिव्यक्ति हैं जो एक पुनर्जीवित आत्मा द्वारा सच्चे ईश्वर को दी जाती हैं जो ईश्वर के बारे में सच्चाई जानता हैं और उससे प्यार करता हैं। उपासना का अंतिम लक्ष्य क्या हैं ? शुध्दिकरण या सीधे शब्दों में कहें तो- परमेश्वर के लोगों को शुध्द बनानें की शास्त्रींयें या शास्त्रों की अवधारणा हैं।
याद रखें- पवित्र या शुध्द का अर्थ केवल अलग होना हैं इसलियें पूजा का उद्देश्य हमें ऐसे लोगों के रूप में आकार देना भी हैं जो अन्य लोगों से अलग हैं जिन्हें परमेश्वर और उनके उद्देश्य के लियें अलग रखा गया हैं। आप ये भी जानें कि- सच्ची उपासना की शक्ति क्या हैं ? सच्ची उपासना की शक्ति अलग-अलग तरीकों के बारे में हैं- जिसमें ईश्वर की आराधना की जाती हैं। हमारे जीवन के लियें ईश्वर की इच्छा शुद्ध, पवित्र और सच्ची हैं। वह एक अलौकिक प्राणी हैं जो बुद्धिमान हैं, ईश्वर सर्वशक्तिशाली अत: हमें सदा ईश्वर की उपासना करनी चाहियें क्योंकि "आदि भी वहीं और अन्त भी वहीं" हैं। विषय को लम्बा न करते हुए जानेंगे शक्ति उपासना में विचारणीय बातों के बारे में-
देवी की प्राण-
प्रतिष्ठा हमेशा सूर्य के दक्षिण में रहने पर ही होती हैं। "
माघ व आश्विन मास" में देवी की प्रतिष्ठा सब कार्यो के लिए प्रशस्त मानी गई हैं। एक घर में तीन शक्ति देवी प्रतिमाओं की पूजा नहीं होती हैं। देवीपीठ पर वंशीवाघ,
शहनाई व माधुरी भूल कर भी न बजावें। भगवती दुर्गा का आह्वान बिल्वपत्र,
बिल्वशाखा,
त्रिशूल या श्रीफल पर किया जा सकता हैं परन्तु दूर्वा से भगवती की पूजा कभी न करें। देवी को केवल रक्त कनेर और नाना सुगंधित पुष्प प्रिय हैं,
सुगन्धिहीन व विषैले पुष्प देवी पर कभी ना चढ़ावें। नवरात्रि में कलश स्थापना व अभिषेक के कार्य केवल दिनों में होता हैं "
रुद्रयामल" के अनुसार मध्यरात्रि में देवी के प्रति किया गया हवन शीघ्र फलदायी व सुखकर होता हैं। भगवती की प्रतिमा हमेशा रक्त वस्त्र से वेष्टित होती हैं। देवी पूजनकाल में साधक यम नियमों का पालन करते हुये निराहार व्रत रखें व पाठ के तत्काल बाद दुग्ध पान करें तो भगवती शीध्र प्रसन्न होती हैं। देवी उपासक के गले तथा गोमुखी में रुद्राक्ष व मूंगे की माला अवश्य होनी चाहिये। देवी प्रतिमा की केवल एक प्रदक्षिणा ही होती हैं। देवी कवच से शरीर की रक्षा होती हैं। नोट:- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचाग, प्रवचन, धार्मिक मान्यताओं, थर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेंख- Shakti Upaasana Mein Vichaaraneey Baaten के माध्यम से बताया की शक्ति उपासना में हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए हमें आशा हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा धन्यवाद।
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