निर्जला एकादशी व्रत-कथा-महत्व- Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva ...

हिन्दू सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार वर्ष में चौबीस एकादशियां होती हैं। हमने हमारें पिछले लेखों में बहुत सी एकादशीयों के बारें में विस्तृत रूप में आपको बताया। ये लेख हैं- विजया एकादशी, देवशयनी एकादशी और मोहनी एकादशी इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज हम हमारे लेख- निर्जला एकादशी व्रत, कथा, महत्व Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva बतानें जा रहें हैं तो आयें जानेतें हैं इस लेख के माध्यम से-

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva

निर्जला एकादशी व्रत-कथा-महत्व-Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva...

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva: निर्जला एकादशी जैसा कि नाम से पता चल जाता हैं कि- निर्जला का शाब्दिक अर्थ हैं कि नीर के बिना अर्थात जल के बिना इस एकादशी व्रत के दिन भक्त बिना जल पीये ही उपवास का पालन करते हैं। इस उपवास के दौरान भक्त भोजन भी ग्रहण नहीं करता। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार- निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाईं जाती हैं और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार- यह दिन जून के महीने में आता हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार- निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने वाले को अन्य सभी चौबीस एकादशियों के पुण्य की प्राप्ति होती हैं। भक्त अपने सभी पापों से छुटकारा पा सकता हैं।

1. एकादशी व्रत का विशेष महत्व Ekadashi Vrat ka Vishesh Mahatva:-

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता हैं। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु "श्रीहरि" की पूजा को समर्पित एक व्रत हैं। पूरे साल में कुल 24 और अधिकमास होनें पर 26 एकादशी होती हैं। इन सभी एकादशियों को अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं और सभी का अपना-अपना विशेष महत्व होता हैं। इनमें से एक एकादशी ऐसी होती हैं जिसे सनातन धर्म में श्रेष्ठ उत्तम और कठिन कठोर व्रतों में से एक माना गया हैं। अत: इसे हम निर्जला एकादशी के नाम से भी जानेंतें  हैं।

निर्जला एकादशी को "भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी" भी कहते हैं। इसे भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी क्यों कहतें हैं? इसे हम हमारे इस लेख में कथा के माध्यम से जानेंगे मान्यता हैं कि- ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी 24 एकादशी व्रत के पुण्यफल के समान ही पुण्य प्राप्त होता हैं। अगर आप सभी एकादशी का व्रत रखने में सक्षम नहीं हैं तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत भी रख सकते हैं इससे भी भगवान विष्णु की कृपा आपको प्राप्त होती हैं। जानते हैं इस साल कब रखा जायेंगा निर्जला एकादशी का व्रत और क्यों अन्य एकादशियों में श्रेष्ठ मानी जाती हैं।

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva

2. निर्जला एकादशी की व्रत कथा Nirjala Ekadashi ki Vrat Katha:-

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva: पौराणिक कथा के अनुसार- महाभारत काल में एक बार पांडव पुत्र महाबली भीम के महल वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी आए हुए थे। भीम ने देवव्यास जी से पूछा- हे मुनिश्रेठ ! आप तो सर्वज्ञ हैं और सबकुछ जानते हैं कि मेरे परिवार में युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, कुंती, द्रोपदी सभी एकादशी का व्रत रखते हैं और मुझे भी व्रत रखने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं हर महीने एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ हूं क्योंकि मुझे अत्यधित भूख लगती हैं इसलिये आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं- जिससे मुझे एकादशी के व्रत के समान फल की प्राप्ति हो।

वेदव्यास जी ने कहा- हे भीमसेन! स्वर्गलोक की प्राप्ति और नरक से मुक्ति के लिए एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। भीम ने कहा- हे मुनिश्रेठ! पर्याप्त भोजन के बाद भी मेरी भूख शांत नहीं होती ऐसे में केवल एक समय के भोजन करने से मेरा काम नही चल पाएगा।

वेद व्यास जी ने कहा- हे भीमसेन! तुम ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो इसमें केवल एक दिन अन्न-जल का त्याग करना होता हैं इसमें व्रतधारी को एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना खाए-पिए रहना होता हैं, मात्र इस एक एकादशी के व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादशियों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होगी। व्यास जी के आज्ञानुसार- भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया और इसके बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

3. निर्जला एकादशी पूजा विधि  Nirjala Ekadashi Puja Vidhi:-

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva: 1. निर्जला एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें 2. सबसे पहले पूजाघर में घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें 3. भगवान विष्णु की पूजा के लियें सबसे पहले गंगाजल से अभिषेक करें 4. फिर चंदन और हल्दी से तिलक करें, फूल, पीले वस्त्र, पीला जनेऊ, अक्षत, नैवेद्य, तुलसीदल आदि अर्पित करें और 5. सात्विक चीजों का भोग लगाएं, धूप-दीप जलाकर निर्जला एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें 6. इसके बाद आखिर में आरती करें- इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मीजी की पूजा भी जरूर करें और इस दिन अन्न-जल दोनों का त्याग करें

4. निर्जला एकादशी का महत्व Nirjala Ekadashi Mahatv:-

Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva: मान्यता अनुसार-  इस दिन व्रत रखने पूजा और दान करने से व्रती का जीवन सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता हैं लेकिन इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं जिसमें व्रत रखकर साल भर की एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता हैं। यह हैं- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती हैं। जिसे सनातन धर्म में निर्जला एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं।

FAQ-

1. एकादशी के दिन हमें क्या करना चाहियें ?

व्रत का संकल्प लियें महिला, पुरुष को निर्जला एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर नहायें और स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाये। भगवान विष्णु के सामने व्रत और दान का संकल्प लेना चाहियें। दिन भर कुछ नहीं खाना चाहियें इस दिन मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर दान करना चाहियें, किसी मन्दिर में फल  "खरबूजा, मतीरा, खीरा, आम" इत्यादि का दान करना चाहियें वस्तु में चीनी, शरबत भी दान किया जा सकता हैं।

2. निर्जला एकादशी के दिन गाय को क्या खिलाना चाहियें ?

निर्जला एकादशी के दिन गाय को गुड़, रोटी, हरा चारा, आटे से निकली चापड़ खिलाना चाहियें, ये सामग्री खिलाने के बाद गाय माता को पानी अवश्य पिला दे व्रत का उद्देश्य अवश्य ही पूर्ण होगा

3. निर्जला एकादशी के नियम क्या हैं ?

निर्जला एकादशी व्रत में भक्तों को 1. एक दिन पहले ही अर्थात दशमीं तिथि को शाम को भोजन नहीं करना चाहियें 2. इस दिन केवल फल और तरल खाद्य पदार्थ जैसे पानी और जूस आदि ही ग्रहण करें, 3. अगले दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें, 4. उसके बाद घर के पूजा स्थल पर जाकर व्रत का संकल्प लें।

4. निर्जला एकादशी में दूध पी सकते हैं क्या ?

नहीं, निर्जला एकादशी के दिन दूध नहीं पीना चाहियें यूँ तो निर्जला एकादशी का व्रत पुरुष और महिला दोनों ही रख सकते हैं, इसके लियें कोई आयु सीमा नहीं होती हैं। इस दिन दूध व पानी पीना वर्जित होता हैं, क्योंकि दूध, दहीशहद से सूर्योदय से पहले उठकर भगवान विष्णुजी को स्नान कराया जाता हैं। इसीलियें निर्जला एकादशी के दिन दूध, दही व पानी का सेवन नहीं करना चाहियें।

5. निर्जला एकादशी के दिन पानी कब पीना चाहियें ?

शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहियें और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण (भोजन के समय) जल ग्रहण करना चाहियें, यह बात जानेंना अत्यंत ही आवश्यक हैं, जिसने ये व्रत करने का संकल्प लिया हो।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

CONCLUSION- आज हमनें हमारें लेंख- निर्जला एकादशी व्रत कथा महत्व Nirjala Ekadashi Vrat Katha Mahatva के माध्यम से जाना कि इस एकादशी का विशेष महत्व क्या हैं? एकादशी व्रत की कथा क्या हैं? एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या हैं? और एकादशी के महत्व के बारें में विस्तृत रूप से आपको बताया। आशा करते हैं कि ये लेख आप सभी को पसंद आया होगा धन्यवाद।

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