नीच भंग राजयोग ! Neech Bhang Rajyog...

आज हम हमारें ज्योतिष Astrology विषय के खण्ड में आपको नीचभंग राजयोग के विषय में जानकारी उपलब्ध करवायेंगे। ये योग अत्यंत महत्वपूर्ण योग होता हैं जब ये योग जातक की कुण्डली में होता हैं तो ये योग राजा को रंक और रंक को राजा बना देता हैं। ज्योतिषानुसार- ये एक ऐसा प्रबल राजयोग हैं जो यदि किसी जातक की कुण्डली में उपस्थित हो तो उस जातक कठिन से कठिन परिस्थितियों से निकाल कर राजा के समान धन संपदा देने में सक्षम होता हैं। वर्तमान समय में नीच भंग राजयोग काफी प्रभावित करने वाला माना जाता हैं और इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता हैं। जिस जातक की कुण्डली में नीच राशि में कोई ग्रह विद्यमान हो तो उसे बुरा फल देने वाला ग्रह माना लिया जाता हैं।

जबकि इतना जल्दबाजी करना उचित नहीं होता बल्कि पूरी कुण्डली का विश्लेषण कर के कईं बार यह स्थिति जानी जा सकती हैं कि उस कुंडली में वह ग्रह नीच अवस्था के फल दे ही नहीं रहा अपितु राजयोग का निर्माण कर रहा हैं। ऐसा उसी स्थिति में सम्भव हो सकता हैं जब उस ग्रह का प्रभाव नीच भंग राजयोग की स्थिति में परिवर्तित हो चुका हो।

Neech Bhang Rajyog

नीच भंग राजयोग ! Neech Bhang Rajyog...

Neech Bhang Rajyog: हमनें हमारें पिछले लेखों जैसे बुधादित्य राजयोग, महा विपरीत राजयोग, भद्रा राजयोग और गज लक्ष्मी योग के माध्यम से सभी प्रकार के राजयोग के बारे में विस्तृत रूप से आपको जानकारी उपलब्ध करवाई गई हैं जिसे आपने बहुत प्यार दिया और हमें इस बारें में और लिखने के लिए प्रेरित किया आज हम आपको हमारे लेख- नीच भंग राजयोग Neech Bhang Rajyog के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करवायेंगे तो आयें जानेतें हैं इस विषय के बारे में- नीच भंग राजयोग- ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी उसे देख रहा हो या जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा हो। उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर युति बनाता हैं तो उसे भंग राजयोग कहतें हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार- कुण्डली में यह योग बनने पर जातक को सभी सुखों की प्राप्ति करते हैं।
इसके अलावा 21तरह के अन्य योग भी होते हैं जो कि इस प्रकार से हैं- अखंड साम्राज्य योग, अमला योग, भद्र योग, धन योग, गज केसरी योग, ग्रहण योग, गुरु- मंगल योग, हंस योग, काहल योग, कलानिधि योग, कोटिपति योग, महाभाग्य योग, मालव्य योग, नीचभंग राजयोग, पंच महापुरुष योग, रूचक योग, शश योग, शुभ कर्तरी योग, शकट योग, विपरीत राजयोग, शुक्र योग, चंद्र मंगल योग, जिनके बारे में हम अन्य लेखों के माध्यम से जानेंगे:- 

1. नीच भंग राजयोग Neech Bhang Rajyog:-

Neech Bhang Rajyog: ज्योतिष के अनुसार- कुण्डली में ग्रह उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, स्व राशि, मित्र राशि, सम राशि, शत्रु राशि और नीच राशि में उपस्थित होता हैं। इस प्रकार उच्च राशि में ग्रह के होने पर शुभ प्रभाव पड़ता हैं और नीच राशि में होने पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं। लेकिन कई बार कोई नीच ग्रह इस तरह बैठा होता हैं कि उसकी नीच अवस्था समाप्त हो जाए और वह प्रबल तौर पर राजयोग कारक ग्रह बन जाए तो उसे वैदिक ज्योतिष में नीचभंग राजयोग "Neech Bhang Rajyog in Astrology" कहते हैं। इस योग में रंक को राजा बनाने की क्षमता हैं। इसे हम इस चार्ट के माध्यम से जाना सकते हैं। कुण्डली में ग्रहों की स्थिति:-

1. ग्रह ➜ सूर्य  उच्च राशि➜ मेष  नीच राशि ➜ तुला 

2. ग्रह ➜ चन्द्रमा उच्च राशि➜ वृषभ  नीच राशि ➜ वृश्चिक 

3. ग्रह ➜ मंगल  उच्च राशि➜  मकर नीच राशि ➜ कर्क 

4. ग्रह ➜ बुध  उच्च राशि➜ कन्या  नीच राशि ➜  मीन 

5. ग्रह ➜बृहस्पति उच्च राशि➜ कर्क  नीच राशि ➜ मकर 

6. ग्रह ➜ शुक्र उच्च राशि➜ मीन नीच राशि ➜ कन्या 

7. ग्रह ➜ शनि उच्च राशि➜  तुला  नीच राशि ➜ मेष

2. कुण्डली में नीच भंग राजयोग का निर्माण Kundali May Neech Bhang Rajyog Ka Nirman:-

Neech Bhang Rajyog: यदि किसी कुण्डली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह रखा जाता हैं तो कुण्डली  में नीचभंग राजयोग बनता हैं। उदाहरण के लिए यदि शुक्र और बुध को मीन राशि में रखा जाता हैं जहां बुध दुर्बल हैं और शुक्र उच्च हैं तो नीचभंग राजयोग बनता हैं। यदि किसी कुण्डली  में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि का स्वामी लग्न भाव या चंद्रमा से केंद्र स्थान में तो कुण्डली में नीचभंग राजयोग बनता हैं। उदाहरण के तौर पर बृहस्पति की नीच राशि मकर हैं और मकर का स्वामी शनि यदि चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं।

  1. यदि किसी कुण्डली  में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो और उस राशि में उच्च होने वाला ग्रह चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं। उदाहरण के लिए शनि की नीच राशि मेष हैं और सूर्य की उच्च राशि मेष हैं। सूर्य चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो इस राजयोग का निर्माण होता हैं।
  2. यदि किसी कुण्डली में नीच ग्रह के स्वामी की दृष्टि भी किसी नीच ग्रह पर हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं। जैसे- बुध की नीच राशि मीन हैं और मीन का स्वामी गुरु  हैं और गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं।
  3. यदि किसी कुण्डली में किसी ग्रह की नीच राशि का स्वामी और उसकी उच्च राशि का स्वामी परस्पर केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं। उदाहरण के तौर पर मंगल की नीच राशि का स्वामी चंद्रमा  हैं और मंगल की उच्च राशि का स्वामी शनि हैं। दोनों परस्पर केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता  हैं।
  4. इसके अलावा यदि किसी कुण्डली  में नीच का ग्रह वक्री हो तो नीचभंग राजयोग बनता हैं।
  5. यदि नीच ग्रह कुण्डली में नौवें घर में उच्च का  हैं तो नीचभंग राजयोग बनता हैं।

नोट:- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचाग, प्रवचन, धार्मिक मान्यताओं, थर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION:-आज हमनें हमारें लेख- नीच भंग राजयोग Neech Bhang Rajyog के माध्यम से जाना कि जातक की कुण्डली में नीच भंग राजयोग का कैसे निर्माण होता हैं और इसके प्रभावों से जातक कैसे प्रभावित होता हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आयेगा और आप इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी शेयर करेंगे धन्यवाद।

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