श्रीकालाहस्ती मंदिर आन्ध्रप्रदेश चित्तूर !Srikalahasti Temple Andhra Pradesh Chittoor...

हमने हमारें पिछले लेखों के माध्यम से आप सभी को विश्व प्रसिद्ध भारतीय मंदिरो के माध्यम से आपको बहुत सी जानकारियां उपलब्ध करवाई ये लेख इस प्रकार से हैं काशी विश्वनाथ मंदिर, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर, मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, और तिरूपति बालाजी मंदिर इन मंदिर के बारे में हमने हमारें लेखों के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारियां इन सनातनी मंदिर के बारे में आपको उपलब्ध करवाई हैं ये क्रम ना टूटें इसलिए हम आपको विश्व प्रसिद्ध एक ओर सनातनी मंदिर के बारे में आपको बतानें जा रहें हैं। 

ये मंदिर भारत देश के आन्ध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में स्थित हैं। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मंदिर हैं इस मंदिर की भोगौलिक स्थिति इस प्रकार से हैं- भारत देश के आन्ध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में तिरूपति शहर के नजदीक श्री कालाहस्ती नामक कस्बे में पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णा मुखी नदी के तट पर बसा हैं। इसे कालहस्ती के नाम से भी जाना जाता हैं। दक्षिण भारत में स्थित भगवान शिव के तीर्थ स्थानों में इस स्थान का विशेष महत्व हैं ये मंदिर नदी तट से लेकर पर्वत की तलहटी तक फैला हैं तो आयें जानेतें हैं-श्रीकालाहस्ती मंदिर आन्ध्रप्रदेश चित्तूर के बारे में-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh

श्रीकालाहस्ती मंदिर आन्ध्रप्रदेश चित्तूर ! Srikalahasti Temple Andhra Pradesh Chittoor...

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: लगभग 2000 वर्षों से इसे "दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी" के नाम से भी जाना जाता हैं मंदिर के पार्श्व में तिरुमलय की पहाड़ी दिखाई देती हैं और मंदिर का शिखर विमान दक्षिण भारतीय शैली का सफ़ेद रंग में बना हैं। इस मंदिर के तीन विशाल गोपुरम हैं जो स्थापत्य की दृष्टि से अनुपम हैं। मंदिर में सौ स्तंभों वाला मंडप हैं जो अपने आप में अनोखा हैं अंदर सस्त्रशिवलिंग भी स्थापित हैं जो यदा कदा ही दिखाई देते हैं यहां भगवान "कालहस्तीश्वर" के संग "देवी ज्ञानप्रसूनअंबा" भी स्थापित हैं देवी की मूर्ति परिसर में दुकानों के बाद मुख्य मंदिर के बाहर ही स्थापित हैं। मंदिर का अंदरूनी भाग 5वीं शताब्दी का बना हैं और बाहरी भाग बाद में 12वीं शताब्दी में निर्मित हैं।

1. स्कन्द पुराण, शिवपुराण, लिंग पुराण के अनुसार कथा Skand Puran Shiv Puran Ling Puran Ke Anusar Katha:-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: मान्यता अनुसार- इस स्थान का नाम तीन पशुओं श्री यानी मकड़ी, काल यानी सर्प तथा हस्ती यानी हाथी के नाम पर किया गया हैं। ये तीनों ही यहां शिव की आराधना करके मुक्त हुए थे एक जनुश्रुति के अनुसार- मकड़ी ने शिवलिंग पर तपस्या करते हुए जाल बनाया था और सांप ने लिंग से लिपटकर आराधना की और हाथी ने शिवलिंग को जल से स्नान करवाया था यहाँ पर इन तीनों पशुओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। श्रीकालहस्ती का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता हैं। स्कंद पुराण के अनुसार- एक बार इस स्थान पर अर्जुन ने प्रभु कालहस्तीवर का दर्शन किया था तत्पश्चात पर्वत के शीर्ष पर भारद्वाज मुनि के भी दर्शन किए थे कहते हैं- कणप्पा नामक एक आदिवासी ने यहाँ पर भगवान शिव की आराधना की थी यह मंदिर "राहुकाल पूजा" के लिए विशेष रूप से जाना जाता हैं ये मंदिर "वायु तत्व" को समर्पित एक मंदिर हैं। 

2. जनुश्रुति अनुसार एक कथा Janushruti Anusar Ek Katha:-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: कहते हैं कि- नील और फणेश नाम के दो भील आदिवासी लड़के थे उन्होंने शिकार खेलते समय वन में एक पहाड़ी पर भगवान शिव की लिंग मूर्ति देखी नील उस मूर्ति की रक्षा के लिए वही रूक गया और फणीश लौट आया नील ने पूरी रात मूर्ति का पहरा इसलिए दिया ताकि कोई जंगली पशु उसे नष्ट न कर दे सुबह वह वन में चला गया दोपहर के समय जब वह लौटा तो उसके एक हाथ में धनुष दूसरें में भुना हुआ मांस मस्तक के केशो में कुछ फूल तथा मुंह में जल भरा हुआ था। उसके हाथ खाली नहीं थे इसलिए उसने मुख के जल से कुल्ला करके भगवान को स्नान कराया पैर से मूर्ति पर चढ़े पुराने फूल व पत्ते हटाएं बालों में छिपाए फूल मूर्ति पर गिराए तथा भुने हुए मांस का टुकडा भोग लगाने के लिए रख दिया। दूसरे दिन नील जब जंगल गया तो वहां कुछ पुजारी आए उन्होंने मंदिर को मांस के टूकड़ों से दूषित देखा उन्होंने मंदिर की साफ सफाई की तथा वहां से चले गए इसके बाद यह रोज का क्रम बन गया नील रोज जंगल से यह सब सामग्री लाकर चढ़ाता और पुजारी उसे साफ कर जाते। 

एक दिन पुजारी एक स्थान पर छिप गए ताकि उस व्यक्ति का पता लगा सके जो रोज रोज मंदिर को दूषित कर जाता हैं। उस दिन नील जब जंगल से लौटा तो उसे मूर्ति में भगवान के नेत्र दिखाई दिए एक नेत्र से खून बह रहा था नील ने समझा कि- भगवान को किसी ने चोट पहुचाई हैं वह धनुष पर बाण चढ़ाकर उस चोट पहुंचाने वाले व्यक्ति को ढूंढने लगा जब उसे कोई नही मिला तो वह कई प्रकार की जड़ी बूटियां ले आया तथा वह भगवान की आंख का उपचार करने लगा परंतु रक्त धारा बंद न हुई तभी उसे अपने बुजुर्गों की एक बात याद आई- ''मनुष्य के घाव पर मनुष्य का ताजा चमड़ा लगा देने से घाव शीघ्र भर जाता हैं'' नील ने बिना हिचक बाण की नोक घुसाकर अपनी एक आंख निकाली तथा उसे भगवान के घायल नेत्र पर रख दिया मूर्ति के नेत्र से रक्त बहना तत्काल बंद हो गया छिपे हुए पुजारियों ने जब यह चमत्कार देखा तो वह दंग रह गए तभी मूर्ति की दूसरी आंख से रक्त धारा बहने लगी नील ने मूर्ति की उस आंख पर अपने पैर का अंगूठा टिकाया ताकि अंधा होने के बाद वह टटोलकर उस स्थान को ढ़ूंढ़ सके इसके बाद उसने अपना दूसरा नेत्र निकाला तथा उसे मूर्ति की दूसरी आंख पर लगा दिया- तभी वह स्थान अलौकिक प्रकाश से भर गया भगवान शिव प्रकट हो गए तथा उन्होंने नील का हाथ पकड़ लिया वे नील को अपने साथ शिवलोक ले गए नील का नाम उसी समय से कण्णप्प तमिल में कण्ण नेत्र को कहते हैं पड़ गया। 

पुजारियों ने भी भगवान तथा भोले भक्त के दर्शन किए तथा अपने जीवन को सार्थक किया कण्णप्प की प्रशंसा में आदि शंकराचार्य जी ने एक श्लोक में लिखा हैं- ''रास्ते में ठुकराई हुई पादुका ही भगवान शंकर के अंग झाड़ने की कूची बन गई। आममन (कुल्ले) का जल ही भगवान का दिव्याभिषेक जल हो गया और मांस ही नैवेद्य बन गया। अहो ! भक्ति क्या नहीं कर सकती ? इसके प्रभाव से एक जंगली भील भी भक्तबतंस ''भक्त श्रेष्ठ'' बन गय।।''

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh

3. कैसे पहुंचे कालाहस्ती मंदिर Kaise Pahunche Kalahasti Mandir:-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: यहां का समीपस्थ हवाई अड्डा तिरुपति विमान क्षेत्र हैं जो यहाँ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। मद्रास-विजयवाड़ा रेलवे लाइन पर स्थित गुंटूर व चेन्नई से भी इस स्थान पर आसानी से पहुँचा जा सकता हैं। विजयवाड़ा से तिरुपति जाने वाली लगभग सभी रेलगाड़ियां कालहस्ती पर अवश्य रुकती हैं। आंध्र प्रदेश परिवहन की बस सेवा तिरुपति से छोटे अंतराल पर इस स्थान के लिए उपलब्ध हैं।

4. कालाहस्ती मंदिर की एक दुर्घटना Kalahasti Mandir Ki Ek Durghatna:-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: 26 मई, 2010 को इस मंदिर का 135 फीट ऊंचा गालि गोपुरम ढह गया इस गोपुरम स्तंभ में काफी पहले से ही दरारें आ गयीं थीं और मरम्मत हेतु कई दशकों से प्रयोग में नहीं था इसके स्थान पर नया निर्माण होना भी तय हो चुका था।

5. कालाहस्ती मंदिर की सालाना आय Kalahasti Mandir Ki Salana Aay:-

Srikalahasti Temple Andhra Pradesh: सालाना आय 100 करोड़ रूपए से अधिक हैं मंदिर का शिखर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ हैं जिस पर सफेद रंग का आवरण हैं मंदिर में तीन भव्य गोपुरम हैं- इसके साथ ही सौ स्तंभों वाला मंडप हैं जो स्थापत्य कला के नजरिये से अद्वितीय हैं। मंदिर के अंदर कई शिवलिंग स्थापित हैं भगवान कालहस्तीश्वर व देवी ज्ञानप्रसूनअंबा भी विराजमान हैं इस कालहस्ती मंदिर की सालाना आय 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा हैं। ऐसी मान्यता हैं कि- इस स्थान पर ही अर्जुन ने प्रभु कालहस्ती वर के दर्शन किए थे।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION:-आज हमनें हमारें लेख- श्रीकालाहस्ती मंदिर आन्ध्र प्रदेश चित्तूर Srikalahasti Temple Andhra Pradesh Chittoor के माध्यम से मंदिर के बारे में पुराणों में लिखित कथा जनुश्रुति के अनुसार एक कथा काला हस्ती मंदिर कैसे पहुंचे, मंदिर में हुई एक घटना के बारे में और मंदिर की सालाना आय से सम्बंधित सभी विषयों के बारे में लेख के माध्यम से आपको अवगत कराया आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा धन्यवाद।

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