नागा साधु नागा संन्यासिनी ! Naga Sadhu Naga Sannyasini...

हमनें हमारें पुरानें लेखों के माध्यम से बहुत से मंदिरों और ज्योतिष के विषयों को आपके सामने रखा आज हम आपने इस लेख में सनातनी धर्मं की सबसे पुरानी परम्परा नागा परम्परा के बारें में अपने लेख नागा साधु नागा संन्यासिनी! Naga Sadhu Naga Sannyasini के माध्यम से विस्तृत रूप में इस परम्परा के बारें में जानेंगे तो आयें जानतें हैं- नागा साधु नागा संन्यासिनी हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा "आदिगुरु शंकराचार्य" द्वारा की गयी थी ये साधु प्रायः कुम्भ में दिखायी देते हैं। 

Naga Sadhu Naga Sannyasini

नागा साधु नागा संन्यासिनी ! Naga Sadhu Naga Sannyasini ...

Naga Sadhu Naga Sannyasini: नागा साधुओं को लेकर कुंभ मेले में बड़ी जिज्ञासा और कौतुहल रहता हैं, खासकर विदेशी पर्यटकों में कोई कपड़ा ना पहनने के कारण शिव भक्त नागा साधु ''दिगंबर'' भी कहलाते हैं अर्थात आकाश ही जिनका वस्त्र हो कपड़ों के नाम पर पूरे शरीर पर धूनी की राख लपेटे ये साधु कुम्भ मेले में सिर्फ शाही स्नान के समय ही खुलकर श्रद्धालुओं के सामने आते हैं। आमतौर पर मीडिया से ये दूरी ही बनाए रहते हैं अधिसंख्य नागा साधु पुरुष ही होते हैं कुछ महिलायें भी नागा साधु हैं पर वे सार्वजनिक रूप से सामान्यतः नग्न नहीं रहती अपितु एक गेरुवा वस्त्र लपेटे रहती हैं।

1. नागा साधु नागा संन्यासिनी कैसे बनते हैं How Naga Sadhu becomes Naga Sannyasini?

Naga Sadhu Naga Sannyasini: पिछले कुछ सालों में नागा संन्यासिनियों की संख्या बढ़ी हैं पढ़ी-लिखी लड़कियां भी नागा बन रही हैं लेकिन नागा बनना इतना आसान भी नहीं हैं इसके लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता हैं सबसे पहले एक गुरु बनाना  होता हैं। गुरु शिष्या को जनेऊ, गुरु मंत्र और भगवा चोला देते हैं शुरुआत के 12 साल तक महिला को उसके घर आने-जाने की छूट होती हैं लेकिन धीरे-धीरे उसे मोह-माया का त्याग करना होता हैं। 12 साल पूरा होने के बाद महिला अपने गुरु को बताती हैं कि वह अपने परिवार के बिना रह सकती हैं इसके बाद गुरु महिला से आजीवन ब्रह्मचर्य पालन का वचन लेते हैं।

2. कुंभ के मौके पर विधि-विधान Rituals on the occasion of Kumbh:-

Naga Sadhu Naga Sannyasini: कुंभ के मौके पर विधि-विधान से उसे अखाड़े में प्रवेश दिलाते हैं उसे 5 मीटर का भगवा कपड़ा देते हैं जिसे वह गर्दन के पास से गांठ बांध लेती हैं यही कपड़ा ही उसका वस्त्र होता हैं इसके बाद 16 संस्कार होते हैं इसकी प्रक्रिया भी लंबी होती हैं। महिला को एक दिन उपवास रखना होता हैं अगले दिन उसे गोबर, दही, दूध, हल्दी, भभूत और चंदन से नहलाया जाता हैं फिर मुंडन होता हैं, गोमूत्र पिलाया जाता हैं, गंगा में 108 बार डुबकी लगवाई जाती हैं, इस दौरान मंत्र और हवन जारी रहते हैं। आधी रात को धूणा तपाया ''आग के सामने बैठाना'' जाता हैं। अगले दिन धूप में बिठाया जाता हैं, फिर खुद ही वह अपना पिंड दान करती हैं तब जाकर वह नागा संन्यासिनी बनती हैं। इसके बाद परिवार से उसका नाता-रिश्ता खत्म हो जाता हैं। अब कभी वह अपने घर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं हालांकि अब कुछ लोग कुंभ के दौरान भी अपना गुरु बना कर के नागा संन्यासी बन जाते हैं। 

3. नागा साधु साध्वी बनने से पहले कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं Some questions are asked before becoming a Naga Sadhu Sadhvi:-

1प्रश्न: कौन तुम्हारे बहिन भांजी, कौन तुम्हारी माता कौन तुम्हारे संग चलेगी, कौन करेगी बाता ? 
उत्तर : "धूनी हारी बहिन भांजी धरती हमारी माता विभूति हमारे संग चलेगी रैन करेगी बाता"।
2. प्रश्न: कौन तुम्हारी झोपड़ी क्या तुम्हारे गांव किसके तुम बालक क्या हैं तुम्हारा नाम ? 
उत्तर : "आकाश हमारी झोपड़ी पाताल हमारा गांव अलख पुरुष के हम बालक सत्य हमारा नाम"।  
3प्रश्न: आसन खोलू कड़ासन वांधु सुन्दर काया तुझे बांधू तेरे गुरु को बांधू ये योग कहाँ से पाया ? 
उत्तर : "आसन खोलू कड़ासन खोलू खोलू सुन्दर काया खुद को खोलू अपने गुरु को खोलू योग अगम से पाया"।
4. प्रश्न: कौन दीनों दण्ड कमण्डल कौन दीनों झोल कौन दीनों भगवा वस्त्र कौन पुरुष ब्रहाचारी ? 
उत्तर : "ब्रह्मा दीनों दण्ड कमण्डल विष्णु दीनों झोली महादेव दीनों भगवा वस्त्र अलख पुरुष ब्रहाचारी"।
5. प्रश्न: तुम भी नागे हम भी नागे करे कुम्भ के मेले विना छाल का पेड़ बताओं तुम गुरु हम चेले ? 
उत्तर: हम भी नागे तुम भी नागे करे कुम्भ के मेले बिना छाल के पेड़ केशों को जानो तुम हमारे चेले।
नोटः- जयश्रीकानंद को चार साल पहले गिरनार पीठाधीश्वर बनाया गया वे पहली महिला पीठाधीश्वर हैं देश में अभी तकरीबन 2 लाख महिला नागा संन्यासिनी हैं।

4. पुरुष नागा साधुओं से कितनी अलग होती हैं महिला नागा संन्यासिनी How different are female Naga monks from male Naga monks? 

Naga Sadhu Naga Sannyasini: जयश्रीकानंद के कथनानुसार-  दोनों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता हैं दोनों का पंथ एक ही हैं इष्ट भी एक ही हैं और विधि-विधान भी एक जैसा ही हैं। 12 साल पूरा होने के बाद जहां महिला नागा को ब्रह्मचर्य पालन का वचन देना होता हैं, वहीं पुरुषों का लिंग संस्कार किया जाता हैं, गुरु जोर-जोर से तीन बार उनका लिंग खींचते हैं ताकि आगे कभी उसमें संबंध बनाने की इच्छा नहीं रह जायें। पुरुष नागा हमेशा बिना कपड़ों के रहते हैं जबकि ज्यादातर नागा संन्यासिनी भगवा चोले में रहती हैं। हां कुछ संन्यासिनी बिना वस्त्र के जंगलों और घुफाओं में रहती हैं वे सिर्फ कुंभ के दौरान ही बाहर निकलती हैं।

Naga Sadhu Naga Sannyasini

5. नागा संन्यासी का नाम कैसे तय होता हैं How is the name of a Naga Sannyasini decided?

Naga Sadhu Naga Sannyasini: जयश्रीकानंद बताती हैं- चार जगह लगने वाले कुंभ में इन नागा साधुओं को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। प्रयागराज के कुंभ में नागा साधु बनने वाले को 1. नागा 2. उज्जैन में खूनी नागा 3. हरिद्वार में बर्फानी नागा और 4. नासिक में खिचड़िया नागा कहा जाता हैं पुरुष नागा साधुओं के साथ भी ऐसा ही होता हैं।

6. भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा कौनसा हैं Which is the largest akhada in India?

Naga Sadhu Naga Sannyasini: जूना अखाड़ा देश का सबसे बड़ा और पुरातन अखाड़ा हैं जूना अखाड़े का बजट किसी सरकार की तरह ही होता हैं। देशभर में 9 करोड़ साधु-संन्यासी इससे जुड़े हैं, इनमें महिला साधु-संतों की संख्या 1.75 करोड़ हैं। 2013 में पहली बार इससे महिला नागा संन्यासिनी जुड़ीं थीं सबसे ज्यादा महिला नागा इसी अखाड़े में हैं। इसके अलावा आह्वान अखाड़ा, निरंजन अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा और आनंद अखाड़े में भी महिला नागा हैं।
अखाड़ा ही इनकी देख-रेख करता हैं। जूना अखाड़े की व्यवस्था वैसी हैं, जैसे किसी सरकार की होती हैं। इसमें- 1. अंतरराष्ट्रीय संरक्षक 2. अंतरराष्ट्रीय सभापति 3. महामंत्री 4. सचिव 5. पीठाधीश 6. महामंडलेश्वर 7. थानापति 8. कोतवाल और 9. पुजारी जैसे पद होते हैं। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव नागा बाबा अमृत बताते हैं- 'जूना अखाड़ा तो करोड़ों की चाय पी जाता हैं बजट का कोई आंकड़ा नहीं हैं।' बस यह जान लो कि सरकार के बजट से कम बजट हमारा नहीं हैं। भक्तों का चढ़ावा मिलता हैं कोई महामंडलेश्वर को अपने यहां बुलाता हैं तो वह पैसे देते हैं इसके अलावा बाकी अखाड़े अपनी आय का आधा हिस्सा जूना अखाड़े को देते हैं।

7. क्या पुरुष नागा साधुओं का रहता हैं वर्चस्व Do male Naga Sadhus dominate? 

Naga Sadhu Naga Sannyasini: इसके बारे में नागा संन्यासिनी विद्या गिरी कहती हैं- कुछ साल पहले वे अपने पति के साथ नागा बनी वे कहती हैं 'पैसा देकर अखाड़े में पद मिलते हैं ऐसे में यहां ताकतवर लोगों का ही बोलबाला रहता हैं।' 8वीं सदी में हुई थी नागा साधुओं की शुरुआत 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की इनमें- गोवर्धन पीठ, शारदा पीठ, द्वारिका पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ शामिल हैं। इन पीठों की रक्षा के लिए उन्होंने सशस्त्र शाखाओं के रूप में अखाड़ों की शुरुआत की इन्हीं अखाड़ों के सैनिकों को धर्म रक्षक या नागा कहा जाता था। 
विदेशी आक्रमण के वक्त राजा-महाराजा भी नागा साधुओं की मदद लेते थे। 18वीं सदी में ''अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली'' ने गोकुल पर हमला किया तब नागा साधुओं ने उनसे युद्ध किया था। नागा साधुओं को ''दिगंबर'' भी कहा जाता हैं, दिगंबर यानी जो आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हों नागा साधुओं का अभिवादन मंत्र- "ऊं नमो नारायण" हैं वे त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष, तलवार, शंख, कुंडल, कमंडल, कड़ा, चिमटा, कमरबंध या कोपीन, चिलम, धुनी और भभूत अपने पास रखते हैं कहा जाता हैं कि- नागा महाकाल के उपासक होते हैं। चार जगह लगने वाले कुंभ में नागा साधु बनाए जाते हैं और हर जगह के हिसाब से इन नागा साधुओं को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं प्रयागराज के कुंभ में नागा साधु बनने वाले को नागा उज्जैन में खूनी नागा हरिद्वार में बर्फानी नागा और नासिक में खिचड़िया नागा कहा जाता हैं।
दीक्षा लेने के बाद उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं इनमें कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव के पद होते हैं नागा साधु सुबह चार बजे उठकर नित्य क्रिया क्रम और स्नान के बाद अपना श्रृंगार करते हैं पूरे दिन में एक बार शाम को भोजन करते हैं। भारत की आजादी के बाद इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र त्याग दिया इन अखाड़ों के प्रमुख ने जोर दिया कि उनके अनुयायी भारतीय संस्कृति और दर्शन के सनातनी मूल्यों का अध्ययन और अनुपालन करते हुए संयमित जीवन व्यतीत करें इस समय 13 प्रमुख अखाड़े हैं जिनमें प्रत्येक के शीर्ष पर महन्त आसीन होते हैं इन प्रमुख अखाड़ों का नाम इस प्रकार हैं:-1. श्री निरंजनी अखाड़ा 2. श्री जूनादत्त या जूना अखाड़ा 3. श्री महानिर्वाण अखाड़ा 4. श्री अटल अखाड़ा 5. श्री आह्वान अखाड़ा 6. श्री आनंद अखाड़ा 7. श्री पंचाग्नि अखाड़ा 8. श्री नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा 9.  श्री वैष्णव अखाड़ा 10.  श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा 11. श्री उदासीन नया अखाड़ा 12. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा 13. निर्मोही अखाड़ा

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION:- प्रिये पाठकों आज हमनें हमारें लेख- नागा साधु नागा संन्यासिनी ! Naga Sadhu Naga Sannyasini के माध्यम से आपको बताया कि- नागा साधु नागा संन्यासिनी कैसे बनते हैं, कुंभ के मौके पर क्या क्या विधि-विधान होते हैं, किस प्रकार नागा साधु, साध्वी बनने से पहले कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं, किस प्रकार से पुरूष नागा साधुओं से अलग होती हैं नागा संन्यासिनियां, नागा संन्यासी का नाम कैसे तय होता हैं, भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा कौनसा हैं और साथ साथ ये भी जाना कि क्या पुरुष नागा साधुओं का वर्चस्व हैं। ये सभी जानकारियां इस लेख में उपलब्ध हैं जोकि आपके लिए रोचक व ज्ञानवर्धक होगी।  

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