महाशिवरात्रि शिव की रात्रि !Mahashivaratri Shiv Ki Ratri...

हमनें हमारें पुराने लेख में देवाधिदेव महादेव से सम्बन्धित लेख- महाशिवरात्रि शिवरात्रि व्रत, नर्मदेश्वर शिवलिंग, नागेश्वर महादेव मन्दिर, पशुपतिनाथ मन्दिर और काशी विश्वनाथ मन्दिर के बारें में विस्तृत रुप में ईश्वर शिव के मन्दिरों के बारें में जाना इसी क्रम में आगें बढ़ते हुए- महाशिवरात्रि शिव की रात्रि! Mahashivaratri Shiv Ki Ratri के माध्यम से जानेंगे की-

ये रात्रि "शिव-पार्वती" के विवाह की हैं लेकिन असल में इस दिन भगवान शिव पहली बार "ज्योतिर्लिंग" के रूप में प्रकट हुए थे। 

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri

महाशिवरात्रि शिव की रात्रि ! Mahashivaratri Shiv Ki Ratri...

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शिवपुराण कहता हैं- वो रात थी और उस ज्योतिर्लिंग के प्रारंभ और अंत का कोई पता नहीं लगा सका भगवान "ब्रह्मा" और "विष्णु" भी नहीं "शिव का यही स्वरूप महाशिव कहलाया और वो रात महाशिवरात्रि" शिव के कई स्वरूप हैं कई नाम हैं और हर नाम के पीछे कोई कहानी हैं कोई ऐसी बात हैं जो हमें आज भी जिंदगी जीने के कुछ तरीके सिखा सकती हैं आज हम इन्हीं नामों के पीछे के कारण और अर्थ को समझेंगे-

1. सारे जीवों के स्वामी हैं शिव Saare Jeevon Ke Swami Hain Shiv:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: महाभारत में विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत में वेद व्यास ने भगवान शिव के लिए ईश्वर शब्द का इस्तेमाल किया हैं शिव पुराण में शिव को कई जगह ईश्वर कहकर संबोधित किया गया हैं। ईश्वर का अर्थ हैं- "स्वामी" यानी "मालिक" शिव को सृष्टि का स्वामी माना गया हैं। यही कारण हैं कि- शिव के हर नाम में ईश्वर शब्द जोड़ा गया हैं चाहे केदारेश्वर हो या महाकालेश्वर, काशी विश्वनाथ का एक नाम विश्वेश्वर भी हैं जो हर चीज का स्वामी हैं वो ईश्वर हैं शिव पुराण की "रुद्र संहिता" में ब्रह्मा के जन्म की कहानी हैं जिसमें ब्रह्मा! कहते हैं कि शिव ने अपनी इच्छा शक्ति से मुझे विष्णु के नाभि कमल से उत्पन्न किया हैं। ईश्वर इसलिए भी कहे जाते हैं क्योंकि सृष्टि में संहार का काम भी शिव के पास हैं जिसके पास चीजों को खत्म करने का अधिकार होता हैं वास्तव में वो ही उसका स्वामी होता हैं।

2. शिव पुराण में शिव Shiv Puran Mein Shiv:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शिव पुराण में शिव को विद्येश्वर भी कहा गया हैं इसका अर्थ हैं सारी विद्याओं के मालिक देवताओं के गुरु बृहस्पति, दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य और पूरे मानव समाज को बनाने वाले सप्तऋषियों के गुरु भगवान शिव ही हैं। इन्हें आदिगुरु माना गया हैं- योग, ज्योतिष, तंत्र और चिकित्सा ये सारी विद्याएं शिव की ही हैं। एक पौराणिक कहानी हैं कि- समुद्र मंथन के बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को मोहिनी रूप बनाकर सारा अमृत पिला दिया तो दैत्य न्याय के लिए शिव के पास पहुंचे ''शिव के लिए सभी समान थे'' दैत्यों के राजा बलि ने भगवान शिव को पूरी बात बताई और ये कहा कि- देवताओं ने सारा अमृत पी लिया और अमर हो गए अब वो हम दैत्यों के लिए खतरा हो गए हैं। भगवान शिव ने पूरी स्थिति को समझा और ये कहा कि- देवताओं को ऐसा नहीं करना चाहिए था अगर बात अमृत को बराबर बांटने की हुई थी तो उन्हें इस बात पर खरा उतरना था भगवान शिव ने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य को उस समय मृत संजीवनी विद्या दी जिससे वो किसी ऐसे व्यक्ति को भी जिंदा कर सकते थे जिसे मारकर जला दिया गया हो और सिर्फ राख ही बची हो उस राख से भी फिर उस व्यक्ति को जिंदा किया जा सकता था।

3. शिव नीलकंठ Shiv Neelkanth:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: नीलकंठ यानी जिसका गला नीला हो ये कहानी भी समुद्र मंथन की ही हैं- जब देवता और दानवों ने समुद्र का मंथन शुरू किया तो सबसे पहले उसमें से "हलाहल" नाम का विष निकला ये जहर इतना तेज था कि सृष्टि का विनाश होने लगा तब भगवान विष्णु ने सारे देवताओं और दानवों को भगवान शिव से प्रार्थना करने की सलाह दी सबकी रक्षा के लिए शिव आगे आए और सारा विष पी गए उसे ना मुंह में रखा ना ही पेट में उतारा बस गले में अटका लिया विष के असर से उनका गला नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। वास्तव में ये नीला रंग ये विष बुराई का प्रतीक हैं, शिव नीलकंठ हैं- {क्योंकि वे बुराई को स्वीकार करने के बाद उसे अपने गले में ही रोक लेते हैं ना बाहर निकालते हैं कि दुनिया पर उसका कोई बुरा असर हो ना ही उसे खुद अपने पेट तक जाने देते हैं जिससे कि उनके शरीर पर उसका कोई बुरा असर हो} शिव का नीलकंठ स्वरूप ये सिखाता हैं कि- आप बुराई का असर ना खुद पर होने दें ना ही समाज में फैलने दें उसे ऐसी जगह रोक लें जहां से वो आगे ना बढ़ पाए इस काम में जो भी सक्षम हैं वो शिव का ही रूप हैं।

4. शिव अघोरी Shiv Aghori:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शिव तंत्र के देवता हैं- इन्हें आदि अघोरी यानी संसार का पहला अघोरी भी कहा जाता हैं। पौराणिक मत हैं कि- अघोर वो हैं जिसकी बुद्धि और व्यवहार में कोई भेदभाव ना हो जिनकी बुद्धि में दूसरों के लिए भेदभाव होते हैं वो लोग घोर यानी भयंकर होते हैं शिव अघोरी हैं यानी ''सौम्य स्वभाव'' के हैं सबके लिए एक समान हैं सारे देवताओं की पूजा में सामग्रियों का विशेष महत्व होता हैं अकेले शिव हैं जिनकी पूजा की सामग्रियों में सबसे कम सावधानियां हैं। उन्हें सिर्फ जल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता  हैं। भांग धतूरा जैसी वो चीजें जो किसी भी पूजा में शामिल नहीं की जाती हैं वो शिव को चढ़ाकर मनाया जा सकता हैं ''शिव मन के देवता'' हैं शिव पुराण कहता हैं- कि शिव आपके काम कम और मन के भाव ज्यादा देखते हैं अगर अच्छे मन से कुछ चढ़ाएंगे तो उन्हें वो सब स्वीकार हैं। अगर बिना शुद्ध भावों के छप्पन भोग भी लगाएंगे तो शिव को वो मंजूर नहीं हैं ''शिव सरल स्वभाव'' को पसंद करते हैं।

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri

5. शिव चंद्रशेखर Shiv Chandrasekhar:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: हमेशा अपने क्रोध पर नियंत्रण हो व्यवहार में शीतलता का संदेश देते हैं चंद्रशेखर या आशुतोष दोनों के अर्थ समान हैं जिसने अपने शिखर यानी माथे पर चंद्र को धारण किया हैं वो चंद्रशेखर हैं। शिव के इस नाम में उनका स्वभाव छिपा हैं चंद्रमा को सिर पर धारण करना यानी दिमाग को हमेशा ठंडा रखना चंद्रमा शीतलता का प्रतीक हैं सिर पर चंद्रमा का होना स्पष्ट करता हैं कि शिव के स्वभाव में शीतलता हैं बहुत कम प्रसंग मिलते हैं- जब शिव ने क्रोध किया हो बहुत से राक्षसों का संहार करते समय भी शिव ने कभी क्रोध नहीं किया- रामायण की कहानी हैं कि- रावण ने शिव को कैलाश से लंका ले जाना चाहा उसने सोचा कि मैं शिव को मनाकर ले जाऊंगा उसने कैलाश पर्वत को अपने हाथों से उठाने की कोशिश की जब शिव ने ये देखा कि रावण कैलाश सहित उठाकर लंका ले जाना चाहता हैं तो उन्होंने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को दबा दिया और रावण का हाथ वहीं दबा रह गया तब रावण को महसूस हुआ कि उसने शिव को क्रोधित कर दिया हैं। वास्तव में भगवान उस समय भी मुस्कुरा रहे थे रावण ने ''शिव तांडव स्तोत्र'' की रचना कर शिव को सुनाई और शिव ने अपने पैर का अंगूठा हटाकर रावण को मुक्त कर दिया शिव कभी विचलित नहीं होते हमेशा स्थिर रहते हैं। यही कारण हैं कि उन्हें ''चंदशेखर'' कहा जाता हैं।

6. शिव कैलाशवासी Shiv Kailashwasi:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं सिर्फ इसलिए उनका नाम कैलाशवासी नहीं हैं वे अपने व्यक्तित्व में भी वैसे ही हैं इसलिए उन्हें ये कहा जाता हैं। कैलाश ऊंचाई का प्रतीक हैं सबसे दुर्गम हैं आज भी कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन हैं। शिव का कैलाश पर बसना ये बहुत बड़ा संकेत हैं। विद्वानों का मत हैं- कि कैलाश ऊंचाई का प्रतीक हैं। ''शिव अपने तप की ऊंचाई पर हैं'' समाधि के शिखर पर हैं ये कैलाश उनकी तपस्या और ध्यान की ऊंचाई  हैं। कैलाश पर बैठे शिव हमें भी एक गहरी बात समझाते हैं गले में सर्प, शरीर पर भस्म और कम से कम साधनों के साथ वे बर्फीले पहाड़ पर रहते हैं ये आत्म सम्मान और जीवन मूल्यों के लिए समर्पण का संकेत हैं। आपके जीवन में संसाधन कितने ही कम क्यों ना हों धन, वैभव और सुख की कमी भी रहे तो भी अपने आत्म सम्मान और जीवन मूल्यों की ऊंचाई को कम ना होने दें ये शिव सिखाते हैं।

7. शिव वाघंबरधारी Shiv Vaghambaradhari:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शिव को वाघंबरधारी भी कहा जाता हैं ''वाघंबरधारी'' यानी 'बाघ की खाल' को धारण करने वाले शिव कोई अन्य कपड़े नहीं पहनते वाघंबर में ही रहते हैं कई जगहों पर ये भी उल्लेख मिलता हैं कि- शिव का आसन भी सिंह के चमड़े का हैं इस बात में जीवन जीने का गहरा सूत्र छिपा हैं- बाघ और सिंह ये दो ऐसे जानवर हैं जो हरदम हिंसक नहीं होते शिकार भी तब करते हैं जब उन्हें भूख हो बेवजह ना तो खुद परेशान होते हैं ना जंगल को परेशान करते हैं अपने आप में मगन रहते हैं। शिव का वाघंबर धारण करना ये संकेत हैं कि ''शांति से जीवन के लिए इस जीवन शैली को अपनाया जाए।'' ज्यादा समय अपने लिए और अपने परिवार के लिए निकालें धन और रोजी-रोटी कमाने के लिए उतना ही समय दें जितने में आपकी जरूरतें पूरी हो जाती हों एक और बात शेर और बाघ में समान हैं इनमें कुंडलिनी शक्ति काफी सक्रिय होती हैं अपने 20 किमी के इलाके में आने वाले हर प्राणी का इन्हें कहीं भी बैठकर अनुमान हो जाता हैं ये अपने ध्यान में पक्के हैं वाघंबरधारी शिव कहते हैं- हर इंसान को ध्यान करना चाहिए मेडिटेशन आपकी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता हैं।

8. शिव महाकाल Shiv Mahakal:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: महाकाल का सीधा अर्थ हैं- ''जो कालों का काल हैं'' मध्य प्रदेश उज्जैन में इसी नाम से ज्योतिर्लिंग भी हैं काल के दो अर्थ हैं ''एक मृत्यु और दूसरा समय।'' उज्जैन कालगणना का केंद्र हैं और महाकाल ज्योतिर्लिंग जिस जगह स्थापित हैं वो कर्क रेखा के गुजरने की जगह हैं ''महाकाल तंत्र के देवता हैं अघोरियों के आराध्य हैं।'' ये मृत्यु के भय को दूर करते हैं शिव का ये स्वरूप कहता हैं कि- मृत्यु अटल हैं उसे आना ही हैं महाकाल मौत के डर को दूर करते हैं जिस महामृत्युंजय मंत्र के लिए महाकाल प्रसिद्ध हैं वो वास्तव में अकाल मृत्यु को टालने का ही मंत्र मात्र नहीं हैं वो मौत के डर को भी दूर करता हैं। शिव कहते हैं--- ''मृत्यु का डर खत्म हो जाना ही मोक्ष का मार्ग हैं।'' कोई भी प्राणी तब तक मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाता जब तक कि उसके मन से मृत्यु का भय दूर ना हो जाए ''मोह छूटना ही मोक्ष हैं"।

 9. शिव शंकर Shiv Sankar:-

Mahashivaratri Shiv Ki Ratri: शंकर का अर्थ  हैं- ''कल्याणकारी या शुभ करने वाला'' ''भगवान शंकर कल्याण करने वाले हैं।'' वेद-पुराण कहते हैं- "शं करोति सः शंकरः।” जो शमन करता हैं मतलब जो सुख देता हैं वो शंकर हैं- उन्हें शंकर कहा ही इसीलिए जाता हैं कि- वो हर किसी को सिर्फ वरदान ही देते हैं शिव अपनी आराधना करने वाले किसी भी इंसान में भेद नहीं करते हैं- चाहे देवता हों या राक्षस ''शिव के सामने सब समान हैं।'' जब-जब दैत्यों पर कोई मुसीबत आई वे शिव की शरण में गए शिव ने उन्हें सही रास्ता भी दिखाया। शिव सिखाते हैं- कि आपके मन में दूसरों का भला करने का भाव होना चाहिए जो कोई आपके सामने मदद की गुहार लगाए और अगर आप सक्षम हैं तो उसे बिना किसी भेदभाव के मदद दें।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION:-आज हमनें हमारें लेख- महाशिवरात्रि शिव की रात्रि Mahashivaratri Shiv Ki Ratri के माध्यम से आपको बताया कि- कैसे सारे जीवों के स्वामी शिव हैं, शिव पुराण में शिव की कथा क्या हैं, शिव ही नीलकंठ, शिव ही अघोरी, शिव ही चंद्रशेखर, शिव ही कैलाशवासी, शिव ही वाघंबरधारी, शिव ही महाकाल और शिव ही शंकर हैं इन सभी शिव के स्वरूपों के बारे में इस लेख के माध्यम से बताया आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा धन्यवाद।

1 टिप्पणी:

Blogger द्वारा संचालित.