Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir...

हमनें हमारें पुराने लेख नर्मदेश्वर शिवलिंग कथा, पूजन विधि के माध्यम से इस मन्दिर का सारा इतिहास जाना इसी क्रम को आगें बढ़ते हुए आज हम Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir श्री द्वारकानाथ या श्री द्वारकाधीश मन्दिर के बारें में चर्चा करेंगे कि- मन्दिर श्री द्वारकाधीश का इतिहास क्या हैं ? मन्दिर श्री द्वारकाधीश का धार्मिक महत्व क्या हैं ? मन्दिर द्वारकाधीश की कथा क्या हैं ? आदि के बारें में विस्तृत रूप से जानेंगे- श्री द्वारिकाधीश मन्दिर हिन्दू धर्म या सनातनी धर्म के चार धाम में से एक हैं जो कि श्रीकृष्ण को सर्मपित हैं।

Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir

Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir श्री द्वारकानाथ या श्री द्वारिकाधीश मन्दिर...

Shri Dwarkadhish Mandir: द्वारिकाधीश मन्दिर भी जगत मन्दिर के रूप में जाना जाता हैं द्वारिकाधीश श्रीकृष्णा को समर्पित एक हिंदू मन्दिर हैं, जो नाम द्वारिकाधीश या 'द्वारका के राजा' द्वारा यहां पूजा जाता  हैं। ये मन्दिर भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित हैं। 72 स्तंभों द्वारा समर्थित 5 मंजिला इमारत का मुख्य मन्दिर हैं जगत मन्दिर या निज मन्दिर के रूप में जाना जाता हैं, पुरातात्विक निष्कर्ष यह बताते हैं कि यह 2200-2500 वर्ष पुराना हैं। 15 वीं -16 वीं शताब्दी में मन्दिर  का विस्तार किया गया- द्वारकाधीश मन्दिर एक पूष्टिमार्ग मन्दिर हैं, इसलिए यह वल्लभाचार्य और विठ्लेसनाथ द्वारा बनायें गयें दिशा निर्देशों और अनुष्ठानों का पालन करता हैं परंपरा के अनुसार- मूल मन्दिर का निर्माण कृष्ण के पड पोते वज्रनाभ ने हरि-गृह "भगवान कृष्ण के आवासीय स्थान" पर किया था मन्दिर भारत में हिंदुओं द्वारा पवित्र मानें जाने वाले चारधाम तीर्थ का अंग बन गया 8वीं शताब्दी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदिशंकराचार्य ने मन्दिर का दौरा किया- अन्य तीन में रामेश्वरम्, बद्रीनाथ और श्री जगन्नाथ पुरी शामिल हैं आज भी मन्दिर के अंदर एक स्थान उनकी यात्रा को समर्पित हैं। द्वारकाधीश उपमहाद्वीप में श्री विष्णु के 98वें दिव्यदेशम हैं जो दिव्य प्रभा पवित्र ग्रंथों में महिमा मंडित हैं।

1. श्री द्वारकादीश मन्दिर का इतिहास History of Shri Dwarkadhish Temple:- 

Shri Dwarkadhish Mandir: द्वारका नगर का एक इतिहास जो सदियों पुराना हैं और इसका उल्लेख महाभारत महाकाव्य में द्वारका साम्राज्य के रूप में मिलता हैं। गोमती नदी के किनारे पर स्थित इस शहर को भगवान कृष्ण की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया हैं। हिंदुओं का मानना हैं कि- मूल मन्दिर का निर्माण कृष्ण के आवासीय महल के ऊपर कृष्ण के महान पड पोते वज्रनाभ द्वारा किया गया था चालूक्य शैली में वर्तमान मन्दिर का निर्माण 15-16वीं शताब्दी में किया गया हैं। यह मंदिर 21 मीटर का क्षेत्रफल 21 मीटर और पूर्व-पश्चिम की 29 मीटर और उत्तर-दक्षिण चौड़ाई 23 मीटर हैं मन्दिर  की सबसे ऊँची चोटी 51.8 मीटर ऊँची हैं।

Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir

2. श्री द्वारकादीश मन्दिर का धार्मिक महत्व Religious Significance of Shri Dwarkadhish Temple:-

Shri Dwarkadhish Mandir: मन्दिर के ऊपर का ध्वज सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता हैं जो माना जाता हैं कि- कृष्ण तब तक रहेंगे जब तक सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे। ध्वज को दिन में 5 बार बदला जाता हैं लेकिन प्रतीक समान रहता हैं मन्दिर में 75 स्तंभों पर निर्मित पांच मंजिला संरचना हैं मन्दिर का शिखर 78.3 मीटर ऊंचा हैं।  मन्दिर का निर्माण चूना पत्थर से हुआ हैं जो अभी भी प्राचीन स्थिति में हैं द्वारका  क्षेत्र पर शासन करने वाले राजवंशों के उत्तराधिकारियों द्वारा की गई जटिल मूर्तिकला का अद्भुत रूप दिखाई देता हैं। मन्दिर में दो प्रवेश द्वार हैं- मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर प्रवेश द्वार को "मोक्ष द्वार" कहा जाता हैं। यह प्रवेश द्वार एक को मुख्य बाजार में ले जाता हैं। दक्षिण प्रवेश द्वार को "स्वर्ग द्वार" कहा जाता हैं। इस द्वार के बाहर 56 सीढ़ियाँ हैं जो गोमती नदी की ओर जाती हैं। मन्दिर सुबह 06:00 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक और शाम 05:00 बजे से रात 09:30 बजे तक खुला रहता हैं। कृष्णजन्माष्टमी त्योहार या गोकुलाष्टमी कृष्ण का जन्मदिन वल्बा 1473-1531 द्वारा शुरू किया गया था। 

Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।

CONCLUSION:- आज हमनें हमारें लेख- Shri Dwarkanath Or Shri Dwarkadhish Mandir श्री द्वारकानाथ या श्री द्वारिकाधीश मन्दिरके माध्यम से आपको बताया कि मन्दिर का क्या महत्व हैं, मन्दिर का इतिहास क्या हैं, मन्दिर कि कथा क्या हैं और साथ साथ मन्दिर के बारे में अन्य जानकारियां भी आपको उपलब्ध करवाईं आशा करते हैं कि- आपको हमारा लेख पसंद आयेगा और आप हमारे पिछले लेखों कि ही तरह इस लेख को भी पसंद करेंगे।

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