श्री दगडूशेठ हलवाई गणपती पुणे, महाराष्ट्र Shree Dagdusheth Halwai Ganpati Pune Maharashtra...

हमनें हमारें पुरानें लेखों में अनेकों सनातनी मंदिरों के बारें में जाना जैसे कि मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर, वैष्णो देव मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, शीला देवी मंदिर और श्री द्वारकानाथ मंदिर इसी क्रम को आगें बढ़ते हुए हम आज पूना महाराष्ट्र के आराध्य देव श्री गणपति के विश्व प्रसिद्ध मंदिर श्री दगडूसेठ हलवाईं गणपति पुणे, महाराष्ट्र का इतिहास विस्तृत रूप से जानेंगे-

श्री दगडूशेठ हलवाई गणपती यह भक्तों के लाडले भगवान हैं। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपती को पुणे शहर के गौरव का उच्चतम स्थान माना जाता हैं। हर साल भारत भर के और देश विदेशों के अनगिनत भक्त श्री दगंडूशेठ गणपति भगवान के दर्शन करने के लिये आते हैं।

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati Pune Maharashtra

श्री दगडूशेठ हलवाई गणपती पुणे, महाराष्ट्र Shree Dagdusheth Halwai Ganpati Pune Maharashtra...

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: इस मंदिर में भक्तों की अपार आस्था और भक्ति हैं इसके साथ-साथ इस मंदिर के साथ समाज सेवा व संस्कृति संवर्धन के लियें विश्वभर में प्रसिद्धि भी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण इस मंदिर की संस्था का बहुत बड़ा हाथ हैं जिसे हम "श्री दगडूसेठ हलवाई गणपति मंदिर ट्रस्ट" के नाम से जानते हैं। श्री दगडूसेठ हलवाई गणपति मंदिर के साथ एक बहुत बड़ी और गौरवशाली परंपरा रहीं हैं जिसका पालन निरंतर जारी हैं। आयें जानेतें हैं- श्री दगडूसेठ हलवाई गणपति मंदिर के विषय में की आखिर ये मंदिर क्यों इतना प्रसिद्ध हैं कि इसमें जन-जन की आस्था जुड़ी हैं।

1. श्री दगडूशेठ हलवाई गणपति की कथा Story of Shri Dagdusheth Halwai Ganpati:-

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: कहा जाता हैं कि- 18वीं सदीं के उत्तरार्द्ध में अपना इकलौता बेटा प्लेग में खोने के बाद श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई अवसादग्रस्त हो गयें तब उनके आध्यात्मिक गुरु "श्री माधवनाथ महाराज" ने उन्हें इस दु;ख से उबरने के लिये भगवान गणपति का एक मन्दिर बनाने का सुझाव दिया तब इन दोनों ने इस गणेश मूर्ती की स्थापना की थी। उसके बाद अब हर साल ना केवल श्री दगडूशेठ का परिवार बल्कि आसपास के सभी लोग भाव-भक्ती से और बडे जोश उमंग के साथ "गणेशोत्सव" मनाते रहें हैं ये परम्परा निरन्तर जारी हैं। यह मंदिर अपनी भव्यता और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होने के कारण प्रसिद्ध हैं कहते हैं- बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता हैं। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं । कहते हैं- यह मंदिर दगरूसेठ हलवाई और पुणे के गोडसे परिवार की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं। यह मंदिर वास्तुशास्त्र के लिहाज से बनाया गया हैं। मंदिर के मुख्य मंडप की दीवारों पर उभरी आदिशक्तियों की अद्भुत झांकी आदिशक्तियों प्रतीक हैं।

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: बप्पा स्वयं इस ऐश्वर्य में नहीं विराजते बल्कि उनकी शरण में आने वाला उनका हर भक्त दरिद्रता और विघ्नबाधाओं से मुक्ति पाकर ऐसे ही ऐश्वर्य को प्राप्त करता हैं। शास्त्रों में बप्पा यानी गणपति को पंचभूत कहा गया हैं। मान्यता है- कि धरती, आकाश, अग्नि, वायु और जल की सारी शक्तियां इन्हीं में समाहित हैं। यहां कोई मनन्त के लिए शीश नवाता हैं तो कोई बप्पा का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से यहां आता हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फ़ीट उंची और 4 फिट चौड़ी  लगभग 8 किग्रा. सोने से सुसज्जित प्रतिमा स्थापित हैं। इस मंदिर का निर्माण बड़ी ही खूबसूरती से किया गया हैं निर्माण में विशेष शैली को उपयोग हैं भगवान की पीठासीन प्रतिमा मंदिर के बाहर से ही दिखाई देती हैं । मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जय और विजय नामक दो प्रहरियों की संगमरमर की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: अपनी जवान उम्र में तात्यासाहेब गोडसे इस गणेश-उत्सव के एक उत्साही कार्यकर्ता थे। बाद में जब लोकमान्य तिलकजी ने आजादी के संघर्ष में लोगों को इकट्ठा करने के लिये गणेशोत्सव को सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया तब दगडूशेठ गणपती को सर्वाधिक लोकप्रियता का सम्मान प्राप्त हुआ। 1952 में दगडूशेठ हलवाई गणपती मंदिर उत्सव के अनुशासन की जिम्मेदारी तात्यासाहेब और उनके मित्र-परिवार पर आ पड़ी तात्यासाहेब के मार्गदर्शन में उसके सहयोगी मामासाहेब रासणे, ड़ॉ. श्रीशंकरराव सूर्यवंशी और श्री के. डी. रासणे इन लोगो ने यह जिम्मा खूब अच्छी तरह निभाया और उसके बाद यह सिल-सिला कभी रुका ही नहीं। उदार दानी व्यक्ती और भक्त मंदिर के दान-पात्र में बहुत उदारता के साथ अपना दान देते रहे। तब तात्यासाहेब और उनके मित्र-परिवार ने सोचा कि इस निधी से अपने ही बांधवों की सेवा करने से बढकर ईश्वर सेवा और क्या हो सकती हैं

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: इस ध्येय से प्रेरित इन युवकों ने उत्सव के कार्य की व्याप्ती परंपरा प्राप्त पूजा विधी को आगे ले जाकर सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में कदम रखा मंदिर में किये जाने वाले धर्म-कार्य तो पूरे तामझाम से होते ही रहे पर इन्होंने अपने राज्य के सामाजिक और राजनैतिक प्रश्नों की ओर भी अपना ध्यान मोडा। "श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपती मंदिर ट्रस्ट" के माध्यम से उन्होंने कई समाजसेवी कार्यों का आरंभ किया। वंचित बच्चों की शिक्षा और उन्हें पैसों की मदद छोटे कारोबार खडे करने वालों को या फिर छोटे विक्रेताओं को "सुवर्णयोग सहकारी बैंक" की तरफ से आर्थिक सहायता वृद्धाश्रम, ईेंट-भट्टी के मजदूरों का पुनर्वसन यह कुछ उदाहरण इसमें शामिल हैं। आज श्री गणेशजी के आशीर्वाद से श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपती ट्रस्ट ये एक समाज की अगुवाई करने वाली समृद्ध संस्था बन चुकी हैं। मानव सेवा ही ईश्वर सेवा हैं इस भाव से काम करने में एक बडा आनंद ले रही हैं।

2. संपर्क के लिये To Contact:-

गणपती भवन- 250, छत्रपति शिवाजी महाराज रास्ता, मेहुनपुरा, बुधवार पेठ, पुणे महाराष्ट्र- 411002,  भारत फोन नम्बर. 020-2441222

3. विशेष उत्सव पूजा Special Festival Puja:-

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati: स्वरपूजा, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी को विशेष कार्यक्रम होते हैं। मंदिर में आरती और अभिषेक धार्मिकता और सुंदरता से भरे अवसर होते हैं आपको निश्चित रूप से इनका  अनुभव करना चाहियें और प्रभु के प्रेम पूर्ण आशीर्वाद को प्राप्त करना चाहियें। दिन के अलग-अलग समय में अलग-अलग कलाकार होते हैं, जो आपको विशेष अनुभूति कराते हैं। निर्देश:- यदि आप चाहें तो विशेष अवसरों पर अभिषेक करने के लियें मन्दिर कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं।

Shree Dagdusheth Halwai Ganpati Pune Maharashtra

FAQ-

1.दगडूसेठ गणपति मूर्तिं किसने बनाईं थी ? 

दगडूसेठ की मूर्तिं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा स्थापित की गईं हैं जहाँ तक मूर्तिं  मूर्तिं बनाने की बात हैं तो इस मूर्तिं बाबूराव नाइक द्वारा सन् 1893 में बनाया गया था ये गणेश प्रतिमा 2.2 मीटर ऊँची और 1 मीटर चौड़ी हैं इस मूर्तिं को 40 कि. ग्रा सोने से सजाया गया हैं। 2006 में मंदिर समीति ने सुन्दर चांदी की मूर्तिं का निर्माण कराया जो कि सदा दर्शन के लियें रहती हैं। 

2. दगडूसेठ गणपति क्यों प्रसिद्ध हैं ? 

लोकमान्य गंगाधर तिलक ने इसी मन्दिर से गणेश उत्सव की शुरुआत की थी जो कि आज तक अन्वरत जारी हैं। दगडूसेठ का मंदिर एक सनातनी मंदिर हैं जो कि भगवान श्रीगणेश गणपति को समर्पित हैं इस मंदिर में हर वर्षं एक लाख से अधिक तीर्थयात्री आतें हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। मंदिर के भक्तों में महाराष्ट्र की मशहूर हस्तियां शामिल हैं जो कि दस दिवसीय गणेश उत्सव में आती हैं। 

3. दगडूसेठ गणपति का निर्माण कब हुआ था ? 

श्रीमंत दगडुशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई पुणे में बसे एक व्यापारी और मिठाई निर्माता थे। उनकी मूल हलवाई की दुकान आज भी पुणे में दत्त मंदिर के पास "दगडूशेठ हलवाई स्वीट्स" के नाम से मौजूद है। अंततः वह एक सफल मिठाई विक्रेता और एक अमीर व्यापारी बन गयें 1800 के दशक के उत्तरार्ध में, प्लेग महामारी में उन्होंने अपने इकलौते बेटे को खो दिया। एक दयालु ऋषि ने उनसे संपर्क किया और उन्हें पुणे में एक गणेश मंदिर बनाने की सलाह दी।

4. दगडूसेठ मंदिर का पता क्या हैं ? 

श्रीमंत दगडुशेठ हलवाईं गणपति मंदिर -पूरा पता: 250- गणपति भवन, छत्रपति शिवाजी महाराज रोड़, बुधवार पेठ, पुणे महाराष्ट्र-411002 भारत

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION-आज हमनें हमारे लेख- श्री दगडूसेठ हलवाई गणपति मंदिर पुणे, महाराष्ट्र Shree Dagdusheth Halwai Ganpati Pune Maharashtra के माध्यम से जाना कि इस मंदिर की कथा क्या हैं, इस मंदिर के संपर्क करने के बारें में जाना और मंदिर में होने वाले उत्सव के बारे में इस लेख के माध्यम से जाना।

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