बाबा रामदेव रामसा पीर रामदेव पीर की कथा Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha...

आज हम हमारें लेख बाबा रामदेव, रामसा पीर, रामदेव पीर की कथा के माध्यम से जानेंगे रामदेव जी पीर के बारें में रामदेव जी को बाबा रामदेव, रामसा पीर, रामदेव पीर, पीरो के पीर आदि नामों से जाना जाता हैं रामदेव पीर राजस्थान के एक लोक देवता हैं जिनकी पूजा सम्पूर्ण राजस्थान व गुजरात समेत कई भारतीय राज्यों में की जाती हैं। इनके समाधि-स्थल रामदेवरा "जैसलमेर" पर भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष द्वितीया सेे दशमीं तक भव्य मेला लगता  हैं जहाँ पर देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं।
तो आयें जानतें हैं बाबा रामसापीर के बारें में कि बाबा का परिचय क्या हैं, रामदेव या रामसापीर की जयंती कब मनाईं जातीं हैं और किस प्रकार हम राजस्थान में स्थित रामदेवरा पहुंच सकते हैं इन सबके बारें में आज हम अपने लेख के माध्यम से आपको जानकारी उपलब्ध करवायेंगे तो आयें जानतें हैं इस विषय के बारें में -

Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha

बाबा रामदेव, रामसा पीर, रामदेव पीर की कथा Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha...

Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha: रामदेव सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करते थे चाहे वह उच्च अथवा निम्न हो अमीर अथवा गरीब हो। उन्होंने दलितों को उनकी इच्छानुसार फल देकर उनकी मदद की उन्हें अक्सर घोड़े पर सवार दर्शाया जाता हैं। उनके अनुयायी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मुम्बई, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश से लेकर सिंध तक फैले हुए हैं। राजस्थान में कई मेले आयोजित किये जाते हैं। उनके मंदिर राजस्थान के भीलवाडा सहित कई जिलों में स्थित हैं।

1. बाबा रामसा पीर का परिचय Introduction of Baba Ramasa Peer:-

Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha: सम्प्रदाय- राजपूत जन्म- भद्रपक्ष शुक्ल द्वितीया, विक्रम संवत 1462 उण्डूकाश्मीर, शिव तहसील, बाड़मेर निधन रामदेवरा समाधि- रामदेवरा पिता- अजमल जी तंवर माता- मैणा दे  रामदेव जी का विवाह अमरकोट के सोढ़ा राजपूत दलै सिंह की पुत्री निहाल दे के साथ हुआ था। रामसा पीर चौदहवीं सदी के एक शासक थे जिनके पास मान्यतानुसार- चमत्कारी शक्तियां थीं उन्होंने अपना सारा जीवन गरीबों तथा दलितों के उत्थान के लिए समर्पित किया भारत में कई समाज उन्हें अपने इष्टदेव के रूप में पूजते हैं।
बाबा रामदेवजी रामसा पीर मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं रामदेवजी के पास चमत्कारी शक्तियां थी तथा उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी मान्यताओं के अनुसार- मक्का से पांच पीर रामदेव की शक्तियों का परीक्षण करने आयें रामदेवजी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया पीरों ने मना करते हुए कहा- वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं जो कि इस समय मक्का में हैं- इस पर रामदेव मुस्कुराए और उनसे कहा कि- देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे। रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें राम शाह पीर का नाम दिया। रामदेव की शक्तियों से प्राभावित होकर पांचों पीरों ने उनके साथ रहने का निश्चय किया उनकी मज़ारें भी रामदेव की समाधि के निकट स्थित हैं।

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2. रामदेव जंयती Ramdev Jayanti:-

Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha: रामदेव जयंती अर्थात् बाबा का जन्म दिवस प्रति वर्ष उनके भक्तों द्वारा सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता हैं। यह तिथि हिन्दू पंचांग के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दूज पर पड़ती हैं। इस दिन राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता हैं और रामदेवरा के मंदिर में एक अंतर प्रांतीय मेले का आयोजन होता हैं जिसे "भादवा का मेला" कहते हैं। इस मेले में देश के हर कोने से लाखों हिन्दू और मुस्लिम श्रद्धालु यात्रा करते हुए पहुंचते हैं तथा बाबा की समाधि पर नमन करते हैं।

3. रामदेवरा कैसे पहुंचे How to Reach Ramdevra:-

Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha: रामदेवरा रेल मार्ग द्वारा आसानी से रामदेवरा पहुंचा जा सकता हैं दिल्ली से रामदेवरा 868 कि.मी. दूरी पर स्थित हैं। रामदेवरा का रेल्वे कोड़ RDRA हैं दिल्ली से रामदेवरा 25014 Corbet pro link exp 03.50 a.m पर जाती हैं। दिल्ली से रामदेवरा 15014 Ranikhet exp 04.30 a.m पर जाती हैं। रामदेवरा पहुंचने के लिए आपके पास रेल मार्ग और सड़क मार्ग की सुविधा उपलब्ध रहती हैं। आप अपनी इच्छा अनुसार किसी भी रास्ते का चयन करते हुए रामदेवरा पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग के तौर पर प्रॉपर रामदेवरा में आपको हवाई अड्डा नहीं मिलेगा आप जैसलमेर और जोधपुर हवाई अड्डे के माध्यम से रामदेवरा तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग:- रामदेवरा में रेलवे स्टेशन मौजूद है और रामदेवरा रेलवे नेटवर्क राजस्थान के कई लोकप्रिय शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसे जोधपुर से रोजाना एक से दो ट्रेन रामदेवरा के लिए जाती हैं। जैसलमेर से भी रामदेवरा का रेलवे संपर्क नियमित हैं। इसके अलावा अन्य शहरों से आने वाले लोग वाया जोधपुर वाया जैसलमेर वाया बाड़मेर के रास्ते रेल मार्ग से रामदेवरा पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग:- रामदेवरा पहुंचने के लिए आपको सरकारी और निजी बस की सुविधा मिल जाएँगी। इसके अलावा आप अपने खुद के वाहन से भी रामदेवरा सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंच सकते हैं। सड़क का नेटवर्क पूरी तरह से रामदेवरा से जुड़ा हुआ है। जोधपुर से रामदेवरा जाने के लिए आपको जोधपुर जैसलमेर हाईवे से होते हुए पोकरण और पोकरण से 12 किलोमीटर दूर स्थित रामदेवरा का रास्ता आपको मिल जाएगा।
हवाई मार्ग:- रामदेवरा में हवाई मार्ग की कोई सुविधा नहीं हैं लेकिन दूर से आने वाले पर्यटक जोधपुर या फिर जैसलमेर हवाई अड्डे तक हवाई मार्ग से रामदेवरा पहुंच सकते हैं वहां से बस ट्रेन या किसी गाड़ी के माध्यम से रामदेवरा तक जा सकते हैं।

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FAQ- 

1. रामदेव जी का इतिहास क्या हैं ?

रामदेव जी एक लोकदेवता हैं रामदेव जी का जन्म विक्रम संवत 1462 में राजस्थान के  बाड़मेर जिलें के शिव तहसील के ऊंडूकासमेर गाँव में भाद्रपद शुक्ल दूज द्वितीया जिसे बाबे री बीज भी कहते  को हुआ था। रामदेव जी की माता का नाम मैणादे और पिता का नाम राजा अजमाल जी (वंश- तंवर) थे ये अर्जुन का वंश था बाबा रामदेव जी की पत्नी का नाम नेतल दे था। बाबा रामदेव जी कृष्ण के अवतार भी माना जाता हैं रामदेव जी को रामसा पीर, रूणीचा रा धणी और बाबा रामदेव आदि उपनामों से भी जाना जाता हैं। 

2. रामदेव जी को किसका अवतार माना जाता हैं ?

बाबा रामदेव जी 1352-1385 रामदेव बाबा को पीरों का पीर रामसा पीर कहा जाता हैं इनकी सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिध्द पुरूषों में इनकी गणना की जाती हैं। बाबा रामदेव को द्वारिकाधीश श्री कृष्ण का अवतार माना जाता हैं। 

3. रामदेवरा क्यों प्रसिद्ध हैं ?

रामदेवरा रामदेव जी बाबा को समर्पित मंदिर हैं, बाबा रामदेव एक राजपूत थे जिनका जन्म 14 वीं शताब्दी के अंत में तोमर राजपूत परिवार में हुआ। रामदेव जी ने अपने भौतिकवादी जीवन को त्याग सन्यासी जीवन में प्रवेश कर संत पद स्वीकार कर लिया एक किंवदंती अनुसार उन्होंने एक राक्षस को मार डाला और कई चमत्कार किये।

4. बाबा रामदेव को पीर क्यों कहा जाता हैं । 

मान्यताओं के अनुसार मक्का से पांच पीर रामदेव की शक्तियों का परीक्षण करने आयें रामदेवजी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया पीरों ने मना करते हुए कहा वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं, जो कि इस समय मक्का में हैं- इस पर रामदेव मुस्कुराए और उनसे कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे। रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें राम शाह पीर का नाम दिया। रामदेव की शक्तियों से प्राभावित होकर पांचों पीरों ने उनके साथ रहने का निश्चय किया उनकी मज़ारें भी रामदेव की समाधि के निकट स्थित हैं।

5. रामदेव जी की शिष्या कौन थी ?

रामदेव जी की धर्म बहन 'डालीबाईं' व सगी बहन 'सुगना बाईं' थी  डालीबाईं मेघवाल सम्प्रदाय जाति की थी और ये कालान्तर में रामदेव जी शिष्या  बनी। रामदेव जी के भक्तों द्वारा गाये जाने वाले भजनों को ब्यावले कहा जाता हैं।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION-आज हमनें हमारे लेख- बाबा रामदेव रामसा पीर रामदेव पीर की कथा Baba Ramdev Ramasa Peer Ramdev Peer Kee Katha के माध्यम से बताया कि बाबा रामसापीर का परिचय क्या हैं बाबा रामसापीर की जयंती कब मनाईं जातीं हैं और साथ साथ ये भी जाना कि हम वहां तक कैसे पहुंचे सकते हैं। आशा करतें हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा।

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