विवाह में विलंब के कारण व निवारण Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran...

आज हम हमारें लेख विवाह में विलंब के कारण व निवारण Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran के द्वारा जानेंगे कि आज कल आमतौर पर देखा जा रहा हैं कि लड़के व लडकियों के विवाह देरी या विलंब से हो रहें। इसी सन्दर्भ में आज हम जानेंगे कि आखिर विवाह में विलंब क्यों होता हैं ? इसके कारण क्या हैं और इसके निवारण क्या है ?

ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से विवाह में विलम्ब होने के प्रमुख कारण हैं जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में अशुभ, अकारक एवं क्रूर ग्रहों का स्थित होना तथा सप्तमेश एवं उसके कारक ग्रह बृहस्पति, शुक्र एवं भाग्येश का निर्बल होना। यदि पृथकतावादी ग्रह सूर्य, शनि, राहु, केतु सप्तम भाव को प्रभावित करते हैं तो विवाह में विलम्ब के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में कलह, तनाव, अलगाव, संबंध विच्छेद जैसी अनेक परेशानियां उत्पन्न होती हैं। 

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran...

विवाह में विलंब के कारण व निवारण Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran...

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: लग्न कुण्डली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश में से किसी भाव में मंगल स्थित होने पर मंगली दोष निर्मित होता हैं इसके कारण भी विवाह में विलम्ब हो सकता हैं। ज्योतिष विद्वानों के मतानुसार मंगली दोष होने पर विवाह योग 28 वर्ष के पश्चात् बनता हैं। मंगली दोष में विवाह के पूर्व कुण्डली का मिलान एवम् मंगल ग्रह की शांति हेतु दान, जाप एवं पूजन करना आवश्यक हैं। जन्म कुण्डली में वैधव्य योग होने पर विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में भगवान शालिगराम या पीपल के वृक्ष के साथ कन्या का विवाह कराने पर वैधव्य योग नष्ट हो जाता हैं।

1. विवाह में बाधक योग Vivaah Mein Badhak Yog:- 

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: "जन्म कुंडली में 6, 8, 12, स्थानों को अशुभ माना जाता हैं। मंगल, शनि, राहु-केतु और सूर्य को क्रूर ग्रह माना हैं। इनके अशुभ स्थिति में होने पर दांपत्य सुख में कमी आती हैं। सप्तमाधिपति द्वादश भाव में हो और राहू लग्न में हो, तो वैवाहिक सुख में बाधा होना संभव हैं। सप्तम भावस्थ राहू युक्त द्वादशाधिपति से वैवाहिक सुख में कमी होना संभव हैं। "द्वादशस्थ" "सप्तमाधिपति" और "सप्तमस्थ" "द्वादशाधिपति" से यदि राहू की युति हो तो दांपत्य सुख में कमी के साथ ही अलगाव भी उत्पन्न हो सकता हैं। लग्न में स्थित शनि-राहू भी दांपत्य सुख में कमी करते हैं। सप्तमेश छठे, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो वैवाहिक सुख में कमी होना संभव हैं। षष्ठेश का संबंध यदि दवितीय, सप्तम भाव, द्वितीयाधिपति, सप्तमाधिपति अथवा शुक्र से हो तो दापत्य जीवन का आनंद बाधित होता हैं। छठा भाव न्यायालय का भाव भी हैं। सप्तमेश षष्ठेश के साथ छठे भाव में हो या षष्ठेश, सप्तमेश या शुक्र की युति हो तो पति-पत्नी में न्यायिक संघर्ष होना भी संभव हैं। यदि विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करके उपरोक्त दोषों का निवारण करने के बाद ही विवाह किया गया हो तो दांपत्य सुख में कमी नहीं होती हैं। 

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran

2. भाग्यशाली कन्या Bhaagyashalee Kanya:- 

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: जिस कन्या की पत्रिका में निम्न योग हो वह सौभाग्यशाली होती हैं। कुण्डली मिलान होने पर जिस वर के साथ ऐसी कन्या का विवाह होता हैं उसकी किस्मत खुल जाती हैं।
1. जिस कन्या की पत्रिका में भाग्येश सिंहासनांश में हो तथा उस पर लग्नेश या दशमेश की दृष्टि हो तो कन्या सौभाग्यशालिनी होती हैं। 2. जिसकी कुण्डली में नवमेश शुभ ग्रह से युत या दृष्ट हो और नवम भाव में कोई भी शुभ यह स्थित हो तो वह कन्या बहुत भाग्यशाली होती  हैं। 3. जिस कन्या की पत्रिका में चंद्रमा, बुध और गुरु लग्न में हो, वह कन्या भाग्यशाली होती हैं। 4. जन्म लग्न में बुध-गुरु और शुक्र तीनों स्थित हो, वह कन्या बहुत यश प्राप्त करती हैं। 5. जिस कन्या की कुण्डली में लग्न, पंचम व नवम भाव पर शुभ ग्रहों का अधिक प्रभाव हो वह बहुत भाग्यशाली होती हैं। 6. भाग्यवान वर या कन्या से विवाह होने पर विवाह के बाद जीवन में बहुत उन्नति मिलती हैं।

3. भाग्यशाली वर Bhaagyashalee Var:-

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: जिस लड़के की कुण्डली में निम्न योग हों और उसकी कुण्डली जिस कन्या से मेल रखती हो तो विवाह उपरांत उस कन्या का भाग्य अवश्य उदय होता हैं।1.जन्मकुण्डली में भाग्येश{नवमेश} केन्द्र, त्रिकोण या लाभ भाव में अपनी उच्च राशि में हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 2. नवमेश पंचम भाव में, पंचमेश नवम भाव में और दशमेश दशम में हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 3. तृतीयेश व नवमेश की युति हो और उन पर बलवान शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 4. नवमेश की चतुर्थेश से युति हो और उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 5. नवमेश लग्न में, लग्नेश नवम में एवं दशमेश लाभ भाव में स्थित हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 6. नवमेश या पंचमेश शुक्र हो और किसी शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो ऐसा युवक भाग्यशाली होता हैं। 7. नवमेश व दशमेश की युति केन्द्र में हो तथा नवम भाव में एक भी शुभ यह हो तो लड़का भाग्यशाली होता हैं। 8. लग्नेश लाभ भाव में लाभेश नवम भाव में और नवमेश लगश्न में हो तो ऐसे जातक का पुनःपुनः भाग्योदय होता हैं।

4. क्या हैं बहु विवाह योग Kya Hain Bahu Vivaah Yog:-

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: 1. चन्द्र एवं शुक्र बलि होकर किसी भी भाव में एकसाथ स्थित हो तो ऐसे जातक के बहुत पत्नियाँ होगी। 2. लग्नेश उच्च अथवा स्वराशीगत केंद्र भावों में स्थित हो तो ऐसे जातक के बहुत विवाह होते हैं। 3. लग्न में एक यह उच्च राशी में स्थित हो तो भी ऐसे जातक से बहुत विवाह होते हैं। 4. लग्नेश और चतुर्थ भाव का अधिपति केन्द्रीय भावों में स्थित हो तो भी ऐसे जातक के बहुत से विवाह होते हैं। 5. शनि सप्तमेश हो तथा वह पापग्रह से युत हो तो ऐसे जातक से बहुत से विवाह होते हैं। 6. बाली शुक्र की दृष्टि सप्तम भाव पर हो तो भी ऐसे जातक से बहुत से विवाह होते हैं।

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran

5. शीघ्र विवाह के लिए निम्नानुसार उपाय करना चाहिए Sheeghr Vivaah Ke Lie Nimnaanusaar Upaay Karana Chaahie :- 

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran: 1. कुण्डली में बृहस्पति निर्बल होने पर उसका व्रत, जाप, पूजन एवं स्वर्ण धातु में सवा ५ रत्ती का पुखराज धारण करना चाहिए ।  2. 101 साबूत चावल के दाने चंदन में डुबोकर ॐ नमः शिवाय मंत्र के जाप के साथ शिवलिंग पर चढावें । 3. गुरुवार का व्रत करें एवं केले के वृक्ष का पूजन करें। 4. कुण्डली में सप्तमेश निर्बल होने पर उसका नग धारण करें। 5. सोमवार को शिवलिंग पर दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक करें। 6. पार्वती मंगल स्तोत्रम का पाठ करें । 7. भृंगराज या केले के वृक्ष की जड़ को अभिमंत्रित कर धारण करें। 8. मनोवांछित जीवन साथी की प्राप्ति के लिए दुर्गा सप्तशती के निम्न मंत्र का जाप करे- "पत्नि मनोरमा देहि मनोवृतानुसारिणीम्। तारिणी दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद्ववाम् "।  यदि स्त्री जातक पाठ करें तो पत्नी की जगह पति पढ़ें। पुरुष जातक के विवाह में विलम्ब होने पर शुक्ल पक्ष में मंगलवार को प्रातः हनुमान जी का ध्यान करते हुए 21 दिन तक निम्न श्लोक का 108  बार पाठ करें एवं हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।"स देवि नित्य परित्यामानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाण:। घृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृत प्रयत्नः"" दुर्गा सप्तशती में वर्णित अर्गला स्तोत्रम् एवम् क्षमा प्रर्थना का पाठ प्रतिदिन करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होकर सुख, समृद्धि एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। यदि उपरोक्तानुसार उपाय श्रध्दा एवं विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में विधि विधान से किये जायें तो प्रभावी परिणाम प्राप्त होकर शीध्र विवाह का योग बनता हैं।

Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran

FAQ-

1. शादी करने की सबसे अच्छी उम्र क्या हैं ?

डाक्टर. कैरी क्राॅइक मिशिगन के ट्रॉय में मेपल क्लिनिक के परिवार और विवाह के जानकर के अनुसार- "पहले पांच वर्षों में तलाक की कम से कम संभावना के साथ शादी करने की आदर्श उम्र 28 से 32 हैं।" "गोल्डीलॉक्स" {एक तारे के चारों ओर का वह क्षेत्र हैं जहाँ पृथ्वी जैसे किसी ग्रह की सतह न तो बहुत ठंडी और न ही बहुत गर्म हो अर्थात् उस ग्रह पर जीवन की संभावना हो।} गोल्डीलॉक्स सिद्धांत कहा जाता हैं, 'मतलब यह हैं कि इस उम्र में लोग बहुत बूढ़े नहीं होते हैं और न ही बहुत छोटे होते हैं।"

2. शादी के लियें कौन सी उम्र ठीक हैं ?

विशेषज्ञों के अनुसार शादी करने के लियें 28 से लेकर 30 तक की उम्र को सही माना गया हैं।

3. क्या देर से शादी करना ठीक हैं ?

खुद को खोजने और खोजने के लियें अधिक समय के साथ, देर से शादी करने से आपको आत्मविश्वास बनाने, रिश्तों को मजबूत करने और संवाद करना सीखने का समय मिल सकता हैं। लेकिन अपनी प्राथमिकताओं और कार्य-जीवन की सीमाओं के बारे में सतर्क रहना सुनिश्चित करें।

4. जल्दी शादी करने के लियें किस भगवान की पूजा करनी चाहियें ?

1. यदि किसी कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो उसे लगातार सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहियें और शिवलिंग में पवित्र जल से जलाभिषेक करना चाहियें। 2. उसे देवी पार्वती के रूप में तैयार होना चाहियें, शिव और पार्वती के बीच गाँठ बाँधनी चाहियें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करनी चाहियें। विवाह प्रस्ताव आने लगेंगे।

5. विलंबित विवाह का उपाय क्या हैं ?

उपाय- विवाह में देरी के आपके कारण चाहें जो भी हों, ज्योतिष के अनुसार अपने आहार में हल्दी का सेवन देर से शादी के लियें एक उपाय के रूप में कार्य करता हैं। आप इसका सेवन दूध, परांठे, या दाल में मिलाकर या नहाने के पानी में एक चुटकी मिला कर कर सकते हैं। 

6. विलंबित विवाह के कारण क्या हैं ?

विवाह में देरी के कारण परिस्थितिजन्य और स्व-निर्मित हो सकते हैं, हाँ, स्व-निर्मित भी! शादी में देरी के लिए स्व-निर्मित कारण 1. करियर 2. पेशेवर जीवन, 3. पारिवारिक जिम्मेदारियों और इसी तरह की कई अन्य परिस्थितियों पर बहुत अधिक ध्यान देना हो सकता हैं। प्रत्येक व्यक्ति का विवाह करने का एक निश्चित चक्र होता हैं। 

7. क्या 32 की उम्र में शादी करना ठीक हैं ?

आपकी 30 की उम्र में शादी करना आपकी जैविक घड़ी के लियें सबसे अच्छी बात नहीं हो सकती हैं, जब तक आपने अपना मन नहीं बना लिया हैं कि आप माता-पिता नहीं बनना चाहते हैं, तब तक चिंता करने की कोई बात नहीं हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारें लेख-विवाह में विलंब के कारण व निवारण Vivaah Mein Vilamb Ke Kaaran Va Nivaaran के माध्यम से जाना विवाह में बाधक योग कौन से हैं, भाग्यशाली कन्या, भाग्यशाली वर, क्या हैं बहु विवाह योग, शीघ्र विवाह के उपायों के बारें में विस्तृत रूप से जाना।

2 टिप्‍पणियां:

  1. I am so happy and glad sir my marriage fully compiled same day before so thankful to u

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका वैवाहिक जीवन सुखमय हो। जय महाकाल

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