Vaishno Devi Gupha Mandir Ka Itihaas...

आज हम हमारें लेख- Vaishno Devi Gupha Mandir Ka Itihaas वैष्णो देवी गुफा मन्दिर का इतिहास के माध्यम से जानेंगे कि मंदिर की पौराणिक कथा, मंदिर की कथा, वैष्णो देवी की कहानी क्या हैं ? वैष्णो देवी मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं जो कि भारत के राज्य जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के कटरा नगर के समीप पहाड़ियों पर स्थित हैं। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं । यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित  हैं मातारानी का मंदिर यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल  हैं।

vaishno devi gupha mandir ka itihaas va pauraanik katha

Vaishno Devi Gupha Mandir Ka Itihaas-

1. मंदिर परिचय Temple introduction:- 

Vaishno devi gupha mandir: त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं देवी काली ( दाएं ), सरस्वती ( बाए ) और लक्ष्मी ( मध्य ), पिण्डी के रूप में गुफा में विराजित हैं । इन तीनों पिण्डियों के सम्मिलित रूप को वैष्णो देवी माता कहा जाता  हैं । इस स्थान को माता का भवन कहा जाता हैं, पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट  हैं। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ हैं। इस चबूतरे पर माता का आसन  हैं जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं। भवन वह स्थान हैं जहां माता ने भैरवनीय का वध किया था।

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2. मंदिर की पौराणिक कथा Mythology of the temple:-

Vaishno devi gupha mandir: मंदिर के संबंध में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर एक सुंदर कन्या को देखकर भैरवनाथ उससे पकड़ने के लिए दौड़े तब वह कन्या वायु रूप में बदलकर त्रिकूट पर्वत की ओर उड़ चली भैरवनाथ भी उनके पीछे भागे माना जाता हैं कि तभी मां की रक्षा के लिए वहां पवनपुत्र हनुमान पहुंच गए हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और उस जल में अपने केश धोयें फिर वहीं एक गुफा में गुफा में प्रवेश कर माता ने नौ माह तक तपस्या की- वहाँ हनुमानजी ने पहरा दिया फिर भैरव नाथ वहां आ धमके उस दौरान एक साधु ने भैरवनाथ से कहा कि तू जिसे एक कन्या समझ रहा  हैं वह आदिशक्ति जगदम्बा हैं इसलिए उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे भैरवनाथ ने साधु की बात नहीं मानी तब माता गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बनाकर बाहर निकल गई यह गुफा आज भी अर्द्धकुमारी या आदिकुमारी या गर्भजून के नाम से प्रसिद्ध  हैं। अर्द्धकुमारी के पहले माता की चरण पादुका भी हैं  यह वह स्थान  हैं जहां माता ने भागते-भागते मुड़ कर भैरवनाथ को देखा था । अंत में गुफा से बाहर निकल कर कन्या ने देवी का रूप धारण किया और भैरवनाथ को वापस जाने का कह कर फिर से गुफा में चली गई, लेकिन भैरवनाथ नहीं माना और गुफा में प्रवेश करने लगा। यह देखकर माता की गुफा पर पहरा दे रहे हनुमानजी ने उसे युद्ध के लिए ललकार और दोनों का युद्ध हुआ। युद्ध का कोई अंत नहीं देखकर माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप लेकर भैरवनाथ का वध कर दिया। 

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। 

CONCLUSION- आज हम हमारें लेख Vaishno Devi Gupha Mandir Ka Itihaas वैष्णो देवी गुफा मन्दिर का इतिहास के माध्यम से जाना कि मंदिर की पौराणिक कथा, मंदिर की कथा, वैष्णो देवी की कहानी क्या हैं।

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