आज हम हमारें लेख श्री राम-रक्षास्त्रोतम् भाग प्रथम के माध्यम से जानेंगे कि राम रक्षा स्त्रोत के मंत्रो का अर्थ क्या हैं- श्री राम रक्षास्तोत्रम् बुधकौशिक नामक ऋषि द्वारा भगवान श्रीराम की स्तुति में रचा गया स्तोत्र हैं।
।। श्रीरामरक्षास्तोत्रम्।।
श्री राम-रक्षास्तोत्रम् भाग प्रथम Shri Ram Rakshastotram...
।। श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ।। ।। श्रीगणेशायनमः।। ।। विनियोग ।।
"अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य। बुधकौशिक ऋषि श्रीसीतारामचंदोदेवता । अनुष्टुप् छन्दः । सीता शक्ति । श्रीमदहनुमान कीलकम् । श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थ जपे विनियोग"।
अर्थ - इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र केे रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं सीता और रामचंद्र देवता हैं अनुष्टुप छंद हैं- सीता शक्ति हैं, हनुमानजी कीलक हैं तथा श्री राम चंद्रजी की प्रसन्नता के लिए राम रक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता हैं।
।। अथ ध्यानम् ।।
"ध्यावेदाजानुबाहु धृतशरधनुष बद्धपद्मासनस्था । पीत वासोवसान नवकमलदलस्पर्धिनेत्र प्रसन्नम् ।। वामांकास्डसीता मुखकमलमिललोचन नीरदाभ नानालकारदीप्त दधतमुरुजटामण्डल रामचंद्रम् " ।।
ध्यान धरिए- जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं बद्ध पद्मासन की मुद्रा मे विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दल के समान स्पर्धा करते हैं जो बाये ओर स्थित सीताजी के मुख कमल से मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु मेघश्याम विभिन्न अलंकारों से विभूषित तथा जटाधारी श्रीराम का ध्यान करे ।
।। इति ध्यानम् ।।
"चरित रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् । एकैकमशरं पुंसां महापातकनाशनम्" ॥ 1 ॥
श्री रघुनाथजी का चरित्र सौ कोटि विस्तार वाला हैं। उसका एक-एक अक्षर महापात कों नष्ट करने वाला हैं।
"ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्। जानकीलक्ष्मणोपेत जटामुकुटमण्डितम्" ॥ 2 ॥
नीले कमल के श्याम वर्ण वाले कमल नेत्र वाले, जटाओ के मुकुट से, सुशोभित जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्री राम का स्मरण कर।
"सासितूणधनुर्बाणपाणि नक्त चरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमज विभुम्" ॥ 3 ॥
जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक हाथ मे खड्ग तुणीर धनुष-बाण धारण किए राक्षसौं के संहार तथा अपनी लीलाओं से जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्रीराम का स्मरण कर।
"रामरक्षां पठेत्पाज्ञः पापध्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघवः पालु भालं दशरथात्मजः" ॥ 4 ॥
मैं सर्वकामप्रद और पापों को नष्ट करने वाले राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता हूँ। राधव मेरे सिर की और दशरथ के पुत्र मेरे ललाट की रक्षा करें।
"कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती। धाणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः" ।। 5 ।।
कौशल्या नंदन मेरे नेत्रो की, विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की, यज्ञरक्षक मेरे घाण की और सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें ।
"जिह्ववां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः। स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक" ॥ 6 ॥
विद्या निधि मेरी जिह्ववा की रक्षा करें, कंठ की भरत-वंदित, कंधौं की दिव्यायुध और भुजाओं की महादेवजी का धनुष तोडने वाले भगवान्
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम रक्षा करें ।
"करौं सीतपतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः" ॥ 7 ॥
मेरे हाथों की सीता पति श्रीराम रक्षा करें हृदय की जमदग्नि ऋषि के पुत्र को "परशुराम" जीतने वाले, मध्य भाग की खरके "नामक राक्षस" वधकर्ता और नाभि की जांबवान के आश्रय दाता रक्षा करें।
"सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। ऊरु रघुत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् " ॥ 8 ॥
मेरे कमर की सुग्रव के स्वामी हडियों की हनुमान प्रभु और रानों की राक्षस कुल का विनाश करने वाले रघुकुलश्रेष्ठ रक्षा करें ।
"जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः। पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः" ॥ 9 ॥
मेरे जानुओं की सेतुकृत जंघाओं की दशानन वधकर्ता चरणों की विभीषण को ऐश्वर्य प्रदान करने वाले और सम्पूर्ण शरीर की श्रीरामं रक्षा करें ।
"एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् । स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् " ॥10 ॥
शुभ कार्य करने वाला जो भक्त भक्ति एवं श्रद्धा के साथ रामबल से संयुक्त होकर इस स्तोत्र का पाठ करता हैं, वह
दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनयशील हो जाता हैं। शिव पार्वती से बोले हे- सुमुखी! राम-नाम विष्णु सहस्त्रनाम के समान हैं। मैं सदा राम का स्तवन करता हूं और राम-नाम में ही रमण करता हूं।
1. राम राम लिखने से क्या फायदे होते हैं ?
राम राम नाम जप करने की अपेक्षा हजार गुना अधिक पुण्य राम नाम लिखनें से मिलता हैं ये बात आनन्द रामायणम् अनुसार कहीं गई हैं। कहते हैं कि
लाल रंग की स्याही से श्रीराम का नाम लिखने से हनुमान प्रसन्न होते हैं। इससे शनि, राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रकोप से राहत मिलती हैं। इसके अलावा मन एकाग्र होता हैं और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती हैं। 2. राम स्तुति कब पढ़ना चाहिए ?
रामनवमी पर्व के दिन समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली भगवान श्रीरामचंद्रजी की चमत्कारी स्तुति। राम जन्मोत्सव पर्व की पूजा आराधना करने के बाद इस स्तुति का पाठ अर्थ सहित जरूर करें। ये राम स्तुति का सहीं समय होता हैं।
3.राम रक्षा स्त्रोत कितनी बार पढ़ना चाहिए ?
वेदों के अनुसार राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पढ़ लिया जायें तो इसका प्रभाव पूरे दिन तक रहता हैं और यदि राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 45 दिनों कर लिया जायें तो इसके फल में वृद्धि हो जाती हैं। ऐसा माना जाता हैं कि श्रीराम की भक्ति से बड़े से बड़े संकटों का नाश हो जाता हैं और हर तरह की बाधा का निवारण होता हैं।
4. राम रक्षा स्तोत्र में कितने श्लोक हैं ?
श्री राम रक्षा स्तोत्र में 38 श्लोक हैं जिनमें अधिकांश अनुष्टुप् छन्द में हैं और इस कारण यह बहुत जल्दी ही याद हो जाते हैं।
5. श्री राम रक्षा स्तोत्र क्या हैं ?
श्रीराम रक्षा स्त्रोत श्रीराम का पाठ हैं, जिसे श्रीराम की पूजा करते हुए पढ़ा जाता हैं मानव को इस पाठ के अद्भुत लाभ अपने जीवन में देखने को मिलतें हैं। इस पाठ से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता हैं।
6. राम रक्षा स्त्रोत पढ़ने से क्या लाभ होता हैं ?
जो जातक इसका पाठ करता हैं वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी तथा विनयसंपन्न होता हैं। इससे मंगल का कुप्रभाव समाप्त होता हैं - मान्यता हैं कि इसके प्रभाव से व्यक्ति के चारों और सुरक्षा कवच बनता हैं, जिससे हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा होती हैं - इसके पाठ से भगवान राम के साथ पवनपुत्र हनुमान भी प्रसन्न होते हैं।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION- आज हम हमारें लेख श्री राम-रक्षास्त्रोतम् भाग प्रथम Shri Ram Rakshastotram के माध्यम से जाना कि राम रक्षा स्त्रोत के मंत्रो का अर्थ क्या हैं- श्री राम रक्षास्तोत्रम् बुधकौशिक नामक ऋषि द्वारा भगवान श्रीराम की स्तुति में रचा गया स्तोत्र हैं।
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