Shanidev Kee Mahima Mantra Va Stotra...
आज हम हमारें लेख शनिदेव की महिमा- मंत्र व स्तोत्र Shanidev Kee Mahima Mantra Va Stotra के माध्यम से जानेंगे कि व्यक्ति के जीवन पर श्री शनिदेव अति-शीध्र प्रभाव डालते हैं। शनि देव से सम्बंधित सभी चिंताओं का निवारण करने में "शनिमंत्र व शनिस्तोत्र" विशेष रूप से शुभ रहते हैं। शनिमंत्र शनि पीड़ा परिहार का कार्य करता हैं।
Shani Dev Kee Mahima Mantra Va Stotra...
1. सूर्य पुत्र शनि ग्रहों के राजा Son of sun saturn king of planets:-
Shanidev Kee Mahima Mantra Va Stotra: नवग्रह परिवार में सूर्य को "राजा" व शनिदेव को भृत्य "नौकर" का स्थान प्राप्त हैं ऐसा अनेक प्राचीन ग्रंथों में लिखा हैं- किंतु महर्षि काश्यप ने शनि स्तोत्र के एक मंत्र में सूर्य पुत्र शनिदेव को महाबली और ग्रहों का राजा कहा हैं- 'सौरिग्रहराजो महाबलः' शनिदेव ने शिव भक्ति व तपस्या से नवग्रहों में यह सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया हैं। इसकी पौराणिक कथा बड़ी ही रोचक हैं-
2. शनिदेव नमस्कार मंत्र Shanidev Namaskar Mantra:-
3. श्री शनि देव स्तोत्र Shri Shani Dev Stotra:-
"ऊँ कोणस्थः पिंगलोबभ्रु कृष्णो रौद्रान्तको यमः। सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्लाश्रय संस्थितः"।। जो व्यक्ति प्रतिदिन अथवा प्रति शनिवार को पीपल वृक्ष पर जल अर्पित करके शनिदेव के उपरोक्त:- नामों-कोणस्थ पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मन्द, पिप्लाश्रय संस्थित। को पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर जपेगा उसको शनि की पीड़ा कभी नहीं होगी एक बार शनिदेव पिप्लादमुनि आश्रित हो गये थे तथा पिप्लाद मुनि ने शनि देव को अंतरिक्ष में स्थापित किया था इसलिए शनिदेव का दसवां नाम ' पिप्लाश्रय संस्थित ' पड़ा हैं । महर्षि पिप्लाद मुनि ने भगवान शिव की प्रेरणा से शनिदेव की स्तुति की थी जो इस प्रकार हैं:-
"नमस्ते कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णायच नमोस्तुते।। नमस्ते रोद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।। नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते।प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च"।।
इस नमस्कार मंत्र का उच्चारण करते हुए शनिदेव का तैलाभिषेक करें- तेल चढ़ाए व कुमकुम से तिलक करें। काले उड़द, काले तिल, नीले फूल व सिक्का चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं। शनि के इन स्तुति मंत्रों का शनिवार को प्रातःकाल शनि की होरा में अथवा प्रतिदिन 10 बार एक माला, दस माला अथवा 10 हजार की संख्या में जप करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं।
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