राहु की महादशा के प्रभाव- Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav...
राहु की महादशा के प्रभाव- Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav...
1. राहु-बृहस्पति Raahu Brhaspati :-
बच्चों का ऐसा दुराग्रही व्यवहार कुछ समय ही रहेगा। बच्चे पिता के व्यवसाय में आर्थिक रूप से सहयोगी हो सकते हैं। नौकरी परस्त व्यक्तियों के लिये यह समय अनुकूल रहता हैं। उच्चाधिकारी तथा सहयोगी कार्यों का समर्थन करते हैं और व्यक्ति के विचार एवं परामर्श को सम्मान देते हैं। जन्म-पत्रिका में राहु व बृहस्पति की युति "गुरू-चण्डाल योग" का निर्माण करती हैं। यही कारण हैं कि- इस अन्तर्दशा में कई बार व्यक्ति को अपने अधीनस्थ या अनुजों का विरोध सहना पड़ता हैं। तीर्थ यात्रायें होने की सम्भावनायें रहती हैं, धार्मिक गतिविधियों, कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता हैं या धर्म ग्रंथों के अध्ययन में रूचि बढ़ती हैं।
2. राहु-शनि Rahu Sani:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: ग्रहों के विभाजन में राहु व शनि को क्रूर ग्रह माना जाता हैं। राहु महादशा में शनि अन्तर्दशा के अन्तर्गत मानसिक एवं शारीरिक कष्ट प्राप्त होते हैं। व्यक्ति इस दशाक्रम में सगे-संबंधियों व मित्रों के विरोध के कारण अपने कर्त्तव्यों की पालना में स्वयं को असहज महसूस करता हैं। राहु शनि के संयुक्त प्रभाव इस समय व्यक्ति पर देखने को मिलता हैं। वह स्वयं भ्रमित रहता हैं एवं किसी पर भी विश्वास नहीं करता हैं। कार्यस्थल पर ऐसा महसूस होता हैं कि कोई भी उसकी सहायता नहीं करना चाहते यदि वह आगे बढ़ रहा हैं तो लोग उसे पीछे गिराना चाहते हैं।
कुंठाग्रस्त होकर व्यक्ति जन्म स्थान से अन्यत्र जाने का प्रयास करता हैं। व्यक्ति को इस समय चाहिये कि अपनी संपूर्ण शक्ति को एकाग्र करके इस निराशाजनक स्थिति से उभरने के लिए भरसक प्रयास करें। गरीब और जरूरतमंद लोगो की सहायता करें। इससे अवश्य ही मानसिक शांति मिलेगी, परिस्थितियों से डरें नहीं आने वाली अन्तर्दशा सुखद रहेगी। राहु व शनि दोनों ही कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अत: समाज के दलित और नीचे तबके के गरीब वर्ग के लोगों की सहायता करनी चाहिए।
3. राहु-बुध Rahu Budha:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: पूर्व में चल रही भ्रमपूर्ण एवं चिंताजनक स्थिति अब समाप्त होने जा रही हैं और अब राहु महादशा में बुध की अंतर्दशा के अंतर्गत अचानक लाभ होने लगेंगे चतुर बुध परिस्थितियों को व्यक्ति के अनुकूल मोड़ लेंगे, साथ ही "राज्याधिकारी" "शासक" और "मामा पक्ष" से सम्मान और समर्थन मिलने लगेगा।
व्यक्ति के नियोक्ता भी सहृदयी एवं उदार हो जाएंगे, निकट संबंधियों से उचित सम्मान की प्राप्ति होगी। इस विशेष एवं अनुकूल समय में जीवनसाथी आत्म गौरवान्वित होगा और चारों ओर खुशियों की बहारें होंगी। व्यवसाय में व्यक्ति द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयासों से आप इच्छा लाभांश प्राप्त करने में सफल रहेंगे। बुध की इस अन्तर्दशा में व्यक्ति तकनीकी क्षेत्र से संबंधित ज्ञान अर्जित करता हैं, साथ ही व्यापारिक गतिविधियाँ, बुध्दिमानी और भाषा कौशल बढ़ाता हैं।
4. राहु-केतु Rahu Ketu:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु महादशा के अंतर्गत केतु अन्तर्दशा में व्यावसायिक क्षेत्र या कार्य स्थल पर अत्यंत सावधान रहना चाहिये, किसी भी समय आकस्मिक घटना घटित हो सकती हैं। व्यर्थ की यात्राएं इस अवधि में अधिक होती हैं। चौपाया जानवरों या वाहन से संबंधित नुकसान हो सकता हैं। जीवन के प्रत्येक मोर्चे पर हानि सहनी पड़ सकती हैं जो आर्थिक, शारीरिक अथवा मानसिक शांति से भी संबंधित हो सकती हैं। इस अन्तर्दशा में झूठे आरोप लगते हैं, जिससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को क्षति होती हैं।
यदि व्यक्ति अपने आस-पास हो रहे घटनाक्रम पर ध्यान देगा तो पाएगा कि लगभग सभी उसके साथ असहयोग का व्यवहार करने लगे हैं। केतु आकस्मिकताओं से भरे ग्रह हैं, केतु की विशेषताएँ हैं-तत्काल परिणाम जो अच्छे-बुरे किसी भी विषय से संबंधित हो सकते हैं। इस समयावधि में व्यक्ति अत्यधिक धार्मिक हो जाता हैं, अत्यधिक दान करना, पुराणों के अध्ययन में रुचि या सांसारिक भोग विलासों से दूर आदि। व्यक्ति के धैर्य, क्षमता और बल की परीक्षा के लिये यह सही अन्तर्दशा होती हैं।
5. राहु-शुक्र Rahu Sukra:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: हिन्दु धर्मशास्त्रों के अनुसार राहु शक्ति प्रदर्शक ग्रह हैं और वे शुक्र के गुणों का परिवर्धन करते हैं जो मनोरंजन और भोगविलासों के कारक ग्रह हैं। ग्रीक धर्मशास्त्रों के अनुसार- शुक्र सौंदर्य की देवी हैं और इसीलिए राहु की अंतर्दशा में शुक्र व्यक्ति को अकल्पनीय प्रचुर सांसारिक सुख, ऐंद्रिय सुख, अति-वासनामय बनाते हैं। इस अन्तर्दशा में व्यक्ति धन, भोग-विलास और भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने के लिये पागलों की तरह दौड़ता हैं। यदि उपरोक्त विषयों की प्राप्ति के लिये ऋण भी लेना पड़े तो पीछे नहीं हटता हैं।
यदि नकारात्मक विषयों को नजर अंदाज करें तो इस अन्तर्दशा में व्यक्ति की सृजन क्षमता, उत्पादकता और कार्य प्रदर्शन एवं प्रस्तुतिकरण उत्कृष्ट रहता हैं। इस दशाक्रम में व्यक्ति के द्वारा ऐसे कई अद्वितीय कार्य होंगे जिनके कारण व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा व मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।
6. राहु-सूर्य Rahu Surya:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु देव सूर्य देव के प्रभाव को कम करते हैं। सूर्य को राहु ग्रसित करते हैं, इसलिए वे नैसर्गिक शत्रु हैं। इस दशा अन्तर्दशा में अधिकारियों व राजकीय तंत्रों का विरोध सहना पड़ता हैं। समाज व कार्य स्थल पर प्रतिष्ठा को क्षति होती हैं, यदि व्यावसायिक हैं तो ख्याति को नुकसान पहुंचता हैं। शत्रुओं का पक्ष प्रबल रहेगा। उपरोक्त परिस्थितियों के कारण व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जायेगा जो आगे चलकर व्यावसायिक गतिविधियों पर दुष्प्रभावी रहेगा। ग्रह हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करते हैं, इसलिए किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करने की अपेक्षा धैर्य और शांति से काम लेना होगा।
इस समय वाहन सावधानी से चलाना हितकर रहता हैं। हड्डियों से संबंधित रोग पीड़ा पहुंचा सकते हैं। शीघ्र निर्णय या महत्वपूर्ण निर्णय इस समयावधि में नहीं लेना चाहिये अन्यथा शुभ की जगह अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। ग्रहों में राहु भ्रमजाल के रचयिता माने गये हैं। राहु से प्रभावित व्यक्ति सभी पर तुरंत ही विश्वास बना लेता हैं और धोखा खाता हैं। व्यक्ति के स्वभाव में अस्पष्टता का गुण देखने को मिलता हैं। स्वास्थ्य संबंधी नैदानिक जाँचें भी इस समयावधि में सही परिणाम नहीं दे पाती हैं।
7. राहु-चंद Rahu Chand:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: इन दोनों ग्रहों की नैसर्गिक शत्रुता सर्वविदित हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं, राहु भ्रम के अतः यह अन्तर्दशा संदेहों और अस्पष्टताओं से भरी होती हैं। इन दिनों व्यक्ति के लक्ष्य भी स्पष्ट नहीं हो पाते हैं, साथ ही पारिवारिक गलतफहमियाँ बढ़ती हैं। यद्यपि व्यक्ति के इर्दगिर्द सुख-सुविधाएं तो होती हैं परंतु दशा प्रभावित व्यक्ति उनको भोग नहीं पाता हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहती हैं और रोग का वास्तविक कारण पता नहीं चल पाता हैं। आय से अधिक खर्च होता हैं, अवांछित वस्तुओं पर खर्चे अधिक होते हैं। महीने के खर्चों में दवाओं का खर्चा अत्यधिक होता हैं।
व्यक्ति को चाहिये कि अपने मस्तिष्क को अन्य विषयों में भी सक्रिय रखें, क्योंकि राहुदेव भ्रामक विचारों को जन्म देते हैं। यदि व्यक्ति विचारों का विश्लेषण अर्थात् चिंतन-मनन करने लगेगा तो उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होंगे, इसलिए आशावादी बने रहें, अच्छा सोचें, प्रेरणादायी विषयों पर मन को एकाग्र करें। राहु का किडनी, बड़ी आँतें और शरीर के जोड़ों पर अधिकार हैं। राहुजनित रोगों से मुक्ति के लिए आप विषैली औषधियों का इलाज ले सकते हैं। राहु को समस्याएँ पैदा करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता हैं परंतु वह आने वाली बृहस्पति अन्तर्दशा के लिए अनुकूल भूमिका बना देते हैं। चंद्रमा माता के कारक हैं अत: इस अन्तर्दशा में उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिये।
8. राहु-मंगल Rahu Magala:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु अत्यंत चालबाज एवं छलपकटपूर्ण ग्रह हैं। व्यक्ति जिस व्यवस्था में कार्य कर रहा हैं, उसमें संसाधनों को नये ढंग से पुनर्व्यवस्थित करने का विचार बनाता हैं। राहु की यह अंतर्दशा लोगों के मन में गलतफहमी पैदा कर सकती हैं। अनावश्यक कारणों के प्रति स्पष्टीकरण देना, रोगों के मूल कारणों का पता न लगना या बैक्टीरिया "फफूंदीजनित" रोग का सामना करना पड़ता हैं।
मशीनरी कार्य से जुड़े व्यक्ति को लाभ की प्राप्ति होती हैं। व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिये कि अनैतिक कार्यों में आपका जुड़ाव न रखें अन्यथा तनाव बढ़ेगा, प्रयास करें बुरी संगत से छुटकारा पाने का अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये अन्यथा आवास या कार्यस्थल को त्यागना पड़ सकता हैं। राहु में मंगल की अंतर्दशा में अज्ञात बीमारी, अनगिनत समस्याएँ और आकस्मिक दुर्घटनाएँ आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। यदि राहु व मंगल का संबंध पत्रिका में शुभ स्थित में हो तो इस अन्तर्दशा में व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त होती हैं। सारांश में यह समयावधि सफलता व विफलता लिये हुयें रहती हैं।
FAQ-
1. राहु की महादशा अच्छी हो सकती हैं ?
यदि जब राहु अपने मित्र ग्रहों जैसे वृष, मिथुन, मकर, कुम्भ, कन्या के साथ अच्छी तरह से स्थित होता हैं, तो यह महान धन लाभ, सुख-सुविधाओं में वृद्धि, अचानक विवाह, विदेश यात्रा और यहां तक कि व्यक्ति विदेश में स्थायी निपटान की उम्मीद कर सकता हैं। ये चार कारण आपके जीवन में घटित हो रहें हैं तो समझेंगे की राहु की महादशा अच्छी चल रहीं हैं।
2. राहु की महादशा खराब क्यों हैं ?
राहु केतु महादशा एक ऐसी स्थिति हैं जहां राहु और केतु की उपस्थिति के कारण आपके ज्योतिषीय संकेत आपको बड़ीं परेशानी देते हैं। जैसे 1. परिवार में विवाद 2. काम में देरी 3. प्रेम जीवन में विवाद इस प्रकार से जीवन में परेशानी रहती हैं, ये सब राहु और केतु की महादशा होनें के कारण होता हैं।
3. राहु से कौन सा भगवान बचा सकता हैं ?
गुरु बृहस्पति ही राहु को नियंत्रित कर सकते हैं , बृहस्पति गुरु का प्रतिनिधित्व करता हैं और इसलियें मैं आपको अपने गुरु की पूजा और सम्मान करने की सलाह देता हूं। मुझे लगता हैं कि राहु के हानिकारक प्रभावों से खुद को बचाने का यह सबसे अच्छा तरीका हैं। सबसे अच्छा उपाय जो मैं सुझा सकता हूं वह हैं 'ओम रां राहवे नमः' मंत्र का जाप करना।
4. राहु की महादशा में किस की पूजा करनी चाहियें ?
1. राहु की महादशा होनें पर अपने गुरु की पूजा व सम्मान करना चाहियें, 2. राहु-ग्रह शंकर जी के परम भक्त हैं। इसलियें भगवान शिव की आराधना भी करनी चाहियें।
5. राहु को क्या पसंद हैं ?
विशेषतौर से राहु का पसंदीदा अन्न गेहूं व पसंदीदा वस्त्र कंबल हैं। 1. काली वस्तुओं के दान से लाभ होता हैं। 2. काली उड़द, काले चने आदि का दान श्रेष्ठ होता हैं। 3. तांबे या काले तिल का दान ये सब वस्तुओं को राहु पसंद करते हैं। इन वस्तुओं के दान करने से कुण्डली में राहु का प्रभाव कम होता हैं।
6. राहु से आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें ?
राहु का आशीर्वाद प्राप्त करने का सरल उपाय- प्रत्येक बुधवार को नियमित रूप से मंत्र - "ॐ दुर्गाये नमः" का 108 बार जाप करें । यह राहु के कारण होने वाली परेशानियों का सामना करने के लियें व्यक्ति को मजबूत करेगा। राहु की शुभ कृपा प्राप्त करने के लियें शनिवार के दिन राहु से संबंधित वस्तुएं जैसे तांबे या काले तिल का दान करें।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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