Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav...
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav राहु की महादशा के प्रभाव...
1. राहु-बृहस्पति Raahu Brhaspati :-
2. राहु-शनि Raahu Sani:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: ग्रहों के विभाजन में राहु व शनि को क्रूर ग्रह माना जाता हैं। राहु महादशा में शनि अन्तर्दशा के अन्तर्गत मानसिक एवं शारीरिक कष्ट प्राप्त होते हैं। व्यक्ति इस दशाक्रम में सगे-संबंधियों व मित्रों के विरोध के कारण अपने कर्त्तव्यों की पालना में स्वयं को असहज महसूस करता हैं। राहु शनि के संयुक्त प्रभाव इस समय व्यक्ति पर देखने को मिलता हैं। वह स्वयं भ्रमित रहता हैं एवं किसी पर भी विश्वास नहीं करता हैं।
3. राहु-बुध Raahu Budha:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: पूर्व में चल रही भ्रमपूर्ण एवं चिंताजनक स्थिति अब समाप्त होने जा रही हैं और अब राहु महादशा में बुध की अंतर्दशा के अंतर्गत अचानक लाभ होने लगेंगे चतुर बुध परिस्थितियों को व्यक्ति के अनुकूल मोड़ लेंगे, साथ ही "राज्याधिकारी" "शासक" और "मामा पक्ष" से सम्मान और समर्थन मिलने लगेगा।
4. राहु-केतु Raahu Ketu:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु महादशा के अंतर्गत केतु अन्तर्दशा में व्यावसायिक क्षेत्र या कार्य स्थल पर अत्यंत सावधान रहना चाहिये, किसी भी समय आकस्मिक घटना घटित हो सकती हैं। व्यर्थ की यात्राएं इस अवधि में अधिक होती हैं। चौपाया जानवरों या वाहन से संबंधित नुकसान हो सकता हैं।
5. राहु-शुक्र Rahu Sukra:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: हिन्दु धर्मशास्त्रों के अनुसार राहु शक्ति प्रदर्शक ग्रह हैं और वे शुक्र के गुणों का परिवर्धन करते हैं जो मनोरंजन और भोगविलासों के कारक ग्रह हैं। ग्रीक धर्मशास्त्रों के अनुसार- शुक्र सौंदर्य की देवी हैं और इसीलिए राहु की अंतर्दशा में शुक्र व्यक्ति को अकल्पनीय प्रचुर सांसारिक सुख, ऐंद्रिय सुख, अति-वासनामय बनाते हैं।
6. राहु-सूर्य Rahu Surya:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु देव सूर्य देव के प्रभाव को कम करते हैं। सूर्य को राहु ग्रसित करते हैं, इसलिए वे नैसर्गिक शत्रु हैं। इस दशा अन्तर्दशा में अधिकारियों व राजकीय तंत्रों का विरोध सहना पड़ता हैं। समाज व कार्य स्थल पर प्रतिष्ठा को क्षति होती हैं, यदि व्यावसायिक हैं तो ख्याति को नुकसान पहुंचता हैं। शत्रुओं का पक्ष प्रबल रहेगा। उपरोक्त परिस्थितियों के कारण व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जायेगा जो आगे चलकर व्यावसायिक गतिविधियों पर दुष्प्रभावी रहेगा।
7. राहु-चंद Rahu Chand:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: इन दोनों ग्रहों की नैसर्गिक शत्रुता सर्वविदित हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं, राहु भ्रम के अतः यह अन्तर्दशा संदेहों और अस्पष्टताओं से भरी होती हैं। इन दिनों व्यक्ति के लक्ष्य भी स्पष्ट नहीं हो पाते हैं, साथ ही पारिवारिक गलतफहमियाँ बढ़ती हैं। यद्यपि व्यक्ति के इर्दगिर्द सुख-सुविधाएं तो होती हैं परंतु दशा प्रभावित व्यक्ति उनको भोग नहीं पाता हैं।
8. राहु-मंगल Rahu Magala:-
Raahu Kee Mahaadasha Ke Prabhaav: राहु अत्यंत चालबाज एवं छलपकटपूर्ण ग्रह हैं। व्यक्ति जिस व्यवस्था में कार्य कर रहा हैं, उसमें संसाधनों को नये ढंग से पुनर्व्यवस्थित करने का विचार बनाता हैं। राहु की यह अंतर्दशा लोगों के मन में गलतफहमी पैदा कर सकती हैं।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
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