पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा ! Pashupatinath Napal

हमनें हमारी पुरानी पोस्ट में नर्मदेश्वर शिवलिंग, नागेश्वर-शिवलिंग, काशीविश्वनाथ, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम् मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर के बारें आप सबको बताया इसी क्रम में आगें बढ़ते हुए आज हम पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा ! Pashupatinath Napal के माध्यम से जानेंगे पशुपतिनाथ मंदिर के बारें में- जो महादेव शिव को समर्पित एक सनातनी मंदिर हैं ये नेपाल की राजधानी काठमांडू से 3कि.मी उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गाँव में स्थित शिव को समर्पित शिवालय हैं 

नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर भगवान पशुपतिनाथ का प्रमुख निवास स्थान माना जाता था यह मंदिर यूनेस्को UNESCO  विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल हैंपशुपतिनाथ मंदिर में आस्था रखने वालें हिंदुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति हैं गैर हिंदू आगंतुकों को इसे बाहर से बागमती नदी के दूसरे किनारे से देखने की अनुमति हैं

Pashupatinath Napal

पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा Pashupatinath Napal...

Pashupatinath Napal: यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता हैं 15वीं शताब्दी के राजा "प्रताप मल्ल" से शुरु हुई एक  परंपरा हैं कि मंदिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं जो कि आज तक अनवरत जारी हैं। शिवरात्रि का पर्व पशुपतिनाथ मंन्दिर में विशेष रूप से मनाया जाता हैं। किंवदंतियों के अनुसार- इस मंदिर का निर्माण "सोमदेव राजवंश" के पशु-प्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा. पूर्व में कराया था किंतु उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज़ 13वीं शताब्दी के ही हैं। इस मंदिर के जैसे अन्य मंदिरों का भी निर्माण हुआ हैं जिनमें भक्तपुर 1480 ललितपुर 1566 और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) शामिल हैं। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ था इसका पुनः निर्माण "राजा नरेश भूपतेंद्र मल्ल" ने 1697 में करवाया था।

1. पशुपतिनाथ मंदिर की कथा Pashupatinath Mandir ke katha:-

Pashupatinath Napal: नेपाल महात्म्य और हिमवतखंड पर आधारित स्थानीय कथा के अनुसार- भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले आयें जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में हैं भगवान शिव वहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। 
इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को कुछ मायनों में तमाम मंदिरों में सबसे प्रमुख माना जाता हैं। 'पशुपति' का अर्थ-पशु मतलब 'जीवन' और पति मतलब 'स्वामी' या मालिक यानी 'जीवन का मालिक' या 'जीवन का देवता' पशुपतिनाथ दरअसल चार चेहरों वाला लिंग हैं। 
पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को "तत्पुरुष" और पश्चिम की ओर वाले मुख को "सद्ज्योत" कहते हैं उत्तर दिशा की ओर देख रहा मुख "वामवेद" हैं तो दक्षिण दिशा वाले मुख को "अघोरा" कहते हैं। ये चारों चेहरे तंत्र-विद्या के चार बुनियादी सिद्धांत हैं कुछ लोग ये भी मानते हैं कि चारों वेदों के बुनियादी सिद्धांत भी यहीं से निकले हैं माना जाता हैं कि- यह लिंग वेद लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो गया था और इससे कई पौराणिक कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक कहानी इस तरह हैं-

2. पशुपतिनाथ मंदिर की पौराणिक कथा Pashupatinath Mandir ke Pauranik Katha:-

Pashupatinath Napal: महाभारत में कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद अपने ही "बंधुओं कौरव" की हत्या करने की वजह से पांडव बेहद दुखी थे उन्होंने अपने भाइयों और सगे संबंधियों को मारा था इसे "गोत्रवध" कहते हैं। उनको अपनी करनी का पछतावा था और वे खुद को अपराधी महसूस कर रहे थे खुद को इस दोष से मुक्त कराने के लिए वे शिव की खोज में निकल पड़े। भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की कथा के अनुसार पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गयें किंतु भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप "केदारनाथ" कहलाया तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ वह "पशुपतिनाथ" कहलाया-

Pashupatinath Napal

FAQ-

1. पशुपतिनाथ मंदिर में किस चीज की अनुमति नहीं हैं?

पशुपतिनाथ मंदिर में सनातनी के अलावा गैर सनातनी का प्रवेश निषेध हैं इसके साथ साथ मंदिर परिसर में हरि तालिका तीज उत्सव के अवसर पर पशुपतिनाथ और मूल मंदिर की तस्वीरें लेने की मनाही हैं। मंदिर में कैमरा ले जानें की अनुमति नहीं हैं। 

2. पशुपतिनाथ मंदिर जाने के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा हैं? 

पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं इस मंदिर में जानें का सबसे अच्छा समय महाशिवरात्रि का दिन हैं इस दिन मंदिर में शिव उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं, इस दौरान  भक्त पूरे नेपाल से और भारत से भी शिव की पूजा करने के लियें आते हैं। यह मंदिर काठमांडू के मध्य में शहर के केंद्र से लगभग 3 किमी दूर स्थित हैं। 

3. पशुपतिनाथ मंदिर में कितने चेहरे हैं?

पशुपतिनाथ भगवान शिव को समर्पित हैं एक मंदिर हैं भगवान शंकर के पांच मुख हैं जो विभिन्न अवतारों का प्रतिनिधित्व करतें हैं- 1. सद्योजाता ( वरूण) 2. वामदेव ( उमा महेश्वर) 3. तत्पुरुष 4. अघोर व 5. ईशान ये पांच मुख का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

4. पशुपतिनाथ कौन से भगवान का मंदिर हैं?

पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर हैं  इस कलात्मक मूर्ति का निर्माण चमकते हुए गहरे तांबे के उग्र चट्टान-खंड में हुआ हैं। मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित हैं।

5. केदारनाथ और पशुपतिनाथ में क्या संबंध हैं?

केदारनाथ और पशुपतिनाथ एक ही शिवलिंग के दो भाग हैं जब पांडवों को भगवान शिव से मिलना था तो शिव जी ने भैसे का रुप धारण कर लिया लेकिन उनके पूरी तरह धरती में समाने से पहले भीम ने पूंछ पकड़ ली, जिस स्थान पर भीम ने यह काम किया इसी जगह पर भगवान का स्वरूप स्थापित किया गया, यही बाद में केदारनाथ धाम कहलाया वहीं इस भैंसे का मुख धरती से जहां बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा गया।

6. पशुपतिनाथ मंदिर कितना पुराना हैं?

पशुपतिनाथ मंदिर का भव्य निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदीं में हुआ इसका निर्माण सोमदेव राजवंश के राजा पशुप्रेक्ष द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के निर्माण से जुड़े कुछ रोचक ऐतिहासिक मत भी हैं यदि इन पर विश्वास करें तो मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था नेपाल राष्ट्र के काठमांडू शहर में पशुपतिनाथ का मंदिर हैं जोकि करोड़ों सनातनी हिंदुओं की अडिग आस्था का केन्द्र भी हैं। 

7. पशुपतिनाथ के पास कौन सा शक्तिपीठ हैं?

नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित शक्तिपीठ 1. गुजयेश्वरी मंदिर ( माँ सती के दोनों घुटने गिरें ) यहाँ माँ को महाशिरा नाम से पूजा जाता हैं। 2. मुक्तिनाथ मंदिर ( माँ सती का मस्तक गिरा ) यहाँ माँ को गंडकी चंडी के नाम से पूजा जाता हैं। ये शक्तिपीठ नेपाल के पोखरा में गण्डकी नदी के तट पर स्थित हैं। इस प्रकार से पशुपतिनाथ के पास दो शक्तिपीठ स्थित हैं। 

8. पशुपतिनाथ के दर्शन कैसे करें?

जैसा कि आप सभी को पता हैं कि पशुपतिनाथ का मंदिर बागमती नदी के तट पर स्थित एक शिव मंदिर हैं। आप मंदिर दर्शन के लियें शाम 6 बजे का समय निर्धारित करें ये आनंदमयी संध्या आरती आपको अवश्य देखने को मिल जायेंगी, भगवान पशुपतिनाथ जी की यह संध्या आरती बहुत ही शानदार होती हैं तथा बागमती नदी के तट पर होने वाले दाह संस्कार का दृश्य आपको अपने जीवन के बारे में सोचने पर मजबूर कर सकता हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION:- आज हमनें हमारे लेख- पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा  Pashupatinath Napal के माध्यम से बताया कि पशुपतिनाथ मंदिर कि पौराणिक कथा क्या हैं और साथ साथ ही ये बताया कि इस मंदिर की अन्य कथा कौन सी हैं पाठकों उम्मीद करते हैं कि ये लेख आपके लियें उपयोगी हो और इसका लाभ आपको जरूर मिलें।

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