Meenakshi sundareshvar mandir...

आज हम तमिलनाडु राज्य के मदुरईं शहर के मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर-मीनाक्षी अम्मां मन्दिर के बारें में अपने लेख के माध्यम से जानेंगे हमनें हमारे पुराने लेख में तमिलनाडु राज्य के एकाम्बरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम वरदराजा पेरूमल मन्दिर, रामेश्वरम मंन्दिर आदि मन्दिर के बारें में विस्तृत रूप से जाना इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए हम मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर-मीनाक्षी अम्मां मन्दिर के बारें में हमारें इस लेख के माध्यम से जानेंगे- मीनाक्षी मन्दिर भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरईं नगर में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर हैं।

Meenakshi sundareshvar mandir

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Meenakshi sundareshvar mandir: यह मन्दिर हिन्दू देवता शिव "सुन्दरेश्वर" अर्थात सुन्दर ईश्वर के रूप में व उनकी धर्म पत्नी देवी पार्वती "मीनाक्षी" या मछली के आकार की आंख वाली देवी के रूप में दोनों को समर्पित एक विशाल मन्दिर हैं, मछली पांड्य राजाओं का राजचिह्न था। ये विलक्षण मन्दिर तमिल भाषा के गृहस्थान 2500 वर्ष पुराने मदुरईं नगर की जीवन रेखा हैं। हिन्दू पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वर रूप में अपनें गणों के साथ पांड्य राजा मलय ध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरईं नगर में आयें थे। 

1. मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर क्यों प्रसिद्ध हैं Why is Meenakshi Sundareshwar Temple famous:-

Meenakshi sundareshvar mandir: स्टेशन से पूर्व दिशा मे लगभग 1.5 किलोमीटर पर मदुरै नगर के मध्य भाग मे मीनाक्षी का मंदिर हैं। यह मन्दिर अपनी निर्माण कला की भव्यता के लिए सर्वत्र प्रसिद्ध हैं। मन्दिर लगभग 22 बीघे भूमि पर बना हुआ हैं। इसमे चारो ओर चार मुख्य गोपुर हैं, वैसे सब छोटे बड़े गोपुर मिलाकर 27 गोपुर मन्दिर मे हैं। सबसे अधिक ऊंचा दक्षिण का गोपुर हैं और सबसे सुंदर पश्चिम का गोपुर हैं। बड़े गोपुर 11 मंजिल ऊंचे हैं, गोपुर मे प्रवेश करने पर पहले एक मंडप मिलता हैं। जिसमे फल-फूल की दुकाने रहती हैं उसे नगार मंडप कहते हैं उसके आगे अष्ट-शक्ति मंडप हैं इसमे स्तंभो के स्थान पर आठ लक्ष्मियों की मूर्तिया छत के आधार पर बनी हैं यहा द्वार के दाहिने सुब्रहानदी तथा बाए गणेश जी की मूर्ती हैं इसमे आगे मीनाक्षी नायकम मंडप हैं। इस मंडप मे दुकाने रहती हैं इस मंडप के पिछे अंधेरा मंडप  मिलता हैं। उसमे भगवानविष्णु के मोहनी रूप, शिव, ब्रम्हा, विष्णु तथा अनुसूइयाजी की कलापूर्ण मूर्तिया हैं। 
Meenakshi sundareshvar mandir: अंधरे मंडप के आगे स्वर्ण पुष्पकरणी सरोवर हैं कहा जाता हैं की ब्रम्हा हत्या लगने पर इन्द्र इसी सरोवर मे छिपे थे तमिल भाषा मे इसे "पोतता और कूलम कहते हैं" सरोवर के चारों तरफ मंडप हैं इन मंडपो मे तीन ओर से मिट्टियों पर भगवान शंकर की 64 लीलाओ की चित्र बने हुये हैं। सरोवर के पश्चिम भाग का मंडप "किलिक मंडप" कहा जाता हैं इसमे पिजड़ों मे कुछ पक्षी पाले गए हैं यहा एक "अद्भुत सिंह" जी की मूर्ति हैं सिंह के मुख मे एक गोला बनाया गया हैं सिंह के जबड़े मे अंगुली दाबकर घुमाने से वह गोला चूमता हैं और चूमने के साथ ही साथ वह थोड़ी घर्र-घर्र! की आवाज भी उत्पन्न करता हैं, तब ऐसा महसूस होता हैं कि कोई सिंह हल्के से गुर्रा रहा हैं- पत्थर मे इस प्रकार का शिल्प्णैपुनय देखकर चकित रह जाना पड़ता हैं। 
Meenakshi sundareshvar mandir: मीनाक्षी मन्दिर का शिखर स्वर्ण मंडित हैं मन्दिर के सम्मुख बाहर स्वर्ण मंडित स्तम्भ हैं मीनाक्षी मन्दिर के भितर- मन्दिर के एक भाग के निर्माता नरेश तिरुमल तथा उनकी दो रानियों की मूर्तिया हैं। इस मन्दिर के दो भाग हैं 1. दक्षणी भाग मे भगवान शिव की पत्नी मीनाक्षी का मंदिर हैं और 2. उत्तरी भाग मे सुदरेश्वर की मूर्ति हैं शिवजी की यहाँ इसी नाम से आराधना की जाती हैं मदुरै का जन-प्रिय धार्मिक उत्सव चैत का मेला हैं जिसमे सुंदरेश्वर शिव हैं और मीनाक्षी पार्वती की अवतार हैं मलयध्वज नामक पांडे नरेश के यहाँ मीनाक्षी का जन्म हुआ था मलयध्वज के बाद सिंहासन पर मीनाक्षी ही बैठी थी

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नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
CONCLUSION-आज हमनें हमारे लेख- Meenakshi sundareshvar mandir: मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर मीनाक्षी अम्मान मन्दिर के माध्यम  की मीनाक्षी मन्दिर क्यों प्रसिद्ध हैं मन्दिर से जुड़ी पौराणिक कथा क्या हैं और इसके पास ही अन्य मन्दिरों के बारें में विस्तृत रूप से आपको बताया।

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