मन्दिर श्री गोविंद देव जी कथा, झांकी व आरती समय जयपुर !

हमनें हमारें पुराने लेख श्री द्वारिकाधीश मन्दिर, शीला देवी मंदिर, नागेश्वर महादेव मन्दिर के बारें में जाना इसी क्रम को आगें बढ़ाते हुयें मन्दिर श्री गोविन्द देवजी की कथा, झांकी व आरती समय जयपुर के माध्यम से जानेंगे- राजस्थान की राजधानी जयपुर "गुलाबी नगरी" के आराध्य देव श्री गोविंद देव जी हैं। ये मंदिर छोटी काशी के लोगों के लियें एक महत्वपूर्ण मन्दिर हैं इस मंदिर की खाशियत हैं कि ये बिना शिखर का मंदिर हैं ये चन्द्रमहल के पूर्व में जय निवास उद्यान में स्थित हैं।

Mandir Shree Govind Dev Jee

मन्दिर श्री गोविंद देव जी कथा, झांकी व आरती समय जयपुर Mandir Shree Govind Dev Jee...

Mandir Shree Govind Dev Jee: मंदिर के पास ही भारत का प्रसिद्ध सत्संग हाँल बना हुआ हैं जिसमें समय-समय पर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। जयपुर घूमने आये पर्यटक मुख्य रूप से यहां भी "श्री गोविंद देव जी" के दर्शन करने आते हैं। कहा जाता हैं कि- ये मूर्ति पहले वृंदावन में स्थापित थी जिसे "जयसिंह द्वितीय" ने अपने परिवार के देवता के रूप में पुनः स्थापित किया था। भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र एवं मथुरा के "राजा वज्रनाभ" ने अपनी माता से सुने गए भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप के आधार पर तीन विग्रहों का निर्माण करवाया इनमें से पहला विग्रह हैं "गोविंद देव जी" का  हैं दूसरा विग्रह जयपुर के ही "श्री गोपीनाथ जी" का हैं तथा तीसरा विग्रह  हैं "श्री मदन मोहन जी" करौली का हैं।

वज्रनाभ की माता के अनुसार- "श्री गोविंद देव का मुख श्री गोपीनाथ का वक्ष श्री मदन मोहन के चरण" श्री कृष्ण के स्वरूप से मेल खाते हैं पहले यह तीनों विग्रह मथुरा में स्थापित थे किंतु 11वीं शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के भय से इन्हें वन में छिपा दिया गया था 16वी शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर उनके शिष्यों ने इन विग्रहों को खोज निकाला और मथुरा वृंदावन में स्थापित कर दिया सन 1669 में जब औरंगजेब ने मथुरा के समस्त मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया तो गौड़ीय संप्रदाय के पुजारी इन विग्रहों को उठाकर जयपुर ले आयें। इन तीनों विग्रहों को जयपुर में ही स्थापित कर दिया गया गोविंद देव जी को जयपुर का शासक माना गया हैं।

कहा जाता हैं कि- राजा जयसिंह जी रात को सोते समय अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर सोते थे ताकि प्रातः गोविंद देव जी दर्शन सर्व प्रथम कर सके। गोविंद देव जी और गढ़गणेश जी मंदिर चंद्रमहल की सीध में स्थिति हैं जो कि जयपुर कि स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण भी हैं। गोविंद देव जी मंदिर के पास एक कुआं भी हैं जिसके जल का पान करने से गंभीर रोगों से मुक्ति प्राप्त होती हैं।

Mandir Shree Govind Dev Jee

1.ठिकाना मन्दिर श्री गोविंद देव जी के अधीन मंदिर Thikana Temple Temple under Shri Govind Dev Ji:-

श्री गोविंददेवजी (वृन्दारानी) कामाँ, भरतपुर, राजस्थान व ठिकाना मन्दिर श्री गोविंद देव जी, जयपुर के अधिन वृन्दावन के लाल पत्थर (गोविंद घेरा) मन्दिर परिसर ठिकाना मन्दिर श्री गोविंददेवजी  द्वारा संचालित अन्य मन्दिर परिसर निम्न प्रकार से हैं-

मन्दिर श्री नटवर जी, श्री कुंज बिहारी जी, ठाकुर श्री गणेशजी, मन्दिर श्री काला महादेव जी, ठाकुर श्री भूरा महादेव जी, देवी मनसा माताजी, ठाकुर श्री राधा माधव जी कनकघाटी स्थित मन्दिर हैं। मन्दिर श्री गोपाल जी नाग, श्री गिरधारी जी श्री जी परिसर, श्री गोपाल जी तालाब परिसर, मन्दिर श्री गोपेश्वर महादेव मन्दिर परिसर के बहार, श्री हनुमान गढ़ी राजमल का तालाब, मन्दिर श्री मुरली मनोहर जी रामगंज चौपड़, मन्दिर श्री गोपाल जी गोनेर रोड़, गोविंद देव जी के मंदिर के आहते(भीतर) ही अन्य मंदिर भी हैं। जय निवास उद्यान भी मनमोहन बागीचा हैं और पास ही बादल महल व ताल कठोरा (एक ताल) हैं।

गोंविद देव जी मंदिर में समय-समय पर धार्मिक उत्सावों का आयोजन किया जाता हैं ,मूलतः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को बडा़ आयोजन किया जाता हैं जिसमें सम्पूर्ण नगरवासी सम्मलित होते हैं। ये उत्सव कई दिनों तक बनाया जाता हैं जिसमें बहुत से धार्मिक संघ भाग लेते हैं। नियमित रूप से गोविंद देव जी मंदिर में मंगला, धूप क्षृंगार,राजभोग, ग्वाल,संघ्या व शयन आरती(झांकी) होती हैं। क्षृंगार व पोशाक भी बदली जाती हैं।

Mandir Shree Govind Dev Jee

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।। अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।। गीता-


                        गोविन्द देव की आरती  का समय:-                    

  झांकी

  समय

1. मंगल झांकी आरती

प्रातः 4:30 से प्रातः 5:00 बजे तक

2.  धूप झांकी आरती

प्रातः 7:30 से प्रातः 8:45 बजे तक

3. श्रृंगार झांकी आरती 

प्रातः 9:30 से प्रात:10:15 बजें तक

4.  राजभोग झांकी आरती 

प्रातः 11:00  से प्रातः 11:30 बजें तक

5. ग्वाल झांकी आरती

सायं: 5:45 बजे से सायं: 6:15 बजें तक

6. संध्या झांकी आरती 

सायं: 6:45 से सायं: 20:00 बजें तक

7. शयन झांकी आरती

रात्रि- 9:00 बजे से रात्रि- 9:30 बजें तक

FAQ-

1. गोविंद देव जी का मंदिर जयपुर कितना पुराना हैं?

हिन्दू सनातनी धर्म में गोविन्द देव जी अड़़ग आस्था हैं गोविन्द देव जी जयपुर वासियों के आराध्य देव हैं, गोविन्द देव जी का मूल मंदिर का श्रीविग्रह 1590 में श्रीवृन्दावन में बनाया गया था। 

2. गोविंद देव जी को किसने बनाया?

भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने भगवान गोविन्द देव जी की पवित्र छवि अपनी दादी के निर्देशों को ध्यान से सुनकर 13 साल की उम्र में बनाया था गोविन्द देव जी छोटी काशी के आराध्य देव के रूप में जयपुर के गोविन्द देव जी मंदिर में स्थापित हैं। 

 3. गोविंद क्यों प्रसिद्ध हैं?

श्रीकृष्ण ही गोविंद थे जो श्रीहरि विष्णु के ही अवतार थे कृष्ण बचपन से ही गाय चराने जातें थे और ग्वाले कहलाते थे। श्री कृष्ण बंसुरी इतनी मधुर बताते थे की उसकी आवाज़ सुनकर सभी ग्वाल, बालक और गौवंश आनंदित हो उठते थे, यही कारण हैं कि कृष्ण गोपाल या फिर गोविंद के नाम से भी जानें जानें लगें। 

4. गोविंद का पर्यायवाची शब्द क्या हैं?

गोपाल सहस्त्र नाम का महत्व हमारा एक लेख हैं- जिसमें गोविन्द के पर्यायवाची शब्दों का पूर्ण विवरण इस लेख में हैं। सामान्यतः गोविन्द के पर्यायवाची शब्द हैं- जनार्दन, माधव, चतुर्भुज, केशव, विष्णु, नारायण, मधुरिमा, लक्ष्मीपति, विश्वम्भर, चक्रपाणि, उपेन्द्र, दमदार और पीताम्बर आदि-

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख मन्दिर श्री गोविन्द देव जी कथा झांकी व आरती समय जयपुर के माध्यम से जाना कि क्यों गोविन्द देव जी का महत्व इतना गहरा जयपुर वासियों के मन में हैं हमने हमारे लेख में गोविन्द देव जी के आरती समय और इसकी स्थापत्य कला के बारें में भी इस लेख के माध्यम से आपको बताया आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा।आप लोगों कि पसंद के अनुसार हम आगे बढ़ रहें हैं और समय-समय पर आपको हमारे लेख यूं ही उपलब्ध होते रहेंगे।

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