मकर संक्रान्ति पर्व- 2023-Makar Sankranti Parv 2023...

हम हमारें पिछले लेखों के माध्यम से भारतवर्ष में मनायें जानें वाले बहुत से त्यौहारों के बारें में आपको अपने लेख के माध्यम से बता चुके हैं जैसे होलिका दहन, दीपावली और शरदपूर्णिमा आदि इसी क्रम में हम आपको आज मकर संक्रांति पर्व के बारें में जानकारी उपलब्ध करवायेंगे तो आयें जानतें हैं मकर संक्रांति पर्व के बारें में विस्तृत रूप से-

मकर संक्रान्ति "संक्रांति" भारत का प्रमुख पर्व हैं। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाताहैं। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता हैं तभी इस पर्व को मनाया जाताहैं। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता हैं इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।

Makar Sankranti Parv 2023

 मकर संक्रान्ति पर्व- 2023 Makar Sankranti Parv 2023... 

Makar Sankranti Parv 2023: मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। 14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर होता हैं इसीलिये उत्तरायण भी कहते हैं ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि पृथ्वी का झुकाव हर (6*6 ) 6 माह तक निरंतर उत्तर ओर 6 माह दक्षिण की ओर बदलता रहता हैं और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैं। यह भारत वर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों (राज्यों) में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता हैं।  जो कि भारत की एकता व अंखडता को दर्शाता हैं। संक्रान्ति- छत्तीसगढ़, गोवा, ओडिशा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्मिम, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं जैसे- ताइ पोंगल उझवर तिरुनल:- तमिलनाडु, उत्तरायण:- गुजरात, उत्तराखंड, उत्तरैन माघी संगरांद:- जम्मू, शिशुर सेंक्रात:- कश्मीर घाटी, माघी:- हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, भोगालीबिहु:- असम, खिचड़ी:- उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार, पौष संक्रान्ति:- पश्चिम बंगाल, मकर संक्रमण:- कर्नाटक,  इत्यादि..

1. नेपाल में मकर संक्रान्ति Makar Sankranti in Nepal:-

Makar Sankranti Parv 2023: नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ संक्रान्ति धूमधाम से मनायी जाती हैं। मकर संक्रान्ति पर्व के दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिये भगवान को धन्यवाद देकर अपनी अनुकम्पा को सदैव लोगों पर बनाये रखने का आशीर्वाद माँगते हैं। इसलिए मकर संक्रान्ति के त्यौहार को फसलों एवं किसानों के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता हैं।

नेपाल में मकर संक्रान्ति को माघे-संक्रान्ति, सूर्योत्तरायण और थारू समुदाय में 'माघी' कहा जाता हैं। इस दिन नेपाल सरकार सार्वजनिक छुट्टी देती हैं। थारू समुदाय का यह सबसे प्रमुख त्यैाहार हैं। नेपाल के बाकी समुदाय भी तीर्थस्थल में स्नान करके दान-धर्मादि करते हैं और तिल, घी, शर्करा और कन्दमूल खाकर धूमधाम से मनाते हैं। वे नदियों के संगम पर लाखों की संख्या में नहाने के लिये जाते हैं। तीर्थस्थलों में रूरूधाम (देवघाट) त्रिवेणी मेला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं।

मकर संक्रान्ति के अवसर पर आन्ध्र प्रदेश और तेलंगण राज्यों में विशेष 'भोजनम्' का आस्वादन किया जाता हैं।मकर संक्रान्ति के अवसर पर मैसूर में गायों को अलंकृत किया जाता हैं। सम्पूर्ण भारत में मकर संक्रान्ति पर्व विभिन्न रूपों में मनाया जाता हैं। विभिन्न प्रान्तों में इस त्योहार को मनाने के जितने अधिक रूप प्रचलित हैं उतने किसी अन्य पर्व में नहीं जैसा कि-

2. जम्मू संभाग Makar Sankranti in Jammu Division:-

Makar Sankranti Parv 2023: जम्मू में यह पर्व 'उत्तरैन' और 'माघी संगरांद' के नाम से विख्यात हैं। कुछ लोग इसे उत्रैण, अत्रैण' अथवा अत्रणी के नाम से भी जानते हैं। इससे एक दिन पूर्व लोहड़ी का पर्व भी मनाया जाता हैं, लोहड़ी मुख्यतः सिक्ख समाज द्वारा मनाया जाता हैं जो कि पौष मास के अन्त का प्रतीक हैं। मकर संक्रान्ति के दिन माघ मास का आरंभ माना जाता हैं  इसलिए इसको 'माघी संगरांद' भी कहा जाता हैं।

डोगरा घरानों में इस दिन माँह( काली उड़द) की दाल की खिचड़ी का दान किया जाता हैं। इसके उपरांत माँह की दाल की खिचड़ी को खाया जाता हैं। इसलिए इसको 'खिचड़ी वाला पर्व' भी कहा जाता हैं। जम्मू में इस दिन 'बावा अम्बो' जी का भी जन्मदिवस मनाया जाता हैं। उधमपुर की देविका नदी के तट पर हीरानगर के धगवाल में और जम्मू के अन्य पवित्र स्थलों पर जैसे कि पुरमण्डल और उत्तरबैह्नी पर इस दिन मेले लगते हैं। भद्रवाह के वासुकी मन्दिर की प्रतिमा को आज के दिन घृत (घी) से ढका जाता हैं।

3. उत्तर प्रदेश Makar Sankranti in Uttar Pradesh:-

Makar Sankranti Parv 2023: उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' हैं। प्रयागराज में गंगा, यमुनासरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता हैं जिसे माघ मेला के नाम से जाना जाता हैं। 14 जनवरी से ही प्रयागराज में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती हैं। 14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक का समय खर मास के नाम से जाना जाता हैं। एक समय था जब उत्तर भारत में14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक पूरे एक महीने किसी भी अच्छे काम को अंजाम भी नहीं दिया जाता था। मसलन शादी-ब्याह नहीं किये जाते थे परन्तु अब समय के साथ लोग-बाग बदल गये हैं। 

परन्तु फिर भी ऐसा विश्वास हैं कि 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती हैं। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर महाशिवरात्रि के आख़िरी स्नान तक चलता हैं। संक्रान्ति के दिन स्नान के बाद दान देने की भी परम्परा हैं बागेश्वर में बड़ा मेला होता हैं। वैसे गंगा-स्नान रामेश्वर, चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते हैं। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता हैं। इस पर्व पर क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता हैं तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता हैं।

4. बिहार Makar Sankranti in Bihar:-

Makar Sankranti Parv 2023: बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाना जाता हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्त्व हैं। 


Makar Sankranti Parv 2023

5. महाराष्ट्र Makar Sankranti in Maharashtra:- 

Makar Sankranti Parv 2023: महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएँ अपनी पहली संक्रान्ति पर कपास, तेल नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। तिल-गूल नामक हलवे के बाँटने की प्रथा भी हैं लोग एक दूसरे को तिल-गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं -"तिळ गूळ घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला" अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो इस दिन महिलाएँ आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बाँटती हैं।

6. बंगाल Makar Sankranti in Bengal:-

Makar Sankranti Parv 2023: बंगाल में इस पर्व पर स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा हैं। यहाँ गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता हैं। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। मान्यता यह भी हैं कि- इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिये व्रत किया था। इस दिन गंगासागर में स्नान-दान के लिये लाखों लोगों की भीड़ होती हैं। लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं। वर्ष में केवल एक दिन मकर संक्रान्ति को यहाँ लोगों की अपार भीड़ होती हैं। इसीलिए कहा जाता हैं-"सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार।"

7. तमिलनाडु Makar Sankranti in Tamil Nadu:-

Makar Sankranti Parv 2023: तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाते हैं। प्रथम दिन भोगी-पोंगल, द्वितीय दिन सूर्य-पोंगल, तृतीय दिन मट्टू-पोंगल अथवा केनू-पोंगल और चौथे व अन्तिम दिन कन्या-पोंगल। इस प्रकार पहले दिन कूड़ा करकट इकठ्ठा कर जलाया जाता हैं, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती हैं और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती हैं। पोंगल मनाने के लिये स्नान करके खुले आँगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती हैं, जिसे पोंगल कहते हैं। इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता हैं। उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी और जमाई राजा का विशेष रूप से स्वागत किया जाता हैं।

8. असम Makar Sankranti in Assam:- 

Makar Sankranti Parv 2023: असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहू अथवा भोगाली बिहू के नाम से मनाते हैं।

Makar Sankranti Parv 2023

9. राजस्थान Makar Sankranti in Rajasthan:-

Makar Sankranti Parv 2023: राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही महिलाएँ किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक विविध रूपों में दिखती हैं। इस विशेष मौके पर पंतग भी उड़ने की भी परम्परा राजस्थान में हैं। पकवान में यहाँ चूरमा, दाल, बाटी भी बनाई जाती हैं। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व हैं। ऐसी धारणा हैं कि- इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता हैं। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता हैं। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता-

  "माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥''

मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया हैं। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी हैं। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक हैं। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती हैं। भारत देश  उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं, सामान्यत: भारतीय पंचांग पध्दति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता हैं। हमारे पवित्र वेद, भागवत गीता जी तथा पूर्ण परमात्मा का संविधान यह कहता हैं कि यदि हम पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करें तो वह इस धरती को स्वर्ग बना देगा।

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व Historical Significance of Makar Sankranti:-

Makar Sankranti Parv 2023: मकर संक्रान्ति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में, और विशेषकर राजस्थान, गुजरात में, पतंग उड़ाने की प्रथा है। ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन भगवान भास्कर (सूर्य ) अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता हैं। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- मकर संक्रांति पर्व-2023- Makar Sankranti Parv 2023 के माध्यम से आप सभी को इस पर्व के बारें में बताया कि भारत से लेकर नेपाल तक किस तरह से इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। भारत के सन्दर्भ में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से इस पर्व को मनाने की परम्परा हैं जोकि हम भारतवासियों की एकता व अखंडता को दर्शाता हैं।

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