महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra...

आज हम हमारें लेख महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र के माध्यम से जानेंगे कि ये मंत्र कैसे व्यक्ति के लियें मृत संजीवनी मंत्र के रूप में काम करता हैं। इस लेख में महामंत्र के लाभ, जप करने की विधि, मंत्र से जुड़ी कथा तथा मंत्र के प्रयोग के लाभ के बारें में हम हमारें इस लेख में जानेंगे- महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र "मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र" जिसे त्रयम्बकम मन्त्र भी कहा जाता हैं, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में भगवान शिव की स्तुति हेतु की  गई एक वन्दना हैं- इस मन्त्र में शिव को "मृत्यु को जीतने वाला" बताया गया हैं। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष सनातन धर्म का सबसे व्यापक रूप से जपा जाने वाला मन्त्र हैं।

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra...

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra: इस मन्त्र के कई नाम और रूप हैं इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए "रुद्र मन्त्र" कहा जाता हैं। शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए "त्रयंबकम मन्त्र" और इसे कभी कभी "मृत-संजीवनी मन्त्र" के रूप में जाना जाता हैं क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक हैं। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मन्त्र को वेद का "ह्रदय" कहा हैं। चिन्तन और ध्यान के लिए इस्तेमाल कियें जाने वाले अनेक मन्त्रों में गायत्री मन्त्र के साथ इस मन्त्र का सर्वोच्च स्थान हैं। 

1. मंत्र इस प्रकार हैं Mantr Is Prakar Hain: -

"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्"।।
यह त्रयम्बक "त्रिनेत्रों वाला" रुद्र का विशेषण जिसे बाद में शिव के साथ जोड़ा गया हैं। 

2. इस महामन्त्र के लाभ Is Mahamantr Ke Laabh:-

1. धन प्राप्त होता। 2. आप सोच के जाप करते वह कार्य सफल होता हैं। 3. परिवार मे सुख-समृद्धि रहती हैं। 4. जीवन मे आगे बढते जाते हैं।

 3. जप करने कि विधि Jap Karane Ki Vidhi:-

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra: सुबह और सायं काल में प्रायः अपेक्षित एकान्त स्थान में बैठकर आँखों को बन्द करके इस मन्त्र का जाप अपेक्षित दस-ग्यारह बार करने से मन को शान्ति मिलती हैं मृत्यु का भय दूर हो जाता हैं आयु भी बढ़ती हैं। हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिन्तन करते हैं, जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता हैं और वृद्धि करता हैं। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग "मुक्त" हो अमरत्व से नहीं बल्कि "मृत्यु" से हों।

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra

4. महामृत्युञ्जय मन्त्र से जुड़ी कथा Mahamrtyunjay Mantr Se Judee Katha:-

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra: बड़ी तपस्या से ऋषि मृकण्ड के पुत्र हुआ किंतु ज्योतिर्विदों ने उस शिशु के लक्षण देखकर ऋषि के हर्ष को चिंता में परिवर्तित कर दिया उन्होंने कहा यह बालक "अल्पायु" हैं  इसकी आयु केवल बारह वर्ष हैं मृकण्ड ऋषि ने अपनी पत्नी को आश्वत किया हे देवी! चिंता मत करो विधाता जीव के कर्मानुसार ही आयु दे सकते हैं, किंतु मेरे स्वामी समर्थ हैं भाग्यलिपि को स्वेच्छानुसार परिवर्तित कर देना भगवान शिव के लिए विनोद मात्र हे। 
ऋषि मृकण्ड के पुत्र मार्कण्डेय बढ़ने लगे शैशव बीता और कुमारावस्था के प्रारम्भ में ही पिता ने उन्हें शिव मन्त्र की दीक्षा तथा शिवार्चना की शिक्षा दी। पुत्र को उसका भविष्य बता कर समझा दिया कि त्रिपुरारी ही उसे मृत्यु से बचा सकते हैं। माता-पिता तो दिन गिन रहे थे। बारह वर्ष आज पूरे होंगे मार्कण्डेय महादेव मन्दिर "वाराणसी जिला में गंगा गोमती संगम पर स्थित ग्राम कैथी में यह मन्दिर मार्कण्डेय महादेव के नाम से स्थापित हैं" में बैठे थे। इस मन्त्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की और उन्होंने मृत्युंजय मन्त्र की शरण ले रखी हैं- "त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात्"॥
सप्रणव बीजत्रय-सम्पुटित महामृत्युंजय मन्त्र चल रहा था काल किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता। यमराज के दूत समय पर आयें और संयमनी लौट गयें उन्होंने अपने स्वामी यमराज से जाकर निवेदन किया- हम मार्कण्डेय तक पहुँचने का साहस नहीं कर पायें इस पर यमराज ने कहा कि मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लाऊँगा दण्डधर यमराज जी महिषारूढ़ हुयें और क्षण भर में मार्कण्डेय के पास पहुँच गये। बालक मार्कण्डेय ने उन कज्जल कृष्ण, रक्तनेत्र पाशधारी को देखा तो सम्मुख की लिंगमूर्ति से लिपट गया। एक अद्भुत अपूर्व हुँकार और मन्दिर की चारों दिशायें जैसे प्रचण्ड प्रकाश से चकाचौंथ हो गईं।
शिवलिंग से तेजोमय त्रिनेत्र गंगाधर चन्द्रशेखर प्रकट हो गयें और उन्होंने त्रिशूल उठाकर यमराज से बोले हे ! यमराज तुमने मेरे आश्रित पर पाश उठाने का साहस कैसे किया ? यमराज ने उससे पूर्व ही हाथ जोड़कर मस्तक झुका लिया था और कहा कि हे! त्रिनेत्र मैं आपका सेवक हूँ। कर्मानुसार जीव को इस लोक से ले जाने का निष्ठुर कार्य प्रभु ने इस सेवक को दिया हैं। भगवान चन्द्रशेखर ने कहा कि यह संयमनी नहीं जाएगा इसे मैंने अमरत्व दिया हैं। मृत्युंजय प्रभु की आज्ञा को यमराज अस्वीकार कैसे कर सकते थे ? यमराज खाली हाथ लौट गये। मार्कण्डेय ने यह देख कर भोलेनाथ को सिर झुकाया और उनकी स्तुति करने लगे। "उर्वारुमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।" वृन्तच्युत खरबूजे के समान मृत्यु के बन्धन से छुड़ाकर मुझे अमृतत्व प्रदान करें- मन्त्र के द्वारा चाहा गया वरदान उस का सम्पूर्ण रूप से उसी समय मार्कण्डेय को प्राप्त हो गया।

5. महामृत्युञ्जय प्रयोग के लाभ Mahamrtyunjay Prayog Ke Laabh:-

कलौकलिमल ध्वंयस सर्वपाप हरं शिवम्। येर्चयन्ति नरा नित्यं तेपिवन्द्या यथा शिवम्।।
स्वयं यजनित चद्देव मुत्तेमा स्द्गरात्मवजै:। मध्यचमा ये भवेद मृत्यैतरधमा साधन क्रिया।।
देव पूजा विहीनो य: स नरा नरकं व्रजेत। यदा कथंचिद् देवार्चा विधेया श्रध्दायान्वित।।
जन्मचतारात्र्यौ रगोन्मृदत्युतच्चैरव विनाशयेत्।
समस्तं पापं एवं दु:ख भय शोक आदि का हरण करने के लिए महामृत्युञ्जय की विधि ही श्रेष्ठ हैं। निम्निलिखित प्रयोजनों में महामृत्युंजय का पाठ करना महान लाभकारी एवं कल्याणकारी होता हैं। 
मराठी पद्यानुवाद- "ॐकारे चला करू चिन्तन, शिवशंकर तोचि त्रिनयन । जो देई सुख पुष्टीचे दान, त्या शिवाचे करू पूजन।। काकडी जशी जाई तुटून, तशी मुक्तता मिळो दान । ती खरेचि मृत्युपासून, नव्हे परी अमृतापासून"।। श.भ.कोंडेजकर...

Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra

FAQ-

1. महामृत्यु मंत्र जाप करने से क्या होता हैं ?

महामृत्युंजय मंत्र महादेव शिवशंकर को समर्पित एक अद्भुत मंत्र हैं ये मंत्र सभी बाधाओं और परेशानियों पर व्यक्ति को विजय दिलाता हैं जैसे- संतानबाधा, गर्भ नाश, द:स्वप्न, गंभीर रोग, भूत-प्रेत दोष, कालसर्प दोष, नाड़ी दोष, मांगलिक दोष इत्यादि दोष बाधायें दूर करता हैं। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी परेशानियां और बाधायें खत्म हो जाती हैं। 

2. क्या हम घर पर महा मृत्युंजय मंत्र बजा सकते हैं ?

जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि महामृत्युंजय मंत्र भोले भंडारी भगवान शिव को समर्पित मंत्र हैं, महामृत्युंजय मंत्र का जाप आप कभी भी कर सकते हैं। इस मंत्र की श्रेष्ठता आपको जब ही अनुभव होगी जब प्रातः स्नान के बाद इसका जाप करना श्रेष्ठ होता हैं, रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करना भी अत्यंत श्रेष्ठ व लाभकारी होता हैं इस मंत्र का जाप 108 बार जाप करना चाहियें। 

3. मृत्युंजय मंत्र कौन सा हैं ?

भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार से हैं- " ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।" इस मंत्र का 108 बार जप करने से अत्यंत लाभ की प्राप्ति होती हैं लाभ से अभिप्राय: आध्यात्मिक लाभ। 

4. महामृत्युंजय मंत्र कैसे बोला जाता हैं ?

पहले महामृत्युंजय मंत्र को याद करें फिर पूर्व दिशा की ओर मुख कर के आसन पर बैठ कर शांत मन से मंत्र का108 बार जप करें एक रूद्राक्ष माला जिसमें 108 मनके रूद्राक्ष के हो प्रयोग करें और यदि किसी शिव मन्दिर में ये जाप कर रहें हैं तो  शिवलिंग पर जल या दूध से अभिषेक करते रहें। नोट- जाप करने केलियेंए एक शांत स्थान का चुनाव करें, जिससे जाप के समय मन इधर-उधर न भटके। जाप के समय उबासी न लें और न ही आलस्य करें।

5. पूरा महामृत्युंजय मंत्र क्या हैं ?

पूरा महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार से हैं-"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ"। शास्त्रों के अनुसार- इस मंत्र का जाप करने से मरते हुए व्यक्ति को भी जीवन दान मिल सकता हैं महामृत्युंजय मंत्र जिसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हम हमारें लेख महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र Mahamrityunjaya Mantra Ye Mahamrityunjaya Mantra के माध्यम से जाना कि ये मंत्र कैसे व्यक्ति के लियें मृत संजीवनी मंत्र के रूप में काम करता हैं। इस लेख में महामंत्र के लाभ, जप करने की विधि, मंत्र से जुड़ी कथा तथा मंत्र के प्रयोग के लाभ के बारें में आज आपको बताया गया हैं।

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