माँ सरस्वती के 108 नाम,बंसत पंचमी व प्रार्थना !

आज हम हमारें लेख माँ सरस्वती के 108 नाम,बंसत पंचमी व प्रार्थना के माध्यम से की माॅं सरस्वती के 108 नाम क्या हैं? माँ सरस्वती की प्रार्थना क्या हैं? माँ सरस्वती का मंत्र क्या हैं? और माँ सरस्वती बीज मंत्र क्या हैं? के बारें में आपको सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवायेंगे- तो आयें इस लेख के माध्यम से जानेंते हैं जो हम सब सनातन धर्म वालों के लियें बहुत उपयोगी हैं- माँ सरस्वती ज्ञान व विद्या की देवी हैं। माँ सरस्वती जी का उत्सव बसंत पंचमी के नाम से मनाया जाता हैं। 

हिन्दी पंचांग अनुसार माघ महीने में बसंत पंचमी के दिन माँ शारदा की पूजा की जाती हैं। इस दिन माँ शारदे का आह्वान किया जाता हैं। खासकर विद्यार्थी सरस्वती पूजा को उत्सव की तरह मनाते हैं। देश के कई राज्यों में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाई जाती हैं

Maa Saraswati Ke 108 Naam

माँ सरस्वती के 108 नाम,बंसत पंचमी व प्रार्थना Maa Saraswati Ke 108 Naam Basant Panchami Va Praarthana !

विद्यार्थी प्रतिदिन सरस्वती जी के इस श्लोक का जाप करें-
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम् । सुपूजितांसुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:। वन्दे भक्तया वन्दिता च।

Maa Saraswati Ke 108 Naam: सरस्वती पूजा करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुद्धि का संचालन होता है। ऐसा कहा जाता है कि- जहां माँ सरस्वती विराजमान रहती हैं। उस जगह माँ लक्ष्मी(रमा) अवश्य वास करती हैं। दैविक काल में सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण जी ने माँ शारदे की पूजा आराधना की थी। माँ सरस्वती को संगीत की देवी भी कहा जाता हैं। बंगाल और बिहार समेत देश के कई राज्यों में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाई जाती हैं। विद्यार्थी वर्ग को प्रतिदिन विध्या प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए आइए जानते हैं- माँ सरस्वती का बीज (मूल) मंत्र:- " ॐ  ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः"  माँ सरस्वती का पूर्ण मंत्र:- " ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः"

Maa Saraswati Ke 108 Naam

1. माँ सरस्वती के 108 नाम  Maa Saraswati Ke 108 Naam:-

1.सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः। 2.महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः। 3. महामाया ॐ महमायायै नमः। 4.वरप्रदा ॐ वरप्रदायै नमः। 5. श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः। 6. पद्मनिलया ॐ पद्मनिलयायै नमः। 7. पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः। 8. पद्मवक्त्रगा ॐ पद्मवक्त्रायै नमः। 9.शिवानुजा ॐ शिवानुजायै नमः। 10. पुस्तकधृत ॐ पुस्त कध्रते नमः। 11. ज्ञानमुद्रा ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः। 12. रमा ॐ रमायै नमः। 13. परा ॐ परायै नमः। 14. कामरूपा ॐ कामरूपायै नमः। 15. महाविद्या ॐ महाविद्यायै नमः। 16. महापातक नाशिनी ॐ महापातक नाशिन्यै नमः। 17. महाश्रया ॐ महाश्रयायै नमः। 18. मालिनी ॐ मालिन्यै नमः। 19. महाभोगा ॐ महाभोगायै नमः। 20. महाभुजा ॐ महाभुजायै नमः। 21. महाभागा ॐ महाभागायै नमः। 22. महोत्साहा ॐ महोत्साहायै नमः। 23. दिव्याङ्गा ॐ दिव्याङ्गायै नमः। 24. सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नमः। 25. महाकाली ॐ महाकाल्यै नमः। 26. महापाशा ॐ महापाशायै नमः। 27. महाकारा ॐ महाकारायै नमः। 
28. महाङ्कुशा ॐ महाङ्कुशायै नमः। 29. सीता ॐ सीतायै नमः। 30. विमला ॐ विमलायै नमः। 31. विश्वा ॐ विश्वायै नमः। 32. विद्युन्माला ॐ विद्युन्मालायै नमः। 33. वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः। 34. चन्द्रिका ॐ चन्द्रिकायै नमः।35. चन्द्रवदना ॐ चन्द्रवदनायै नमः। 36. चन्द्रलेखाविभूषिता ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः। 37. सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः। 38. सुरसा ॐ सुरसायै नमः। 39. देवी ॐ देव्यै नमः। 40. दिव्यालङ्कारभूषिता ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः। 41. वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।42. वसुधा ॐ वसुधायै नमः। 43. तीव्रा ॐ तीव्रायै नमः। 44. महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः। 45. महाबला ॐ महाबलायै नमः। 46. भोगदा ॐ भोगदायै नमः। 47. भारती ॐ भारत्यै नमः। 48. भामा ॐ भामायै नमः। 49. गोविन्दा ॐ गोविन्दायै नमः। 50. गोमती ॐ गोमत्यै नमः। 51. शिवा ॐ शिवायै नमः। 52. जटिला ॐ जटिलायै नमः। 53. विन्ध्यवासा ॐ विन्ध्यावासायै नमः। 54. विन्ध्याचलविराजिता ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः।

Maa Saraswati Ke 108 Naam


55. चण्डिका ॐ चण्डिकायै नमः। 56. वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः। 57. ब्राह्मी ॐ ब्राह्मयै नमः। 58. ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः। 59. सौदामिनी ॐ सौदामिन्यै नमः। 60. सुधामूर्ति ॐ सुधामूर्त्यै नमः। 61. सुभद्रा ॐ सुभद्रायै नमः। 62. सुरपूजिता ॐ सुरपूजितायै नमः। 63. सुवासिनी ॐ सुवासिन्यै नमः। 64. सुनासा ॐ सुनासायै नमः। 65. विनिद्रा ॐ विनिद्रायै नमः। 66. पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नमः। 67. विद्यारूपा ॐ विद्यारूपायै नमः। 68. विशालाक्षी ॐ विशालाक्ष्यै नमः। 69. ब्रह्मजाया ॐ ब्रह्मजायायै नमः।70. महाफला ॐ महाफलायै नमः। 71. त्रयीमूर्ती ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः। 72. त्रिकालज्ञा ॐ त्रिकालज्ञायै नमः। 73. त्रिगुणा ॐ त्रिगुणायै नमः। 74. शास्त्ररूपिणी ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः। 75. शुम्भासुरप्रमथिनी ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः। 76. शुभदा ॐ शुभदायै नमः। 77. सर्वात्मिका ॐ स्वरात्मिकायै नमः। 78. रक्तबीजनिहन्त्री ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः। 79. चामुण्डा ॐ चामुण्डायै नमः। 80. अम्बिका ॐ अम्बिकायै नमः। 81. मुण्डकायप्रहरणा ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः। 
82. धूम्रलोचनमर्दना ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः। 83. सर्वदेवस्तुता ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः। 84. सौम्या ॐ सौम्यायै नमः। 85. सुरासुर नमस्कृता ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः। 86. कालरात्री ॐ कालरात्र्यै नमः। 87. कलाधारा ॐ कलाधारायै नमः।88. रूपसौभाग्यदायिनी ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः। 89. वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः। 90. वरारोहा ॐ वरारोहायै नमः। 91. वाराही ॐ वाराह्यै नमः। 92. वारिजासना ॐ वारिजासनायै नमः। 93. चित्राम्बरा ॐ चित्राम्बरायै नमः। 94. चित्रगन्धा ॐ चित्रगन्धायै नमः। 95. चित्रमाल्यविभूषिता ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः। 96. कान्ता ॐ कान्तायै नमः। 97. कामप्रदा ॐ कामप्रदायै नमः। 98. वन्द्या ॐ वन्द्यायै नमः। 99. विद्याधरसुपूजिता ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः। 100. श्वेतासना ॐ श्वेतासनायै नमः। 101. नीलभुजा ॐ नीलभुजायै नमः। 102. चतुर्वर्गफलप्रदा ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः। 103. चतुरानन साम्राज्या ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः। 104. रक्तमध्या ॐ रक्तमध्यायै नमः। 105. निरञ्जना ॐ निरञ्जनायै नमः। 106. हंसासना ॐ हंसासनायै नमः। 107. नीलजङ्घा ॐ नीलजङ्घायै नमः। 108. ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।

2. शारदे माँ प्रार्थना Sharde Maa Praarthana:-

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ।। तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे हम है अकेले, हम है अधूरे तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ।।अज्ञानता से हमें तारदे माँ मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी वेदों की भाषा, पुराणों की बानी हम भी तो समझे, हम भी तो जाने विद्या का हमको अधिकार दे माँ ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ।। अज्ञानता से हमें तारदे माँ तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराजे हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे मन से हमारे मिटाके अँधेरे, हमको उजालों का संसार दे माँ ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ!

FAQ-

1. माँ सरस्वती जुबान पर कब आती हैं ?

ये एक शास्त्रसम्मत बात हैं इसमें ये बताया गया हैं कि माँ सरस्वती ब्रह्म मुहूर्तं अर्थात प्रातः 3 बजें बाद मानव की जुबान पर माँ सरस्वती का कुछ क्षणों का वास होता हैं, कभी-कभी अपने सुना होगा और महसूस भी किया होगा कि हम जो कुछ बोलते हैं और वो बात अचानक से सत्य हो जाती हैं। जिस क्षण ऐसा होता हैं तो अपने साथ-साथ ये भी सुना होगा की इसकी जुबान पर सरस्वती बैठी थी और इसकी बात सत्य हो गईं। दिन में कभी भी आपकी जुबान पर सरस्वती विराजमान हो सकती हैं। 

2. सरस्वती माता किसका अवतार हैं ?

इसके पीछे एक कथा हैं जोकि सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथो में वर्णित हैं- भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की ऐसा हर सनातनी को ज्ञात हैं जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना कर ली तो उनके मन में एक बात उत्पन्न हुईं क्यों न जिस सृष्टि का निर्माण मैंने किया उसे मैं देख लूं जब ब्रह्माजी ने सृष्टि को देखा तब उन्होंने यह महसूस किया कि दुनिया विकृत और अभाव से भरी हुईं। इसलियें भगवान ब्रह्मा ने इस कार्य में उनकी मदद करने के लियें ज्ञान के अवतार का निर्माण किया। अत: ज्ञान की देवी सरस्वती की उत्पत्ति! 

3. सरस्वती माता का असली नाम क्या हैं ?

"प्रथमं भारती नाम: द्वितीयं च सरस्वती तृतीयं च शारदे चतुर्थं च हंसवाहिनी "। अर्थात सरस्वती का नाम 1. भारती 2. सरस्वती 3. शारदा और 4. हंसवाहिनी हैं। सरस्वती माता के ये सभी नाम हैं। माता सरस्वती 108 नामों से जानीं जाती हैं। 

4. सरस्वती विद्या की देवी कैसे हुईं ?

सृष्टि निर्माण के बाद ब्रह्माजी को सृष्टि निरस लगीं तब श्रीहरि विष्णु के कथनानुसार ब्रह्माजी ने देवी सरस्वती का आह्वान किया- माँ सरस्वती के प्रकट होनें पर ब्रह्माजी ने अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरनें का अनुरोध किया माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ उसमें से 'सा' शब्द फूट पड़ा ये शब्द संगीत के सात सुरों में प्रथम सुर हैं"तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे हम है अकेले, हम है अधूरे तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ !"

5 मां सरस्वती को खुश कैसे करें ?

सम्पूर्ण जीवन में माँ सरस्वती का अत्यंत महत्व हैं क्योंकि सभी  को ज्ञान की आवश्यकता होती हैं बिना ज्ञान के जीवन में अंधेरा छा जाता हैं अत: माँ सरस्वती को खुश भी रखना होता हैं। माँ सरस्वती को खुश रखनें के उपाय:- 1. नित्य माँ सरस्वती की वंदना करें। 2. माँ सरस्वती को पीले चंदन या केसर का तिलक करें। 3. माँ सरस्वती को कलम और पुस्तक अर्पित करें। 4. माँ सरस्वती को भोग के रूप में पीली बूंदी का भोग लगावें 5. माँ सरस्वती को पीले रंग के पुष्प व फल चढा वें। 6. नित्य माँ सरस्वती का स्मरण करें। 

6. सरस्वती किसका प्रतीक हैं ?

माँ सरस्वती ज्ञान संगीत और चेतना का प्रतीक हैं, माँ सरस्वती वेदों की जननी हैं माँ सरस्वती शिव और देवी दुर्गां की पुत्री हैं उनके मंत्रों को सरस्वती वंदना भी कहतें हैं। "अज्ञानता से हमें तारदे माँ मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी वेदोंकी भाषा, पुराणों की बानी हम भी तो समझे, हम भी तो जाने विद्या का हमको अधिकार दे माँ ।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ !"

7. क्या हम सरस्वती की मूर्ति घर में रख सकते हैं ?

माँ सरस्वती की मूर्तिं को घरों में स्थापित किया जा सकता हैं किन्तु माँ सरस्वती की मूर्तिं घर पर स्थापित करने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहियें- 1. माँ सरस्वती की मूर्तिं पश्चिम दिशा में स्थापित करें। पश्चिम दिशा शिक्षा का प्रतीक हैं। 2. मूर्तिं का मुख पूर्वं की ओर हो जहाँ सूर्यं की रोशनी प्रवेश  करती हो। 3. माँ सरस्वती की पूजा व वंदना नियमित करें। ये सभी बातों को ध्यान में रख कर ही माँ सरस्वती की घर में मूर्तिं स्थापित करें। 

8. सरस्वती पूजा में पढ़ाई कर सकते हैं क्या ?

सरस्वती पूजा में हम पढ़ाईं कर सकते हैं इसमें कोईं मनाहीं नहीं हैं ना ही ऐसा शास्त्रसम्मत हैं अत: हम सरस्वती पूजा के दिन भी पढ़ाईं कर सकतें हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- माँ सरस्वती के 108 नाम,बंसत पंचमी व प्रार्थना !

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