आज हम हमारें लेख दुर्गा सप्तशती के मंत्र Durga Saptshati Ke Mantra में जानेंगे कि सर्व कामना सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति, मोहन वशीकरणम्, रोग निवारणम्, शत्रु नाश, क्षयादि महारोग शांति, सर्व कार्य सिध्दि, पुत्र प्राप्ति, भय दूर करने हेतु आदि के लियें से किस प्रकार दुर्गा सप्तशती के मंत्र कार्य करते हैं। सदियों से भारत की पावनभूमि आध्यात्मिक साधना का केन्द्र रही हैं।
दुर्गा सप्तशती के मंत्र- Durga Saptshati Ke Mantra...
Durga Saptshati Ke Mantra: सगुण उपासना का मार्ग सांसारिक लोगों के लिये बहुत ही आसान सरल और लाभकारी हैं। इसमें कम समय और शक्ति द्वारा अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं। प्रमुख रूप से शिव, शक्ति, विष्णु, गणेश और सूर्य आदि देवताओं की अपनी-अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार पूजा एवं उपासना का विधान वेदों, पुराणों व अन्य शास्त्रों में उपलब्ध हैं। आराध्य देवी "दुर्गा" की आराधना एवं साधना नवरात्रा में अनेकों विद्वान एवं साधकों के द्वारा अभिव्यक्त की गई हैं।
1. सर्व कामना सिद्धि Sarv kamana siddhi:-
"ॐ जातवेद से सुनवाम सोममराती यतो निवहाति वेदः। सनः पर्षदति दुर्गाणि विश्वाना वेव दुरित त्यग्निः ।।
सावर्णिः सूर्य तनयोया मनुः कथ्यतेष्टमः। निशामयत दुत्पतिं विस्तराद् गदतो मम ।। करोतु सानः शुभ हेतुरीश्वरी शुभा निभद्रा ण्यभि हंतु चा पदः"। उपरोक्त मंत्रों को सिद्ध कर जाप करने से इच्छित कार्य पूर्ण होता हैं ।
2. लक्ष्मी प्राप्ति Lakshmi prapti:-
जिन व्यक्तियों के पास धन नहीं रूकता हैं या धन प्राप्ति नहीं होती इस मंत्र का जाप करना लाभप्रद रहता हैं। "कांसो स्मिताँ हिरण्य प्रकारां इति श्री सूक्त मंत्रसंषुटेन शतवारा लक्ष्मीवान् जायते"।
3. मोहन वशीकरणम् Mohan Vashikaranam:-
उपरोक्त मंत्र को सिद्ध कर एक लाख जप करके यदि सत्चण्डी का पाठ करने पर किसी भी व्यक्ति को अपने अधीन किया जा सकता हैं। "ज्ञानिना मपि चेतांसि देवी भगवती हिसा। बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति"।।
4. रोग निवारणम् Rog nivaranam:-
"पहला सुख निरोगी काया" यदि व्यक्ति रोगग्रस्त हो तो वह अपने दैनिक क्रियाकलापों के साथ-साथ भगवत प्राप्ति से संबंधित विषयों में तल्लीन नहीं हो पाता हैं। असाध्य रोगों के निर्वाण हेतु उपरोक्त मंत्र का पाठ करने से रोगी को लाभ मिलता हैं। "रोग नशेषान पहंसि रुष्टा तुकामान्सकलान भीष्टन्। त्वामाश्रितानां न बिपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयांति"।।
5. शत्रु नाश Shatru naash:-
देवी भगवती के इस मंत्र का जाप करने पर शत्रु क्षति नहीं पहुंचा पाते हैं। "सर्वा बाघा प्रशमनं तैलोक्यस्था खिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्य मस्म द्वैरि बिनाशनम्"।। "शत्रोरुच्चाटन मारणं च- किसी ब्राह्मण द्वारा विधि-विधान से उपरोक्त मंत्र का पाठ करवाने पर शत्रुओं पर विजय ही प्राप्त नहीं होती, बल्कि शत्रु समूल से नष्ट हो जाते हैं। एव मुक्त्वा समुत्पत्य सा रूढातं महासुरम् । पादेना क्रम्यकंठे च शूलेनैन मताडयत्" ।।
6. क्षयादि महारोग शांति Kshay maharog shanti:-
शताक्षरी गायत्री मंत्र के पाठ करने से असाध्य रोगों में लाभ ही नहीं मिलता वरण आकस्मिक मृत्यु से भी बचा जा सकता हैं। शताक्षरा गायत्री:- "ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ तत्सवितुर्वरण्यं भर्गो देवस्य धीमहि दियो यो नः प्रचोदयात्"। "जात वेदसे सुनवाम सोममरातियतो निदहाति वेदः सनः पर्षदति दुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरियात्यग्निः"।"त्यं बकंयजा महे सुगंधिं पुष्टि वर्धनं । उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्" ।
7. सर्व कार्य सिद्धि Sarva karya siddhi:-
"या च स्मृता तत्क्षण मे बहन्तिनः सर्वापदो भक्ति विनस मूर्तिभिः। करोतु सान : शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभि हंतु चा पदः। अनेन संपुटितेन शता वतिं पठेत् सर्व कार्य सिद्धिः"।।
8. पुत्र प्राप्ति के लिए Putra praapti ke lie:-
क्लीं कामबीज से सम्पुटित प्रतिदिन तीन दुर्गा सप्तशती का पाठ इक्तालीस दिनों तक करने से पुत्र प्राप्त होता हैं।
9. भय दूर करने हेतु Dar door karane ke lie:-
"ॐ ज्वालाकरालमृत्युग्रमशेषासुरसूदनम् । त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकाली नमोऽस्तुते" ।। इस मंत्र का सवा लाख जप करने से अथवा सम्पुटित पाठ करने से भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, राक्षस, अग्नि आदि अनेक सामायिक भय दूर होते हैं।
CONCLUSION-आज हम हमारें लेख दुर्गा सप्तशती के मंत्र Durga Saptshati Ke Mantra में जाना कि सर्व कामना सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति, मोहन वशीकरणम्, रोग निवारणम्, शत्रु नाश, क्षयादि महारोग शांति, सर्व कार्य सिध्दि, पुत्र प्राप्ति, भय दूर करने हेतु आदि के लियें से किस प्रकार दुर्गा सप्तशती के मंत्र कार्य करते हैं।
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