दुर्गा सप्तशती के मंत्र- Durga Saptshati Ke Mantra...

आज हम हमारें लेख दुर्गा सप्तशती के मंत्र Durga Saptshati Ke Mantra में जानेंगे कि  सर्व कामना सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति, मोहन वशीकरणम्, रोग निवारणम्, शत्रु नाश, क्षयादि महारोग शांति, सर्व कार्य सिध्दि, पुत्र प्राप्ति, भय दूर करने हेतु आदि के लियें से किस प्रकार दुर्गा सप्तशती के मंत्र कार्य करते हैं।

सदियों से भारत की पावनभूमि आध्यात्मिक साधना का केन्द्र रही हैं हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव के कल्याण और जीवन के प्रमुख लक्ष्य-पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति के लिये ईश्वर की भक्ति और उपासना करने का उपदेश दिया हैं इस मार्ग का अवलम्बन कर ही आस्तिक समाज अपनी भक्ति, आस्था और विश्वास के बलबूते पर अपना समुचित विकास करता रहा हैं विभिन्न सम्प्रदाय एवं धर्मावलम्बी अपनी-अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार सगुण या निर्गुण रूपों में उपासना करते रहे हैं

Durga Saptshati Ke Mantra

 दुर्गा सप्तशती के मंत्र- Durga Saptshati Ke Mantra...

Durga Saptshati Ke Mantra: सगुण उपासना का मार्ग सांसारिक लोगों के लिये बहुत ही आसान सरल और लाभकारी हैं इसमें कम समय और शक्ति द्वारा अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं। प्रमुख रूप से शिव, शक्ति, विष्णु, गणेश और सूर्य आदि देवताओं की अपनी-अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार पूजा एवं उपासना का विधान वेदों, पुराणों व अन्य शास्त्रों में उपलब्ध हैं आराध्य देवी "दुर्गा" की आराधना एवं साधना नवरात्रा में अनेकों विद्वान एवं साधकों के द्वारा अभिव्यक्त की गई हैं

इस आराधना के लिये प्रामाणिक आधार "दुर्गा सप्तशती" हैं जिसमें सात सौ श्लोकों के द्वारा "माँ दुर्गा देवी" की आराधना की गई। इस आराधना से नौ-दिन नवरात्रा में माँ दुर्गा देवी निश्चित रूप से प्रसन्नचित होती हैं और इष्ट फल प्रदान करती हैं। तात्कालिक मानव व्यस्तता को देखते हुये दुर्गा सप्तशती में कुछ अनुभूत व सूक्ष्म पाठ हैं। जिनका नियमित रूप से अल्प समय में पाठ करने से भी अभीष्ट फल की प्राप्ति होती हैं दुर्गा सप्तशती में मानव-स्वभाव की अल्प समय की अवधारणा और अभीष्ट फल की प्राप्ति को ध्यान में रखते हुये सात सौ श्लोकों के स्थान पर "सप्तश्लोकी दुर्गा" पाठ का विधान भी दिया हैं 

Durga Saptshati Ke Mantra: जिसे बहुत अल्प समय में करके अभीष्ट फल प्राप्त किया जा सकता हैं जो अनुभूतगम्य प्रयोग हैं इसी प्रकार दुर्गा कवच, अर्गला, कीलक, रात्रिसूक्त, देवी सूक्त, अपराध क्षमा -प्रार्थना, अपराध क्षमा स्त्रोत तथा अपराध क्षमा-पाठ ऐसे हैं जिन्हें किसी भी देशकाल परिस्थिति और किसी भी देव आराधना में किया जा सकता हैं। जिसके करने से अभीष्ट फल में वृद्धि होती हैं अर्गला में जगदम्बा के ग्यारह नामों से आराधना का विधान हैं। जिसका अद्भुत चमत्कार हैं इसी प्रकार सर्वोत्कृष्ट चमत्कार प्रदान करने वाला  "सिद्धकुन्जिका स्त्रोत" हैं जिनका नियमित रूप से पाठ करने से अद्भुत चमत्कार प्राप्त होता हैं यह रहस्यपूर्ण बात हैं कि- इसके पाठ करने का विधान भी रहस्यपूर्ण ही हैं आज तक जिस किसी ने रहस्यमयी विधान से नियमित रूप से पाठ किया हैं उसने निश्र्चित रूप से संकल्पित मनोकामना की सिध्दि को प्राप्त किया हैं।

Durga Saptshati Ke Mantra

Durga Saptshati Ke Mantra: सम्पूर्ण भारत में प्रगट रुप से नवरात्रा-स्थापना वर्ष में चैत्र शुक्ला प्रतिपदा तथा अशिवन शुक्ला प्रतिपदा को होती हैं और उत्थान नवमीं के दिन होता हैं। स्थापना का विशेष महत्व हैं क्योंकि- कोई कार्य विधि-विधान से किया जाता हैं तो उसके अद्भभुत एवं सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं इसलिए नवरात्रा-स्थापना और देवी की आराधना एवं पूजा विधि-विधान से ही करनी चाहिये इसमें शुद्धता, पवित्रता, नियम एवं संयम का विशेष महत्व हैं। स्थापना के दिन राहुकाल, यमघण्ट काल तथा नेष्ट काल में पूजा का श्रीगणेश नहीं करना चाहिये।
इस पूजा के लिये सुन्दर सर्वतोभद्र मण्डल की स्थापना शास्त्रोक्त विधि से करना परम आवश्यक हैं। स्थापित समस्त देवी देवताओं का आह्वान उनके "नाम मंत्रों" से करना चाहिये तथा प्रत्येक देवी-देवताओं की "षोडषोपचार पूजा" करनी चाहिये षोडषोपचार पूजा विशेष फलदायी होती हैं। कात्यायनी तंत्र में कहे गये प्रयोग के संबंध में निवेदन हैं कि दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक श्लोक के आदि और अंत में प्रणव का उच्चारण करने मात्र से मंत्र सिद्ध हो जाता हैं। यहाँ श्लोकपद मंत्र उपलब्ध हैं-
यदि इस प्रकार से सौ बार दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाय तो बहुत शीघ्रता से सिद्धि हो जाती हैं। प्रत्येक श्लोक के यदि अन्त में  "जातवेदसे"  इस वैदिक मंत्र का उच्चारण कर पाठ किया जाय तो सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।  यदि अकाल मृत्यु से बचना हो प्रत्येक श्लोक के आदि अन्त में "त्र्यम्बकं यजामहे" वैदिक मंत्र का उच्चारण करना चाहिये।  प्रति श्लोक पर  "शूलेनपाहि नो देवी"  इस मंत्र के पाठ करने से अकाल मृत्यु टल जाती हैं। केवल इस मंत्र का एक लाख बार या दस हजार अथवा सौ बार जप किया जाये तो पूर्वोक्त फल की प्राप्ति होती हैं। प्रतिश्लोक पर "शरणागतदीनार्त" इसका पाठ करने सर्वकार्य सिद्धि प्राप्त होती हैं।

Durga Saptshati Ke Mantra

Durga Saptshati Ke Mantra: इस प्रकार दुर्गासप्तशती में अनेकों सिद्ध प्रयोग मंत्र हैं जिनके प्रयोग नवरात्रा में करने से सिद्ध हो जाते हैं और अद्भुत फल की प्राप्ति होती हैं। दुर्गा पाठ करने वाले भक्त को चाहिये कि वह दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी मन्दिर अथवा शंकर मन्दिर में द्वार वेदी, ध्वजा, तोरण आदि से सुशोभित मण्डप बना कर आसन लगा कर करे।  पाठ करने वाले को जितेन्द्रिय, सदाचारी, कुलीन, सत्यवाणी तथा दया से युक्त होना चाहिये तथा भूमि पर शयन करना चाहिये।  
माँ दुर्गा देवी की नियमित रूप से प्रातः व सायं मन लगाकर स्तुति करनी चाहिये तथा नियमित रूप से नौ दिन "नवार्ण मंत्र" का जप करना चाहिये। नवरात्रा में नव कन्याओं का पूजन करना अत्यन्त शुभ एवं श्रेष्ठ कहा गया हैं।  कलियुग में सर्वबाधाओं तथा सर्वविघ्नों से मुक्त होने का सबसे सरल उपाय शक्ति रूपा नवरात्रा नव-दुर्गा की नवरात्रा में विधि - विधान से स्थापना करके नियमित पूजा अर्चना ही हैं। जिससे जीवन में सभी प्रकार की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं तथा इष्टफल की प्राप्ति होती हैं ।

1. सर्व कामना सिद्धि Sarv kamana siddhi:-

"ॐ जातवेद से सुनवाम सोममराती यतो निवहाति वेदः। सनः पर्षदति दुर्गाणि विश्वाना वेव दुरित त्यग्निः ।।
सावर्णिः सूर्य तनयोया मनुः कथ्यतेष्टमः। निशामयत दुत्पतिं विस्तराद् गदतो मम ।। करोतु सानः शुभ हेतुरीश्वरी शुभा निभद्रा ण्यभि हंतु चा पदः"। उपरोक्त मंत्रों को सिद्ध कर जाप करने से इच्छित कार्य पूर्ण होता हैं ।

2. लक्ष्मी प्राप्ति Lakshmi prapti:-

 जिन व्यक्तियों के पास धन नहीं रूकता हैं या धन प्राप्ति नहीं होती, इस मंत्र का जाप करना लाभप्रद रहता हैं। "कांसो स्मिताँ हिरण्य प्रकारां  इति श्री सूक्त मंत्रसंषुटेन शतवारा लक्ष्मीवान् जायते"।

3. मोहन वशीकरणम् Mohan Vashikaranam:-

उपरोक्त मंत्र को सिद्ध कर एक लाख जप करके यदि सत्चण्डी का पाठ करने पर किसी भी व्यक्ति को अपने अधीन किया जा सकता हैं। "ज्ञानिना मपि चेतांसि देवी भगवती हिसा। बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति"।।

4. रोग निवारणम् Rog nivaranam:-

"पहला सुख निरोगी काया" यदि व्यक्ति रोगग्रस्त हो तो वह अपने दैनिक क्रियाकलापों के साथ-साथ भगवत प्राप्ति से संबंधित विषयों में तल्लीन नहीं हो पाता हैं। आज जैसे-जैसे व्यक्ति आधुनिकता की ओर बढ़ रहा हैं उसी क्रम में बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहता हैं। असाध्य रोगों के निर्वाण हेतु उपरोक्त मंत्र का पाठ करने से रोगी को लाभ मिलता हैं। "रोग नशेषान पहंसि रुष्टा तुकामान्सकलान भीष्टन्। त्वामाश्रितानां न बिपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयांति"।।

5. शत्रु नाश Shatru naash:-

देवी भगवती के इस मंत्र का जाप करने पर शत्रु क्षति नहीं पहुंचा पाते हैं।
"सर्वा बाघा प्रशमनं तैलोक्यस्था खिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्य मस्म द्वैरि बिनाशनम्"।।
"शत्रोरुच्चाटन मारणं च-
किसी ब्राह्मण द्वारा विधि-विधान से उपरोक्त मंत्र का पाठ करवाने पर शत्रुओं पर विजय ही प्राप्त नहीं होती, बल्कि शत्रु समूल से नष्ट हो जाते हैं। एव मुक्त्वा समुत्पत्य सा रूढातं महासुरम् । पादेना क्रम्यकंठे च शूलेनैन मताडयत्" ।।

6. क्षयादि महारोग शांति Kshay maharog shanti:-

शताक्षरी गायत्री मंत्र के पाठ करने से असाध्य रोगों में लाभ ही नहीं मिलता वरण आकस्मिक मृत्यु से भी बचा जा सकता हैं। शताक्षरा गायत्री:-
"ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ तत्सवितुर्वरण्यं भर्गो देवस्य धीमहि दियो यो नः प्रचोदयात्"। "जात वेदसे सुनवाम सोममरातियतो निदहाति वेदः सनः पर्षदति दुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरियात्यग्निः"।"त्यं बकंयजा महे सुगंधिं पुष्टि वर्धनं । उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्" ।

7. सर्व कार्य सिद्धि Sarva karya siddhi:-

"या च स्मृता तत्क्षण मे बहन्तिनः सर्वापदो भक्ति विनस मूर्तिभिः। करोतु सान : शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभि हंतु चा पदः। अनेन संपुटितेन शता वतिं पठेत् सर्व कार्य सिद्धिः"।।

8. पुत्र प्राप्ति के लिए Putra praapti ke lie:-

क्लीं कामबीज से सम्पुटित प्रतिदिन तीन दुर्गा सप्तशती का पाठ इक्तालीस दिनों तक करने से पुत्र प्राप्त होता हैं। 

9. भय दूर करने हेतु Dar door karane ke lie:-

"ॐ ज्वालाकरालमृत्युग्रमशेषासुरसूदनम् । त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकाली नमोऽस्तुते" ।।
इस मंत्र का सवा लाख जप करने से अथवा सम्पुटित पाठ करने से भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, राक्षस, अग्नि आदि अनेक सामायिक भय दूर होते हैं।
Durga Saptshati Ke Mantra

FAQ- 

1. दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे पढ़ते हैं ?

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के नियम- 1. पाठ करने वालें स्थान को पहले साफ कर ले। 2. श्रीदुर्गा सप्तशती की पुस्तक को साफ स्थान पर लाल कपड़े पर रखें, स्थान एक दम शुध्द होना चाहियें। 3. कुमकुम, अक्षत और लाल पुष्प से पूजन करें। 4. अपने मस्तक पर रोली तिलक लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लियें 4 बार आचमन करें तथा 5. दुर्गा सप्तशती का पाठ आरम्भ करें। 

2. दुर्गा सप्तशती पढ़ने का क्या नियम हैं ?

दुर्गा सप्तशती पाठ करने के नियम- 1. स्नान कर शुध्द हो। 2. साफ वस्त्र धारण करें। 3. मन से बुरे विचार त्याग। 4. माँ दुर्गा के समक्ष पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। 5. शुद्धि के लियें 4 बार आचमन करें। 6. घी का दीपक लगायें और पुस्तक को लाल कपड़े या व्यासपीठ के ऊपर रखकर पाठ करें। 

3. दुर्गा सप्तशती किसे पढ़ना चाहियें ?

ये एक बहुत ही सही सवाल हैं की दुर्गा सप्तशती का किसे पढ़ना चाहियें- वह व्यक्ति जिसमें आत्मविश्वास की कमी हो, जो व्यक्ति मजबूत ना हो अर्थात इरादो से उन्हें दुर्गा सप्तशती  का पाठ करना चाहियें क्योंकि दुर्गा माँ शक्ति का अंतिम रूप हैं, जिसका अर्थ हैं शक्ति, साहस और शक्ति से भरपूर।

4. दुर्गा सप्तशती का मूल मंत्र क्या हैं ?

दुर्गा सप्तशती का मूल मंत्र- "जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ।। सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते" ।।

5. मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा हैं ?

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।। सनातन धर्म में कहा जाता हैं कि नवरात्रि में इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति गुणवान और शक्तिशाली बनता हैं। सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु तेते। 

6. दुर्गा मंत्र क्या हैं ?

दुर्गां मंत्र एक सनातन भक्ति का मंत्र हैं जो माँ देवी दुर्गां को समर्पित हैं। ये एक शक्तिशाली देवी हैं, जिन्हें सृजन की माँ के रूप में जाना जाता हैं। सनातनी हिंदुओं का मानना ​​हैं कि दुर्गां उन्हें दुनिया में बुराई से बचाती हैं और उनके कष्टों को दूर करती हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION-आज हम हमारें लेख दुर्गा सप्तशती के मंत्र Durga Saptshati Ke Mantra में जाना कि  सर्व कामना सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति, मोहन वशीकरणम्, रोग निवारणम्, शत्रु नाश, क्षयादि महारोग शांति, सर्व कार्य सिध्दि, पुत्र प्राप्ति, भय दूर करने हेतु आदि के लियें से किस प्रकार दुर्गा सप्तशती के मंत्र कार्य करते हैं।

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