दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwali...

भारत वर्ष में मनाये जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टियों से अप्रतिम महत्व हैं जो हर वर्ष अक्टूबर और नवम्बर के दौरान आता हैं। दीपावली शब्द का अर्थ दीप यानी दिया+आवली  अर्थात् पंक्ति यानी दीपों की पंक्तियाँ। दीपालवी 5 दिनों का एक लम्बा त्यौहार हैं जिसे हम सब बड़े आनंद व उत्साह के साथ मनाते हैं। 5 दिनों के इस पर्व में सबसे पहले धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दीपावली जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता हैं, तीसरे दिन दीपावली पर्व मनाया जाता हैं, चौथे दिन गोवर्धन पर्व होता हैं व पांचवें दिन भैयादूज मनाई जाती हैं इन सभी पर्व के पीछे पौराणिक कथाएं धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं।

दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwaliदीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwali...

1. धनतेरस Dhanteras:-

Festivals and celebrations of five days of Diwali: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 'धनतेरस' कहलाती हैं भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुये थे। "धनवंतरि जी भगवान विष्णु के अंशावतार हैं" भगवान विष्णु ने चिकित्सा विज्ञान को विस्तार देनें के लियें धनवंतरि जी के रूप में अवतार लिया धनवंतरि जी देवताओं के वैद्य हैं इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार भी लिया था। 

2. नरक चतुर्दशी "छोटी दीपावली" Narak Chaturdashi Choti Deepawali:-

Festivals and celebrations of five days of Diwali: दीपावली के एक दिन पहले रूप चतुर्दशी मनायी जाती हैं। इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन "श्रीकृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर के बंदी गृह से स्त्रियों को मुक्त किया था"। इस दिन को हम छोटी दीपावलीरूप चौदस के नाम से भी जानते हैं रूप चौदस के पीछे भी एक पौराणिक कथा का वर्णन मिलता हैं एक समय भारत वर्ष में हिरण्यगर्भ नामक नगर में एक योगीराज रहते थे
उन्होंने अपने मन को एकाग्र करके भगवान में लीन होना चाहा अतः उन्होंने समाधि लगा ली समाधि के कुछ समय बाद ही उनके शरीर में कीड़ें पड़ गये बालों में आंखों की भौहों पर जुएं पड़ गई ऐसी दशा के कारण योगीराज बहुत दुःखी रहने लगे वे भगवान से बोल रहे थे कि मैंने तो आप में लीन होना चाहा था परंतु मेरी यह दशा क्यों हो गई ? उसी समय नारद जी वहां से गुजर रहे थे उन्होंने योगीराज के वचन सुने और उनके पास जाकर बोले! तुम चिंतन करना जानते हो परंतु देह आचार का पालन नहीं जानते। 
इसलिये तुम्हारी यह दशा हुई तब योगीराज ने नारद जी से देह आचार के विषय में पूछा- इस पर नारद जी बोले देह आचार से अब तुम्हें कोई लाभ नहीं हैं पहले जो मैं तुम्हें बताता हूँ उसे करना फिर देह आचार के बारे में बताऊंगा- नारद जी ने योगीराज से कहा- इस बार जब कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आये तो तुम भगवान विष्णु व श्रीकृष्ण की पूजा ध्यान से करना ऐसा करने से तुम्हारा शरीर पहले जैसा ही स्वस्थ व रूपवान हो जायेगा योगीराज ने ऐसा ही किया और उनका शरीर पहले जैसा हो गया
उस दिन से इसे रूप चतुर्दशी से भी जाना जाता हैं इस दिन प्रातः काल शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करना चाहिये पूजन हेतु एक थाल को सजाकर उसमें एक चौमुख दीप व सोलह छोटे दीप जलाये व विधि विधान से भगवान विष्णु व श्री कृष्ण जी की पूजा कर सभी दीपों को घर के हर एक स्थान पर रख दें और भोजन कर उपवास खोल ले

दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwali

शास्त्रों के अनुसार- चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती हैं पर कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भी हनुमान जयंती मनाई जाती हैं जिसके पीछे यह कारण हैं कि जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय पाकर अयोध्या आयें तब माँ सीताजी हनुमानजी को पहले तो अपने गले की माला पहनायी जिसके बड़े-बड़े मोती व अनेक रत्न थे परंतु उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम नाम न होने से हनुमानजी उससे (माला) संतुष्ट न हुये। तब सीताजी ने अपना सौभाग्य सिंदूर ललाट पर से लेकर राम भक्त हनुमान को लगाया और कहा अब मेरे पास कोई बहुमूल्य वस्तु नहीं हैंतुम हर्ष के साथ इसे धारण करो और अजर-अमर रहो यही कारण हैं कि- कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भी हनुमान महोत्सव मनाया जाता हैं और तेल सिंदूर चढ़ाया जाता हैं ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं

3. दीपावली Deepawali:-

Festivals and celebrations of five days of Diwali: दीपावली रोशनी का उत्सव दीपावली मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं कहीं जाती हैं- लेकिन जो मुख्य रूप से हम सब जानते हैं कि बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये भगवान श्रीराम रावण पर विजय व चौदह साल का वनवास काटकर अपने राज्य अयोध्या लौट और पूरी अयोध्या में अयोध्या वासियों ने घर-घर में दीप जलाकर पूरी अयोध्या को सजावट कर रोशनी से हर तरफ चमकदार और चकित कर देने वाली सुन्दरता बिखरी और भगवान राम का स्वागत किया
पांच दिनों के इस पर्व का हर दिन किसी न किसी खास परम्परा और मान्यता से जुड़ा हुआ हैं। शास्त्रों के अनुसार- समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं देवी महालक्ष्मी के आगमन के लिये और जीवन के हर अंधकार को दूर करने के लिय इस दिन लोग अपने घरों और रास्तों को रोशनी से जगमगा देते हैं  दीपावली के दिन मन और विचारों को पवित्र कर उत्साह के साथ प्रातः ब्रह्म मूहुर्त में उठकर दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर दूध व दही से पितरों का तर्पण श्राद्ध करना चाहिये 
यदि यह सम्भव न हो तो दिनभर उपवास कर गोधूलि वेला में अथवा वृष, सिंह, वृश्चिक स्थिर लग्न में पूजन के लिये किसी चौकी पर लाल वस्त्र से आसन पर गणेशजी व दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी जी स्थापित कर किसी पवित्र पात्र में केसरयुत चन्दन से अष्टदल कमल देवी के पास बनाकर उस पर रुपयों को स्थापित करके पूजा का थाल सजाकर उसमें फल, मिठाई, रोली, मौली, चावल, पांच हल्दी की गांठ, धनियाँ, कमल गट्टा,दूर्वा और द्रव्य रखकर व चांदी के सिक्के रखकर थाली में तेरह या छब्बीस दीपों को जलाकर रखते हैं व एक दीया चौमुखा प्रज्ज्वलित करके रात भर जला रहे ऐसी व्यवस्था करते 
सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें फिर भगवती महालक्ष्मी पूजन करें व आरती कर उनसे प्रार्थना करें- घर में सुख-समृद्धि का वास हो और आप यहां स्थिर भाव से निवास करें  पूजा के बाद घर के बड़े सदस्यों से चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें उसके बाद पूरे घर में दीप जलाकर घर को रोशन करें साथ साथ लक्ष्मी प्राप्ति के सरल उपाय के लियें प्रार्थना करे। इस दिन साधु और संत कुछ विशेष सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिये रात में तांत्रिक पूजा-पाठ करते हैं, बच्चे हों या बड़े सब लोग पटाखे जलाते हैं, एक-दूसरे को बधाई व उपहार देते हैं इस दिन कई प्रकार के उपाय भी किये जाते हैं

दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwali

4. गोवर्धन पूजा Govardhan puja:-

Festivals and celebrations of five days of Diwali: दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्व मनाया जाता हैं- इस दिन मंदिरों और घरों में अन्नकूट बनाया जाता हैं।  इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता हैं इस दिन गोधन यानि गायों की पूजा की जाती हैं शास्त्रों के अनुसार- गाय उसी प्रकार पवित्र होती हैं जैसे गंगा नदी गाय को माता का दर्ज दिया गया हैं गाय में सारे देवी-देवताओं का वास माना जाता हैं इस समय तक शरद कालीन उपज परिपक्व होकर घरों में आ जाती हैं और भण्डार परिपूर्ण हो जाते हैं। 
अतः लोग नयी उपज के अनाजों से विभिन्न प्रकार के पदार्थ बनाकर भगवान श्रीनारायण को समर्पित करते हैं व भगवान श्रीकृष्णगोवर्धन जी को छप्पन भोग लगाया जाता  हैं। गोवर्धन पूजा के संबंध में एक लोककथा प्रचलित हैं कि- जब देव राज इन्द्र को अभिमान हो गया था तब श्री कृष्ण उन का अभिमान चूर करने के लिये एक लीला रची एक दिन उन्होंने देखा कि सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे हैं तब श्री कृष्ण ने भोलेपन में पूछा आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं। 
बृजवासी बोले देवराज इन्द्र की पूजा के लिये अन्नकूट तैयार हो रहा हैं। श्री कृष्ण बोले देवराज इन्द्र की पूजा क्यों ?
तब सबने कहा- देवराज इन्द्र वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती हैं और जिससे हमारी गार्यो को चारा मिलता हैं तब श्री कृष्ण बोले हमें देवराज इन्द्र की नहीं गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिये हमारी गायें वहीं चरती हैं व पूजनीय हैं इन्द्र तो कभी दर्शन ही नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अतः ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिये फलस्वरूप बृजवासियों ने श्री कृष्ण की बात मानी व गोवर्धन का पूजन किया। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन का रूप धारण कर बृजवासियों का भोग ग्रहण किया।

दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव Festivals and celebrations of five days of Diwali

5. भैया दूज Bhaiya Dooj:-

Festivals and celebrations of five days of Diwali: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज पर्व मनाया जाता हैं। इस दिन दीपावली पर्व जो कि पांच दिनों का पर्व मनाया जाता हैं व इसे समापन हो जाता हैं। भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनके पुत्र व पुत्री यमुना व यमराज थे दोनों भाई-बहिन में बड़ा स्नेह था। यमुना सदा अपने भाई यमराज से स्नेह निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना के घर न जा पाते और उनकी बात को टाल जाते काफी समय बीत गया तो यमुना को अपने भाई यमराज की याद आई तो वे भाई से मिलने गई। 
यमराज ने अपनी बहन यम को देखकर बहुत प्रसन्न हुये और बोले बहन आज तुम्हें यहां देख मैं बहुत प्रसन्न हूँ तुम मुझ से जो भी वरदान मांगोगी वे तुम्हें दूंगा तब यमुना ने कहा भैया! आज के दिन जो मुझ में स्नान करें उसे यमलोक न जाना पड़े। 
यमराज जी ने कहां- बहन ऐसा ही होगा उस दिन से कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को यमुना स्नान का महत्व बताया गया हैं इस तिथि को यमुना जी ने अपने भैया यमराज को अपने हाथों से भोजन कराया और यमलोक में बड़ा उत्सव भी मनाया गया इस तिथि को यम द्वितीया से भी मनाया जाता हैं। इस दिन सभी बहिनें अपने भाई को तिलक करके भोजन कराती हैं और यमराज से उनकी लम्बी आयु मांगती हैं । इसके बदले भाई अपनी बहनों को उपहार के साथ-साथ उनकी रक्षा का भी वरदान देते हैं। जो ऐसा करता हैं उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ व अपरिमित सुख की प्राप्ति होती हैं। 

                                दीपावली पर्व वर्ष 2023:-

        पर्व

        दिनांक

        वार

      धनतेरस

              11.11.2023

       शनिवार

      छोटी दीपावली

              12.11.2023

       रविवार

      दीपावली

              13.11.2023

       सोमवार

      गोवर्धन पूजा

              14.11.2023

       मंगलवार

      भैया दूज

              15.11.2023

       बुधवार

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारें लेख दीपावली के पांच दिन के पर्व व उत्सव के माध्यम से जाना कि दीपावली पर भारतवर्ष में दीपावली के साथ कौन कौन से ओर त्यौहार बनायें जातें हैं।

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