Role Of All Planets In Life...

आज हम हमारे लेख में जानेंगे सभी ग्रहों की जीवन में भूमिका क्या होती ? आजीवन मनुष्य को सुख की कामना रहतीं हैं, हमारे शास्त्रों में भी सुख का विवेचन किया गया हैं, भौतिक सुखों की लालसा में वास्तविक सुखों से मानव दूर जा रहा हैं, जीवन मनुष्य को सुख की कामना रहती हैं। सुख की प्राप्ति हेतु व्यक्ति सदैव मग्न रहता हैं। यघपि हर किसी की सुख की परिभाषा अलग-अलग होती हैं, किन्तु सुख की चाह अपने परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति से कार्य करवाती हैं । 

Role Of All Planets In Life

Role Of All Planets In Life सभी ग्रहों की जीवन में भूमिका...

Role Of All Planets In Life: सुख इच्छाओं की पूर्ति का परिणाम हैं, हर व्यक्ति के जीवनकाल में सुख के अलग-अलग रूप सामने आते हैं, बचपन से लेकर वृध्दावस्था तक सुख की परिभाषाएँ बदलती रहती हैं। प्रस्तुत विवेचना में हर उम्र में सुख की परिभाषाओं तथा इनसे संबंधित सभी ग्रहों की चर्चा की गई  हैं।
   

1. शास्त्रों में भी सुख का विवेचन Discussion of happiness in the scriptures also:-  

Role Of All Planets In Life: शास्त्रों में भी सुख का विवेचन किया गया हैं। वैदिककाल में चार आश्रमों की व्यवस्था "ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, संन्यास, वानप्रस्थ" जो कि आश्रम व्यवस्था के नाम से प्रसिद्ध हैं का पालन किया जाता था। चारों पुरुषार्थों को  "अर्थ, धर्म, काम, व मोक्ष" उचित समय पर निभाकर जीवन व्यतीत किया जाता था। वर्तमान स्थिति में सुख के मायने बदल गए हैं। व्यक्ति अपनी इच्छा और कामनाओं की पूर्ति को ही सुख मानता हैं। भौतिक सुखों की लालसा में वास्तविक सुखों से मानव दूर जा रहा हैं। 

2. जीवन के महत्वपूर्ण सुख Important pleasures of life:-

Role Of All Planets In Life: जीवन के महत्वपूर्ण सुखों में से एक हैं "पुत्र का सुख" पुत्र उत्पन्न होना किसी व्यक्ति के जीवन का एक परम आनंददायक क्षण होता हैं। पुत्र के कारक भी "देवगुरु बृहस्पति" ही हैं। कार्यक्षेत्र में कार्य करते हुए व्यक्ति सदा आय के बारे में विचार करता हैं। अच्छी आय व धन-संचय भौतिक सुखों की पूर्ति में आवश्यक हैं। आय के कारक ग्रह बुध हैं तथा धन संचय के कारक देव गुरु बृहस्पति हैं, संपत्ति तथा उसके भोग के कारक शुक्र हैं। हर व्यक्ति के सुख का एक प्रमुख कारण होता हैं उन्नति नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए प्रमोशन तथा व्यावसायिक व्यक्तियों के लिए नये-नये उद्योगों का जुड़ना या अधिक कार्यक्षेत्र में व्यापार का विस्तार आदि उन्नति के प्रमुख लक्षण हैं।

3. उन्नति का दूसरा नाम Another name for progress:-

Role Of All Planets In Life: उन्नति का दूसरा नाम  हैं, यश ! उन्नति एवं यश के परम कारक सूर्य देव हैं। आध्यात्मिक प्रगति को पीछे छोड़कर व्यक्ति प्रपंच में लिप्त हो गया हैं। वर्तमान स्थिति में व्यक्ति प्रपंच में सुख मानता है, जिसके कारक "राहुदेव" हैं। जीवन के अंतिम मोड़ पर व्यक्ति सभी कार्यों से निवृत्त होना चाहता हैं। विरक्ति एवं वैराग्य की इस भावना में ही उसे अपना सुख नजर आता हैं। विरक्ति के कारक "शनिदेव" हैं। व्यक्ति विरक्त होकर धर्मपरायण बनता  हैं। धर्म और आध्यात्म की ओर बढ़ता हैं, आध्यात्म के परम कारक "बृहस्पति" हैं।

4. उन्नति के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान धारणाएँ Current perceptions regarding progress:- 

Role Of All Planets In Life: उन्नति के परिप्रेक्ष्य में भी वर्तमान धारणाएँ पूर्णतः बदल गई हैं, संपत्ति, वाहन, जमीन, जायदाद आदि के स्वामित्व से सुख की गणना की जाती हैं। वस्तुतः सुख तो "आत्मिक भावना" हैं, किन्तु वर्तमान स्थिति में लौकिक तथा भौतिक साधना ही सुख के पैमाने हो गए हैं। जन्म लेते ही व्यक्ति के जीवन में सुख-दुःख प्रवेश करते हैं। 

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5. बालक का पहला सुख Child's first happiness:-

Role Of All Planets In Life: जन्म के समय से ही बालक का पहला सुख होता हैं, "उस बालक की माता" माता से क्षण भर की दूरी भी उस नन्हे से बच्चे को नहीं सुहाती हैं। माता के कारक "चन्द्रमा" हैं अतः व्यक्ति के जीवन में सबसे पहले सुख प्रदान करने वाले ग्रह चन्द्रमा ही हैं। बाल्यावस्था में जातक का विकास होने लगता हैं, तीन चार वर्ष की उम्र के बाद वह बालक आसपास के लोग, हम उम्र बच्चे तथा खिलौनों से मुग्ध रहता हैं। 

कई बार माँ अपने बच्चे को खिलौने पकड़ा कर अपने काम में लग जाती हैं, वह बच्चा उस वक्त माँ के विरह में व्याकुल होनें की बजाए खिलौनों से खेलने लगता हैं। उसका मन वहीं लगा रहता हैं तथा वह उसी में सुख पाता हैं। खेल-खिलौनें आदि के कारक ग्रह बुध हैं। यहीं बालक जब थोड़ा बड़ा होता हैं, तो वह मैदान में खेले जाने वालें खेल खेलने लगता हैं। 

मैदानों में खेले जाने वाले खेलों के कारक मंगल हैं। यथा समय बालक को शिक्षा हेतु विध्यालय में भेजा जाता हैं। यहाँ उसे नये मित्र भी मिलते हैं, विद्याभ्यास में नई-नई सफलताएँ हासिल करनें की इच्छा उसकी बनी रहती हैं। शिक्षा के अधिकारी "ग्रह बृहस्पति" हैं। शिक्षा तथा खेल के साथ-साथ वह अपनी कला व गुणों का प्रदर्शन भी करता हैं। "गायन, वादन, नृत्य आदि" कलाओं में से अपनी पसंद की कला का आस्वाद लेना या उस कला का स्वयं प्रदर्शन करने की कोशिश करना वह शुरू कर देता हैं। 

कला तथा कला के प्रदर्शन के कारक "शुक्र" हैं। विद्याभ्यास, खेल या कला इनमें से किसी एक को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में देखनें की शुरुआत भी यहीं से होती हैं। काँलेज में आते-आते व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र की दिशा लगभग तय कर लेता हैं। कार्यक्षेत्र में ही उसका मन लगने लगता हैं। इस उम्र में अपने भविष्य के बारे में वह सपने देखता हैं, कार्यक्षेत्र की महत्वाकांक्षा सूर्य का विषय हैं। 

युवावस्था में आते-आते व्यक्ति किसी साथी ''जीवनसाथी'' की इच्छा रखता हैं। विवाह के बन्धन में बंधकर वह अनेक पारिवारिक व सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाता हैं। प्रेम-भावना आदि के कारक शुक्र हैं तथा विवाह के कारक बृहस्पति हैं। विवाह तथा उससे संबंधित समस्त व्यवस्थाएँ व्यक्ति के जीवन में अहम् होती हैं।

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं , पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- सभी ग्रहों की जीवन में भूमिका Role Of All Planets In Life के माध्यम से जाना कि आखिर किस प्रकार सभी ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन पर किस प्रकार होता हैं और साथ ही इस लेख में हमनें सुखों की विवेचन भी की जैसे कि शास्त्रों में भी सुखों का विवेचन हैं, जीवन के महत्वपूर्ण सुख क्या हैं आदि..

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