पाया देखने की विधि-Paaya Dekhane Kee Vidhi...

आज हम हमारे इस लेख में पाया देखने की विधि-Paaya Dekhane Kee Vidhi के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे की पाया क्या होता हैं, ये कितने तरह का होता हैं तो आयें जानतें पाया देखने की विधि-Paaya Dekhane Kee Vidhi-

पाया देखने की विधि-Paaya Dekhane Kee Vidhi

पाया देखने की विधि-Paaya Dekhane Kee Vidhi...

Paaya Dekhane Kee Vidhi: आज भी लोग जब बालक या बालिका का जन्म होता हैं, तो पंडित जी के पास बालक या बालिका किस पाये में जन्म हुआ हैं, जानने की इच्छा रखते हैं। राजस्थान में विशेष रूप से यह प्रथा प्रचलित हैं, पंलग के चार पायों की ही तरह जन्म- कुण्डली के 12 भावों को 4 भागों में बांटा गया हैं, और इन अलग-अलग भागों को अलग-अलग पायों के नाम से जाना जाता हैं। जन्म लग्न से चंद्रमा जिस भाव में हो, उस भाव के अनुसार पाया निर्धारण करते हैं। पाये  से यह ज्ञात हो जाता हैं कि जन्मांग में चंद्रमा किस भाव में हैं-

1. पाये का प्रकार Type of find paaye:-

1. सोने का पाया:- चन्द्रमा लग्न से प्रथम, छठे, एकादश भाव में हो तो बच्चे का सोने के पाये म जन्म होता हैं।
2. चांदी का पाया:- चन्द्रमा लग्न से द्वितीय, दूसरा, पंचम, नवम भाव में हो तो बच्चे का जन्म चाँदी के पाये में होता हैं।
3. तांबे का पाया:- चन्द्रमा लग्न से तृतीय, सप्तम, दशम भाव में हो तो बच्चे का जन्म तांबे के पाये में होता हैं।
4. लोहे का पाया:- चन्द्रमा लग्न से चतुर्थ अष्टम, द्वादश भाव में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाये में होता हैं।

2. पाये का प्रभाव Effect of paaye:-

Paaya Dekhane Kee Vidhi: सोने का पाया- कुछ खराब होता हैं, इसमें जन्मा बालक पिता के लिये कलहकारी, माता के लिये व स्वयं के लिये कष्टकारक होता हैं- अपच, हाथ- पांव में फूटन व सूखा रोग से पीड़ित रहता हैं, 9 प्रकार का अनाजसोने का दान करने से राहत मिलती हैं। चाँदी का पाया- सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं, इसमें जन्मा बालक स्वयं के लिये लाभकारी होता हैं, और उसे लाभकारी वस्तुएं प्राप्त होती हैं। तांबे के पाये- में जन्मा बालक श्रेष्ठ होता हैं, पिता को सम्मान, उन्नति और लाभ दिलाता हैं। लोहे का पाया- सबसे निकृष्ट माना जाता हैं। इसमें जन्मा बच्चा अपने माता- पिता, दादा- दादी, नाना- नानी के लिये कष्टकारकजोड़ो के दर्द और उदर रोग से भी पीड़ित रहता हैं, लोहे के पाये में जन्म होने पर अनिष्ट के निवारण हेतु लोहे ,काले तिल, काला कपड़ा, काले उड़द व बच्चे के वजन के बराबर तेल का दान करना चाहियें। तेल का दीपक जलाने से दान से भी अधिक फल मिलता हैं।

FAQ-

1. पाया कैसे देखा जाता हैं ?

जन्म पाया देखने का सरल उपाय: 1.सोने का पाया- जब चंद्रमा पहले, छठे या ग्यारहवें में हो तो स्वर्ण पाद का जन्म समझा जाता हैं। 2. चाँदी का पाया- चंद्रमा दूसरे, पाँचवे या नव वें भाव में हो तो चाँदी के पाए का जन्म माना जाता हैं। 3. ताँबे का पाया- चंद्रमा तीसरे, सातवें या दसवें स्थान में हो तो ताँबे का पाया होता हैं। 4.लोहे का पाया- चन्द्रमा लग्न से चतुर्थ अष्टम, द्वादश भाव में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाये में होता हैं।

2. कौन सा पाया शुभ होता हैं ?

चांदी के पाये की तरह तांबे का पाया भी अत्यधिक शुभ होता हैं, ऐसे पाये में जन्म लेने वाला बच्चा अपने पिता की उन्नति कराने वाला होता हैं और परिवार के लिए बेहद भाग्यशाली साबित होता हैं, सोने का पाया- चंद्रमा लग्न से प्रथम, छठे, एकादश भाव में हो तो बच्चे का सोने के पाये में जन्म होता हैं, सोने का पाया कुछ खराब होता हैं।

3. पाया कितने प्रकार के होते हैं ?

ज्योतिषशास्त्र अनुसार 4 प्रकार के पाये होते हैं। सोने का पाया, चांदी का पाया, तांबे का पाया और लोहे का पाया, इन्हीं पायों में से किसी न किसी एक पाये में व्यक्ति का जन्म होता हैं। कुंडली में लग्न से चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता हैं उससे पाये का पता चलता हैं तो ज्ञात रहें कि पाया 4 तरह का होता हैं। 

4. नक्षत्र पाया कैसे देखें ?

ज्योतिष में नक्षत्र अनुसार बालक के पायों का निर्धारण होता हैं, पाये चार प्रकार के होते हैं स्वर्ण, लौह, रजत और ताम्र, 1- स्वर्ण पाया "सोने के पैर" रेवती से तीन नक्षत्र आगे यानि रेवती, अश्विनी और भरणी नक्षत्र में जन्म हो तो बालक के पाये स्वर्ण के माने जाते हैं,  इसी तरह हम अन्य पाये जान सकते हैं।

5. सोने का पाया हो तो क्या करें ?

सोने का पाया- कुण्डली में सोने का पाया सामान्य होता हैं, कुछ नुकसान की सम्भावना रहती हैं, सभी कुछ होते हुए भी शांति नहीं मिलती हैं, लोगो से परेशानी रहती हैं। उपाय- दोष दूर करने के लिए यहाँ पर आप सूर्य नारायण को जल देवें और गायत्री मंत्र का पाठ करें व दान करें जैसे की सोने, तांबा, कपड़ा, लाल फूल, मिठाई आदि रविवार को दान करें, फायदा अवश्य होगा। 

6. राशि पाया और नक्षत्र पाया में क्या अंतर हैं ?

यदि आप आकाश को 12 समान भागों में विभाजित करते हैं, तो प्रत्येक भाग को राशि कहा जाता हैं, लेकिन अगर आप आकाश को 27 समान भागों में विभाजित करते हैं तो प्रत्येक भाग को नक्षत्र कहा जाता हैं, यही विशेष रूप से अन्तर होता हैं। 

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- पाया देखने की विधि Paaya Dekhane Kee Vidhi:- के माध्यम से जाना कि पायें के कितने प्रकार होते हैं साथ- साथ ये भी जाना कि पायों का जातक के जीवन पर क्या प्रभाव होता हैं।


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