आज हम हमारें लेख कुण्डली जन्म कुण्डली में ग्रह-नवाशं के माध्यम से जानेंगे कि जातक की राशि में कितने नवाशं होते हैं, नवाशं का मान अंश कितना होता हैं इसे उदाहरण सहित हम हमारें इस लेख में विस्तृत रूप से जानेंगे तो आयें जानतें हैं-
कुण्डली जन्मकुण्डली में ग्रह नवाशं Kundalee Janma Kundalee Mein Navaansh Grah
Kundalee Janma Kundalee Mein Navaansh Grah: एक राशि में नौ नवांश होते हैं, एक नवांश का मान 3 अंश 20 कला का होता हैं अतः 9 नवांश का मान 30 अंश का होता हैं। प्रथम नवांश 0 से 3.20 अंश तक द्वितीय नवांश 3.20 से 6.40 तक तृतीय नवांश 6.40 से 10 तक चतुर्थ नवांश 10 से 13.20 तक पंचम नवांश 13.20 से 16.40 तक षष्ठ नवांश 16.40 से 20.00 तक सप्तम नवांश 20.00 से 23.20 तक अष्टम नवांश 23.20 से 26.40 नवांश तक एवं नवम नवांश 26.40 से 30.00 नवांश तक होता हैं।
Kundalee Janma Kundalee Mein Navaansh Grah: जन्म कुण्डली में यदि 1 नवांश से 12 नवांश होंगे जो मेष से मीन के होंगे। मेष राशि जन्म कुण्डली में जहां होगी उस नवांश का नाम उस भाव से जाना जायेगा । प्रथम भाव के नवांश का नाम "लग्नांश" द्वितीय भाव के नवांश का नाम "वितांश व धनांश" तृतीय भाव के नवांश का नाम "विक्रमांश" चतुर्थ भाव के नवांश का "सुखांश" पंचम भाव के नवांश "पुत्रांश" षष्ठ भाव के नवांश का नाम "षष्ठांश" सप्तम भाव के नवांश "भार्यांश" अष्टम भाव के नवांश का नाम "निधनांश" व "रन्ध्रांश" नवम भाव के नवांश का नाम "भाग्यांश" दशम भाव के नवांश का नाम "कर्मांश" एकादश भाव के नवांश का नाम "लाभांश" द्वादश भाव के नवांश का नाम "व्ययांश" । उपरोक्त नामों से जाने जाते हैं इनको इस प्रकार उदाहरण द्वारा समझे।
लग्न 18.13 सूर्य 29.00 चंद्रमा 24.03 मंगल 24.32 बुध 19.41 गुरु 09.55 शुक्र- 8.17 शनि 23.19 राहु 22.48 केतु- 22.48 सबसे पहले यह देखें सूर्य किस राशि में हैं सूर्य धनु राशि में हैं अब वह किस नवांश में हैं धनु नवांश में हैं । जन्म कुण्डली में देखें धनु राशि किस भाव में स्थित हैं यह राशि एकादश भाव में हैं। सूर्य लाभांश युत कहलाएंगे । यह वर्गोत्तम नवांश में भी हैं।
1. क्या कहते हैं ग्रह कुण्डली के बारे में What do planets say about horoscope?
Kundalee Janma Kundalee Mein Navaansh Grah: कुण्डली एक ऐसा शब्द हैं जो ज्योतिष का मसला आतें ही मन में आता हैं। जन्मकुण्डली
ज्योतिष शास्त्र रूपी दीयें की वह बाती हैं जिसे जला कर भविष्य पर उजाला डाला जा सकता हैं। आमतौर पर कुण्डली को जन्मप्रत्री भी कहा जाता हैं। लोक भाषा में पत्रा भी बोला जाता हैं। क्या कहते हैं ग्रह 'कुण्डली' के बारे में
? इसे हम जानेंगे हमारी अगली पोस्ट में-
कुंभ लग्न की कुण्डली अतः जातक को जब-जब सूर्य की महादशा-अन्तर्दशा होगी तब जातक को लाभ की प्राप्ति होगी। बड़े भाई- बहिनों से सुख की प्राप्ति होगी या बड़े भाई को लाभ प्राप्त होगा या जातक को संतान से लाभ इत्यादि । संतान का भाग्योदय होगा स्वयं का मन प्रसन्न होगा। अब चंद्रमा को देखें चंद्रमा जन्म कुण्डली में पंचम राशि में हैं एवं नवांश कुण्डली में कुंभ राशि में हैं। कुंभ राशि लग्न कुण्डली में लग्न में स्थित हैं अतः यह लग्नाश युक्त होगा। चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में लग्न से संबंधित सभी वस्तुओं का लाभ या परिणाम प्राप्त होगा।
FAQ-
1. कौन सी कुण्डली सबसे महत्वपूर्ण हैं ?
जन्म कुण्डली में नवाशं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं यदि लग्न कुण्डली तन हैं तो नवाशं कुण्डली आत्मा हैं क्योंकि इसी से पता चलता हैं कि कुण्डली में ग्रह कितना फलदायी होगा।
2. नवाशं कुण्डली का क्या महत्व हैं ?
नवाशं कुण्डली का महत्व हमारें जीवन में एक विशेष स्थान रखता हैं और इसका उपयोग विशेष रूप से विवाह, भाग्य आदि के सूक्ष्म विशलेषण के लियें किया जाता हैं। प्रत्येक राशि 30 अंश की होती हैं और जब इसे 9 भागों में विभाजित किया जाता हैं, तो प्रत्येक भाग या भाग को नवाशं के रूप में जाना जाता हैं। तो इस प्रकार एक नवीन चार्ट बनता हैं जो मुख्य जन्मकुंडली से सूक्ष्म होता हैं। इसे नवाशं कुण्डली कहा जाता हैं जोकि अत्यंत महत्वपूर्ण होता हैं।
3. नवाशं में कोई ग्रह उच्च का हो तो क्या होता हैं ?
यदि नवाशं में कोई ग्रह उच्च का होता हैं तो जातक की दुर्बलता खत्म हो जाती हैं। यह दुर्बलता या नीच भंग योग को दबाने के लियें मुख्य मानदंडों में से एक हैं।
4. नवाशं का स्वामी कौन होता हैं ?
1.यदि नवाशं लग्न का स्वामी बुध होतो जातक हंसमुख, चतुर, चित्रकार शिल्पविध्या में निपुण होता हैं। 2. यदि नवाशं लग्न का स्वामी गुरु होतो जातक पीतवर्ण, ज्ञानी, शुभ आचरण करने वाला, सौम्य स्वभाव, धार्मिक वृत्ति और व्रत-तीर्थ करने वाला होता हैं।
5. नवाशं कैसे बनता हैं ?
यदि किसी कुण्डली का जन्म लग्न सिंह राशि में 11:15:12 हैं ( अर्थात- लग्न स्पष्ट 04:11:15:12 हैं) ऐसी अवस्था से हमें ज्ञात होता हैं कि कुण्डली में 11:15:12 का मान हमें 10.00 से 14.20 वाले चतुर्थ नवाशं में प्राप्त होगा। यानि ये लग्न का चौथा नवाशं हैं। सिंह का नवाशं मेष से आरम्भ होता हैं।
6. कौन से ग्रह धनवान बनाते हैं ?
ज्योतिषशास्त्र अनुसार- जिस जातक की जन्मपत्री में बुध कन्या या मिथुन राशि में पांचवे घर में और मंगल चन्द्रमा ग्यारहवें घर में होता हैं उनकी कुण्डली में धन योग बनता हैं ऐसा जातक धनवान होता हैं।
7. क्या हैं जन्मकुंडली का अर्थ ?
Kundalee Janma Kundalee Mein Navaansh Grah: जन्मकुण्डली या जन्मप्रत्री जैसा की इन शब्दों में ही इसका अर्थ भी हैं यह किसी भी जातक के
जन्म के विवरण को प्रदर्शित करती हैं। जैसे कि जातक का जन्म किस तिथि, किस समय, किस स्थान पर हुआ ? क्या हैं जन्मकुंडली का अर्थ ? मंगल जातक के वृश्चिक राशि में हैं, नवांश में कुंभ राशि में हैं। अतः जन्म कुण्डली में कुंभ राशि लग्न में होने से जातक का मंगल लग्नांश युक्त होगा। अतः जातक को मंगल की दशा अन्तर्दशा में पुनः लग्न से संबंधित कारकत्व के फल प्राप्त होंगे।
बुध जातक के धनु राशि में स्थित हैं, नवांश कुण्डली में बुध कन्या राशि में स्थित हैं, कन्या राशि जन्म कुण्डली में अष्टम भाव में स्थित हैं जो निधनांश 'युत' कहलायेगा । अतः बुध की दशा - अन्तर्दशा में जातक को शारीरिक कष्ट होगा या हर कार्य में बाधाएं प्राप्त होगी, यानि आठवें भाव से संबंधित सभी कारकत्व की प्राप्ति होगी ।
गुरु जातक के जन्म कुण्डली में मिथुन राशि में हैं, नवांश में धनु राशि में हैं जो स्वनवांश में हैं। धनु राशि जन्म कुण्डली में एकादश भाव में स्थित हैं अतः गुरु महादशा-अन्तर्दशा में लाभ प्राप्त होगा। जातक की संतान का भाग्योदय होगा। बड़े भाई बहिनों से प्रेम सुख प्राप्त होगा अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। शुक्र जातक के मकर राशि में स्थित हैं। नवांश कुण्डली में शुक्र मीन राशि उच्च नवांश में स्थित हैं जो जन्म कुण्डली में द्वितीय भाव में हैं। अतः जातक का शुक्र वितांश युक्त या धनांश युक्त होगा।
अतः जातक को शुक्र की महादशा एवं अन्तर्दशा में संचित धन होगा। जातक के कुटुम्ब में कोई मांगलिक कार्य होगा। वाणी में अच्छे वक्ताओं का समागम होगा। अतः द्वितीय भाव संबंधी जातक के परिणाम प्राप्त होंगे। शनि जातक के धनु
राशि में जन्म कुण्डली में स्थित हैं। नवांश में तुला राशि में स्थित उच्च नवांश में स्थित हैं जो जन्म कुण्डली में नवम भाव में हैं। शनि भाग्यांश युक्त हैं अतः शनि की महादशा अन्तर्दशा में भाग्योदय होगा। जातक को धार्मिक यात्राएं करने का अवसर प्राप्त होगा।
राहु जातक के मकर राशि में स्थित हैं। नवांश में कर्क राशि में स्थित हैं अत: यह जन्म कुण्डली में कर्क राशि षष्ठ भाव में स्थित हैं जो षष्ठेश युक्त होगा। छठे भाव में रोग 'रिपु' ऋण से ग्रसित रहेंगे। राहु की महादशा या अन्तर्दशा में जातक को इनकी प्राप्ति होगी। केतु जातक के कर्क राशि में स्थित हैं नवांश में मकर राशि में स्थित हैं जो जन्म कुण्डली में द्वादश भाव में हैं। मकर राशि यानि केतु व्ययांश युक्त हैं। अतः केतु की महादशा-अन्तर्दशा खर्चा विशेष होना हैं व्यर्थ की यात्राएं होना स्वास्थ्य नरम होना।
चिकित्सालय के चक्कर काटना पड़ सकता हैं। अत : हम नौ ग्रह में देखें तो सूर्य, चंद्र , मंगल, गुरु, शुक्र, शनि ग्रह अच्छे भाव के नवांश युक्त हैं। जबकि बुध, राहु एवं केतु षष्ठ, अष्टम, द्वादश भाव के नवांश युत हैं। अत :जातक को 66 शुभ 33 अशुभ परिणाम समय-समय पर प्राप्त होंगे यदि किसी कुण्डली का लग्नेश निधनांश युक्त हो तो जातक को कष्ट अधिक भोगने पड़ते हैं एवं मृत्यु के समय कोई ब्लड़ रिलेटिव नहीं होता हैं। इसी प्रकार यदि अष्टम भाव के स्वामी लग्नांश युक्त होते हैं तब भी शारीरिक कष्ट अधिक होता हैं।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- कुण्डली जन्मकुण्डली में ग्रह नवाशं Kundalee Janma Kundalee Meni Navaansh Grah के माध्यम से जाना कि नवाशं का मान अंश कितना होता हैं और साथ साथ ये भी जाना कि ग्रह जातक की कुण्डली के बारें में क्या कहते हैं।
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