कुबेर देवता- धन के स्वामी Kuber Devata Dhan Ke Svamee..

आज हम हमारें लेख कुबेर देवता- धन के स्वामी Kuber Devata Dhan Ke Svamee के माध्यम से जानेंगे की कुबेर देवता किस प्रकार से धन के स्वामी हैं कुबेर देव का मंत्र क्या हैं? कुबेर देव के नाम का अर्थ क्या हैं? कुबेर मंत्र का लाभ क्या हैं? हमारें प्रत्येक कर्मकाण्ड कार्यक्रम में पूजा होने के अंत में बोला जाता हैं कि हमारे घर में गणेशजी, लक्ष्मी जी और कुबेर देवता हमेशा विराजमान रहें। लक्ष्मी पूजन में कुबेर देवता का भी पूजन किया जाता हैं क्योंकि उन्हें धन का स्वामी नियुक्त किया गया हैं तो आयें जानते हैं इस लेख के माध्यम से-

Kuber Devata Dhan Ke Svamee..

कुबेर देवता- धन के स्वामी Kuber Devata Dhan Ke Svamee..

Kuber Devata Dhan Ke Svamee: कुबेर देवता नवनिधियों के स्वामी हैं कुबेर देवता ने शिव आराधना के द्वारा और बाद में ब्रह्मा जी की कृपा से दिक्पाल का पद प्राप्त किया वे दस दिकपालों में उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं, दस दिक्पाल पूजन में कुबेर देवता का उत्तर दिशा में आह्वान और स्थापन किया जाता हैं शंकर भगवान ने उन्हें अल्कापुरी, चैत्ररथ नाम का वन तथा एक दिव्य सभा प्रदान की जो चार दिव्य सभाओं में से एक हैं। {चार दिव्य सभाएं "ब्रह्मा" "इन्द्र" "यम" और "कुबेर" की हैं}

कुबेर की सभा उत्तर में तथा निवास दक्षिण दिशा में हैं उनकी सभा "कैलाश पर्वत" के "पार्श्व" में हैं, उन्हें लंका में रहने का स्थान विश्रवा मुनि ने दिया था कुबेर विश्रवा मुनि के पुत्र हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा रहती हैं कि उसके घर में हमेशा कुबेर की तरह धन के भण्डार भरे रहें। कुबेर का उत्तर व दक्षिण दोनों दिशाओं से संबंध हैं  क्योंकि- कुबेर की दिशा उत्तर तथा निवास दक्षिण दिशा में बताया गया  हैं। 

Kuber Devata Dhan Ke Svamee: वास्तु में उत्तर दिशा धन - सम्पत्तियों में वृद्धि कराने वाली हैं और दक्षिण दिशा जीवन में उत्थान लाने वाली और समाज में पद-प्रतिष्ठा दिलाने वाली हैं। यदि भूखण्ड में वास्तु नियमानुसार उत्तर और दक्षिण दिशा में निर्माण किया जाता हैं तो व्यक्ति धन-सम्पत्ति और पद-प्रतिष्ठा से युक्त होता हैं। ठीक इसी प्रकार ज्योतिष में भी उत्तर दिशा धन-सम्पत्तियों में वृद्धि कराती हैं और दक्षिण दिशा जीवन में पद-प्रतिष्ठा दिलाती हैं। जन्म पत्रिका का चतुर्थ भाव उत्तर दिशा और दशम भाव दक्षिण दिशा हैं। यदि जन्म पत्रिका में चतुर्थ और दशम भाव में किसी भी तरह संबंध हो जाये तो व्यक्ति अपने कर्म क्षेत्र में प्रतिष्ठित होता हैं और धन-सम्पत्ति वाहनादि और भूमि से युक्त होता हैं । यदि गणितीय दृष्टि से देखा जाये तो चतुर्थ और दशम भाव समान कोणीय दूरी 180* पर स्थित हैं। चतुर्थ भाव 90* से 120* तथा दशम भाव 270* से 300* जब भी ग्रह या भाव समान कोणीय दूरी पर स्थित होते हैं तो वे विशेष योग बनाने वाले होते हैं।
Kuber Devata Dhan Ke Svamee: यदि चतुर्थ और दशम भाव का लग्न या लग्नेश से संबंध हो जाये तो व्यक्ति के पास बहुत धन-सम्पत्ति होती हैं क्योंकि लग्न या लग्नेश से बनने वाले योग पूर्ण रूप से फल देने में सक्षम होते हैं, यदि चतुर्थ और दशम भाव किसी भी लक्ष्मी स्थान अर्थात् त्रिकोण स्थान से संबंध स्थापित करें तो भी व्यक्ति के जीवन में निरन्तर रूप से धन संपदा में वृद्धि होती रहती हैं । कुबेर को राक्षस के अतिरिक्त यक्ष भी कहा गया हैं, यक्ष धन का रक्षक ही होता हैं उसे भोगता नहीं। कुबेर का जो दिक्पाल रूप हैं वह भी उनके रक्षक और प्रहरी रूप को ही स्पष्ट करता हैं। पुराने मंदिरों के वाह्य भागों में कुबेर की मूर्तियां पाए जाने का रहस्य भी यही हैं कि- वे मंदिरों के धन के रक्षक के रूप में कल्पित और स्वीकृत हैं।

Kuber Devata Dhan Ke Svamee

1. क्या हैं कुबेर देव का मंत्र What is the mantra of Kuber Dev:-

"ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा"॥

Kuber Devata Dhan Ke Svamee: यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोग मंत्र हैं। इस मंत्र का तीन माह तक रोज 108 बार जप करें जप करते समय अपने सामने एक सिक्का "धनलक्ष्मी सिक्का" रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस सिक्के को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा हमेशा उस में धन भरा रहेगा। यह मंत्र आपके जीवन और आपके परिवार में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए फायदेमंद हैं। अगर आप भक्ति के साथ मंत्र का पाठ करते हैं तो भगवान कुबेर आपकी इच्छा को पूरा करेंगे यह मंत्र आपके आत्मविश्वास का निर्माण करने में भी मदद करता हैं और समाज में आपकी स्थिति को भी बढ़ाएगा। 

2. क्या हैं कुबेर देव नाम का अर्थ हैं What is the meaning of the name Kuber Dev:-

Kuber Devata Dhan Ke Svamee: संस्कृत में ‘विकृत’ या ‘राक्षसी’ कुबेर का दूसरा नाम है यक्ष वह धन की रक्षक हैं, सोने के खजाने और विशाल धन को आमतौर पर ‘कुबेर का खजाना’ या ‘कुबेर का धन’ कहा जाता हैं। “ॐ श्रीम ॐ ह्रीम श्रीम ह्रीम वित्तेश्वराय नम:” इस मंत्र का अर्थ है कि- ‘मैं अपने जीवन में धन के देवता कुबेर को नमन करता हूं जो सभी प्रकार की परेशानियों का नाश करने वाला और निश्चित रूप से वित्त में सुधार देने वाला भगवान हैं। जब आप इस मंत्र का जाप करते हैं- तो सुनिश्चित करें कि आप खुद को वह सारा धन प्राप्त करने की कल्पना करें जो आप चाहते हैं यदि आप एक नया घर चाहते हैं तो अपने नए घर में अपने परिवार के साथ भव्य और आराम से बढ़िया भोजन की कल्पना करें।
पाराशर ऋषि ने कुबेर को दशमांश कुण्डली में स्थान दिया हैं। राशि का दसवां हिस्सा दशमांश होता हैं। अतः एक दशमांश का मान 3* अंश होता हैं। विषम राशियों में उसी राशि से व सम राशियों में नवम राशि से दशमांश गिने जाते हैं । "इन्द्र अग्नि यम राक्षस वरुण वायु कुबेर ईशान ब्रह्मा अनन्त" ये दस दिक्पाल विषम राशियों में क्रम से तथा सम राशियों में विपरीत क्रम से स्वामी होते हैं । यदि लग्न स्पष्ट कुबेर के दशमांश में हो तो व्यक्ति के जीवन में हमेशा कुबेर देवता की कृपा बनी रहती हैं और वह अपने कर्मक्षेत्र में अथाह परिश्रम कर अथाह धन-सम्पदा का निर्माण करता हैं।

Kuber Devata Dhan Ke Svamee

3. कुबेर महालक्ष्मी-कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र Kuber Mahalakshmi-Kuber Ashtalakshmi Mantra:-

"ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै च विद्महेॐ श्रीं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नयै च धीमही तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात"
इस मंत्र का जाप कर आप देवी महालक्ष्मी से आपको सुखी जीवन का आशीर्वाद देने की प्रार्थना कर रहे हैं। भगवान कुबेर और देवी महालक्ष्मी सुनिश्चित करेंगे कि आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएं, एक बार जब आप इस मंत्र को दृढ़ विश्वास के साथ सुनाना शुरू करते हैं।

4. कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र Kuber Ashtalakshmi Mantra:-

"ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः"॥
इस मंत्र के साथ आप भगवान कुबेर से प्रार्थना कर रहे हैं कि आप पर धन और खुशी की शुभकामनाएं दें। जब देवी लक्ष्मी के साथ एक साथ पूजा की जाती हैं तो भगवान कुबेर को सबसे अच्छा आशीर्वाद देने के लिए जाना जाता हैं, जो उनके लिए समर्पित हैं। उनके नाम का जप सभी विकारों को मिटाकर दया, क्षमा, निष्कामता आदि दैवी गुणों को प्रकट करता हैं। 
"कर्माधिपेन संयुक्त केन्द्र कोणे गृहाथिये । विचित्रसौधप्राकारैर्मण्डितं तद्गृहं भवेत् "।। {बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् , सुखभावफलाध्याय} 
अर्थात् यदि चतुर्थेश व दशमेश साथ-साथ किसी केन्द्र या त्रिकोण में हो तो जातक का सुन्दर, बड़ा, महलनुमा , सुसज्जित घर होता हैं। यदि चतुर्थ और दशम भाव अपने कारक ग्रहों से युक्त हो अथवा इन भावों में बलवान ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति सभी प्रकार की सम्पत्तियों से युक्त होता हैं। चंद्रमा, बुध चतुर्थ भाव के कारक ग्रह हैं और सूर्य, बुध, गुरु, शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं। चंद्रमा, शुक्र चतुर्थ भाव में बली होते हैं और सूर्य, मंगल दशम भाव में बली होते हैं ।
Kuber Devata Dhan Ke Svamee: शास्त्रों में समस्त संपत्तियों के स्वामी शुक्र को माना गया हैं। जैमिनी ऋषि के अनुसार- "दारे चन्द्रशुकदृग्योगात् प्रासादः" ।। अर्थात् कारकांश लग्न से चतुर्थ स्थान में यदि चंद्रमा व शुक्र की स्थिति हों या ये दोनों ग्रह इस स्थान पर दृष्टि रखते हों तो मनुष्य बड़े महल का स्वामी होता हैं। फलदीपिका के अनुसार यदि चतुर्थ भाव के स्वामी और शुक्र  लग्न में हो या चौथे स्थान में हो या दोनों शुभ स्थान में हो तो वाहन, स्वर्ण, बहुमूल्य आभूषण, महंगे वस्त्र, भोग के अन्य साधनों का सुख प्राप्त होता हैं। 

5. कुबेर मंत्र का लाभ Benefits of Kuber Mantra:- 

1. गहराई से जाप करने से मन की चंचलता कम होती हैं व एकाग्रता बढ़ती हैं। एकाग्रता सभी सफलताओं की जननी हैं। 2. मंत्र जाप करने से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती हैं और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता हैं। 3. मंत्र जाप से चित्त पावन होने लगता हैं।  रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं। दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत होने लगते हैं । सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती हैं। 4. जैसे, ध्वनि-तरंगें दूर-दूर जाती हैं, ऐसे ही नाम-जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरे उतर जाती हैं तथा पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं। इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता हैं और बुद्धि का विकास होने लगता हैं।  5. मंत्र जाप से शांति तो मिलती ही हैं, वह भक्ति व मुक्ति का भी दाता हैं।

6. मंत्र जप करने से मनुष्य के अनेक पाप-ताप भस्म होने लगते हैं। उसका हृदय शुद्ध होने लगता हैं तथा ऐसे करते-करते एक दिन उसके हृदय में हृदतेश्वर का प्राकटय भी हो जाता हैं। 7. मंत्र जापक को व्यक्तिगत जीवन में सफलता तथा सामाजिक जीवन में सम्मान मिलता हैं।   मंत्र जप मानव के भीतर की सोयी हुई चेतना को जगाकर उसकी महानता को प्रकट कर देता है।  यहाँ तक की जप से जीवात्मा ब्रह्म-परमात्मपद में पहुँचने की क्षमता भी विकसित कर लेता हैं। जैसे पानी की बूँद को बाष्प बनाने से उसमें 1300 गुनी ताकत आ जाती है वैसे ही मंत्र को जितनी गहराई से जपा जाता हैं, उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होता हैं। गहराई से जप करने से मन की चंचलता कम होती है व एकाग्रता बढ़ती हैं । एकाग्रता सभी सफलताओं की जननी हैं।

नोट:- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचाग, प्रवचन, धार्मिक मान्यताओं, थर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी। '
CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेख- कुबेर देवता धन के स्वामी Kuber Devata Dhan Ke Svamee के माध्यम से जाना कि कुबेर देव का मंत्र क्या हैं, कुबेर देव के नाम का अर्थ क्या हैं, कुबेर कष्ट लक्ष्मी मंत्र क्या हैं साथ साथ ये भी जाना कि कुबेर मंत्र के लाभ क्या हैं।

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