कार्तिक मास की महत्ता- महत्व Kaartik maas kee mahatta mahatv...
आज हम हमारें लेख कार्तिक मास की महत्ता- महत्व के माध्यम से जानेंगे कि कार्तिक मास का क्या महत्व हैं। हिन्दू कैलेण्डर का आठवां महीना कार्तिक माह से जाना जाता हैं। यह सभी महीनों में सबसे पवित्र माह कहलाता हैं। पद्म पुराण के अनुसार- कार्तिक माह भगवान श्री कृष्ण को सबसे प्रिय था। इसी माह में सबसे अधिक तीज -त्यौहार मनाये जाते हैं। भगवान शिव और माता पार्वतीजी के बड़े पुत्र कार्तिकेय का जन्म अश्वनी माह की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसीलिये इस माह को कार्तिक मास से जाना जाता हैं। कार्तिकेय के जन्म के पीछे प्राचीन शास्त्रों में एक कथा का उल्लेख हैं जोकि इस प्रकार हैं तो आयें जानतें हैं इस लेख के माध्यम से-
कार्तिक मास की महत्ता- महत्व Kaartik maas kee mahatta mahatv...
Kaartik maas kee mahatta mahatv: कथा- इस समय देवी पार्वती शैय्या से उठकर कौतूहल वश एक सरोवर के तट पर गई जो सुवर्णमय कमलों से सुशोभित था। वहां जल विहार करने के पश्चात् वे सखियों के साथ सरोवर के तट पर बैठीं और सरोवर के जल को पीने की इच्छा करने लगी इतने में ही उन्हें सूर्य के समान "तेजस्विनी छः कृत्तिकाएं" दिखाई दीं वे कमल के पत्ते में उस सरोवर का जल लेकर जब अपने घर जाने लगीं तब पार्वती देवी ने हर्ष से भरकर उनसे कमल के पत्ते में रखे जल को देखने की इच्छा व्यक्त की तब उन कृत्तिकाओं ने निवेदन किया कि हम आपको जल देंगी पर आपके गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न हो वह हमारा भी पुत्र माना जाये एवं हममें भी मातृभाव रखने वाला तथा हमारा रक्षक हो।
वह पुत्र तीनों लोकों में विख्यात होगा उनकी बातें सुनकर पार्वती जी ने कहा ऐसा ही होगा। यह उत्तर पाकर कृत्तिकाओं को हर्ष हुआ और उन्होंने कमल पत्र में स्थित थोड़ा सा जल पार्वती जी को भी दे दिया। उनके साथ पार्वती जी ने भी उस जल का पान किया। जलपान के तुरंत बाद ही रोग, शोक का नाश करने वाला एक सुन्दर और अद्भुत बालक भगवती पार्वती की दाहिनी कोख फाड़कर निकल आया उसका शरीर सूर्य की किरणों के समान प्रकाश पुंज से व्याप्त था। उसने अपने हाथ में तीक्ष्ण शक्ति, शूल और अंकुश धारण कर रखे थे। वह अग्नि के समान तेजस्वी और सुवर्ण के समान गोरे रंग का बालक दैत्यों को मारने के लिये प्रकट हुआ था इसलिये उसका नाम कुमार हुआ तीनों लोकों में "विशाल" "षष्ठमुख" "स्कंद" "षड़ानन" और "कार्तिकेय" आदि नामों से विख्यात हुये।
1. कार्तिक मास में स्नान करने का महत्व क्या हैं What is the importance of taking bath in the month of Kartik ?
Kaartik maas kee mahatta mahatv: इसलिये शास्त्रोंके अनुसार कातिक ने माह में प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान- जप- तप- दान- पुण्य- पूजा- पाठ और व्रत आदि का बड़ा महत्व बताया गया हैं। इस माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नर्मदा नदी के तट पर स्थित शुक्ल तीर्थ में स्नान करके उपवास करके शिवजी को स्नान कराकर उनके आगे घी का दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा करते हैं वे अपनी 21 पीढ़ियों के साथ शिवलोक में रहते हैं । शास्त्रों के अनुसार- कार्तिक माह में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत रखने पर उसे मोक्ष की प्राप्ति व सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती हैं। प्रातः काल स्नान करने से सूर्य व चंद्रमा की किरणें मनुष्य के शरीर व मन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। कार्तिक स्नान का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया हैं। जो व्यक्ति पूरे माह स्न्ननन नहीं कर सकता वह अंतिम पांच दिनो में स्न्नान करके उपवास रख सकता हैं जिन्हें शास्त्रों में "भीष्म पंचक" या "विष्णु पंचक" कहते हैं यह दशमीं से पूर्णिमा तक होते हैं।
2. कार्तिक मास में पड़ने वाले व्रत व त्यौहार कौन से हैं What are the fasts and festivals falling in the month of Kartik ?
Kaartik maas kee mahatta mahatv: इस माह सबसे अधिक त्यौहार पड़ते हैं इस माह में शरदपूर्णिमा, करवा चौथ, धन तेरस, रूप चतुर्दशी, हनुमान जयन्ती, दीपावली, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाई दूज, आंवला नवमी, देव उठनी, एकादशी, तुलसी विवाह, बैकुण्ठ चतुर्दशी और कार्तिक माह की पूर्णिमा पड़ते हैं । पद्म पुराण के अनुसार यह महीना धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्रदान करने वाला हैं।
3. कार्तिक मास के उपवास के क्या फायेद हैं What are the benefits of fasting in the month of Kartik ?
Kaartik maas kee mahatta mahatv: इस माह कुंवारी कन्या कार्तिक में पूरे माह स्नान करती हैं तो उन्हें मन चाहा वर, सौभाग्य, सुख समृद्धि प्राप्त होती हैं। वैवाहिक औरतों के लिये अखण्ड सौभाग्यवती का वरदान भगवान शिव से प्राप्त होता हैं यदि कोई किसी कारणवश इस माह स्नान न कर पाए तो अपने आस-पास या रिश्तेदारों के जो भी कन्या या स्त्री कार्तिक स्नान करें- उसे फल व सागाहार सामग्री देने से शुभ फल प्राप्त होता हैं। पूरे माह स्नान करके इसका अनुष्ठान अवश्य करना चाहिये तभी पूर्ण फल प्राप्त होता हैं।
वैसे कार्तिक माह में सभी तीर्थ स्नानों पर स्नान करना श्रेष्ठ माना गया हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार पुष्कर को समस्त तीर्थों का आदि माना गया हैं। जैसे भगवान विष्णु सभी देवताओं के आदि-देव हैं। जो व्यक्ति पूरे माह स्नान न कर सकें वे कार्तिक माह की पूर्णिमा को पुष्कर में स्नान करें तो सम्पूर्ण यज्ञों का फल प्राप्त करता हैं, और अंत में ब्रह्म लोक जाता हैं जैसे नदियों में गंगा सर्वश्रेष्ठ हैं , भगवान में विष्णु उसी प्रकार सभी माहों में कार्तिक माह सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं।
FAQ-
1. कार्तिक मास में क्या दान करना चाहियें ?
कार्तिक मास में अन्न और वस्त्र का दान करना अति उत्तम माना जाता हैं। अपनी श्रध्दा अनुसार गरीबों को भोजन करना भी उत्तम दान की क्षेणी में आता हैं।
2. कार्तिक मास की पूजा कैसे करते हैं ?
इस मास में सुबह-शाम तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता हैं और संपन्नता आतीं हैं। कार्तिक मास में हर रोज सुबह-शाम नदी या तालाब में दीप प्रवाहित करना चाहिए। अगर नदी-तालाब न हों तो तुलसी के साथ शालीग्राम की भी पूजा करें। पूजा बहुत ही साधारण तरीके से ही करें।
3. कार्तिक महत्तम में कितने अध्याय होते हैं ?
कार्तिक मास माहात्म्य कथा के 26 अध्याय होते हैं।
4. कार्तिक मास में हमें किन चीजों से बचना चाहियें ?
1. कुछ अनाज जैसे काले चने की दाल, मूंग की दाल, चना और मटर खाने से बचें। 2. कार्तिक मास में शरीर पर तेल लगाना वर्जित हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों को नहाने के बाद शरीर पर तेल लगाने की आदत होती हैं उन्हें इससे बचना चाहियें।
5. कार्तिक मास के नियम क्या हैं ?
संपूर्ण कार्तिक मास में 1. ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को बहुत फायदा मिलता हैं। मान्यता हैं कि भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं। 2. अगर ऐसा ना कर पाएं तो नहाते समय पानी में गंगाजल जरूर डाल लें। 3. संध्या काल में भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं।
6. कार्तिक मास का महत्व क्या हैं ?
सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया गया हैं, इसको दामोदर मास भी कहा जाता हैं। इस महीने में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता हैं। पूरे कार्तिक मास में स्नान,दान और भगवत् पूजन किया जाता हैं उसे जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने अक्षय फल देने वाला बतलाया हैं।
7. कार्तिक मास की कहानी क्या हैं ?
कार्तिक मास की कथा – एक नगर में एक ब्राह्मण और ब्राह्मणी रहते थे। वे रोजाना सात कोस दूर गंगा,यमुना स्नान करने जाते थे। इतनी दूर आने-जाने से ब्राह्मणी थक जाती थी तब ब्राह्मणी कहती थी कि हमारे एक बेटा होता तो कितना अच्छा रहता। बेटे के बहू आती तो हमे घर वापस जाने पर खाना बना हुआ मिलता और बहू घर का काम भी कर देती। आदि.
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