बौद्ध साहित्य में देवता- Bauddh Saahity Mein Devata...
आज हम हमारें इस लेख में बौद्ध साहित्य में देवता- Bauddh Saahity Mein Devata किस प्रकार स्वीकार्य हैं, के बारें में लेख के माध्यम से जानेंगे यू तो भारत की धार्मिक संस्कृति व परम्पराओं में सदा ही अलौकिक शक्तियों का विशेष महत्व रहा हैं। बौध्द धर्म में भी इन अलौकिक शक्तियों का समावेश सदा हुआ हैं जिनके अन्तर्गत "ब्राह्म, शक्र, देवता, देवपुत्र" आदि अलौकिक शक्तियों का वर्णन मिलता हैं। भगवान बुद्ध ने अपने को "देवता, भार, ब्राह्म, श्रवण ब्राह्मणों" मे अनुत्तर घोषित किया था। संयुक्त निकाय का "प्रथम सगाथवर्ग लौकिक शक्तियों" के चित्रण से परिपूर्ण हैं, जिसका संक्षिप्त सार यहाँ प्रस्तुत किया गया हैं-
बौद्ध साहित्य में देवता- Bauddh Saahity Mein Devata...
1. ब्रह्मा Brahma:-
Bauddh Saahity Mein Devata: ब्रह्मा हिन्दू धार्मिक परम्परा में सृष्टिकर्ता के रुप में प्रसिद्ध हैं। पाली साहित्य में ये सध्दर्म के सहायक रुप में वर्णित हैं। संयुक्त निकाय में छः ब्रह्माओं के नाम मिलते हैं- "सहम्पति-ब्रह्मा, बक-ब्रह्मा, सुब्रह्मा, शुध्दावास-प्रत्येक-ब्रह्मा-ब्रह्मा, तदुप्रत्येक ब्रह्मा एवं संतुकमार ब्रह्मा"।
1. बक-ब्रह्मा-सुत्त- में बहत्तर- बहत्तर ब्रह्माओं की संख्या बतलायी गयीं हैं। 2. सहम्पति-ब्रह्मा- को बौद्ध धार्मिक परम्परा में विशेष स्थान व सम्मान दिया गया हैं उपदेश देने के प्रति भगवान बुद्ध के उदासीन होने पर सहम्मति-ब्रह्मा ने ही उपदेश के लिये उन्हें प्रेरित किया। भगवान द्वारा धर्म के प्रति गौरव मानकर विहार करने की बात सोचने पर सहम्पति- ब्रह्मा ने आकर भगवान की बात का समर्थन करते हुए कहा था कि यही बुध्दों की परम्परा हैं, सहम्पति-ब्रह्मा सध्दर्म में सहायक हुए। सहम्पति-ब्रह्मा संघ के प्रति श्रध्दालु थे, वे भिक्षुओं के शान्तचित्त और एकाग्र रहने की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि "एकान्त सेवन" करना चाहियें। यदि मन न लगे तो संघ में मिलकर संयत और स्मृतिमान होकर विहार करना चाहियें। बक-ब्रह्मा के विषय में भगवान बुद्ध ने बताया कि वे ब्रह्मा लोक में शीलव्रत के कारण उत्पन्न हुए। उन्होंने 1."पहले प्यासे को पानी पिलाया था" 2. "गंगा में बहते हुए को बचाया था" 3. "नाव को सर्पराज से मुक्त कराया था", इसी पुन्य के कारण वे ब्रह्मा के रुप में उत्पन्न हुए।
2. देवता Devata:-
संयुक्त निकाय के प्रथम संयुक्त देवता-संयुक्त में देवताओं की भगवान बुद्ध के साथ वार्ता बतलायी गयीं हैं। देवताओं के अन्तर्गत "सतुल्लपकायिक" "शुध्दावास" "घटीकार" "त्रायस्त्रिंश" एवं "उञ्झान सज्जी" नामक देवताओं के नाम मिलते हैं।
3. देवपुत्र Devputr:-
देवपुत्र की विशेषता देवताओं के समान ही हैं उनमें से कुछ कभी-कभी अपनी ज्योति को चमकाते हुए जैतवन में आते हैं और उनका भगवान बुद्ध से वार्तालाप होत था। कुछ देवपुत्रों के नाम इस प्रकार हैं- "काश्यप" "माघ" "मागध" "दामलि" "कामद" "सुदत्त" "सुब्रह्मा" "ककुध" तथा "अनाथपिण्ड" आदि।
4. शक्र Shakr:-
Bauddh Saahity Mein Devata: बौद साहित्य में शक्र के सात नामों का उल्लेख मिलता हैं- "मधवा, पुरन्दिद, शक्र, वासव, सहस्त्राक्ष, सुजम्पति एवं देवेन्द्र"। देवेन्द्र शक्र के सात व्रत बतालाये गये हैं- 1. माता-पिता की परिचर्या 2. ज्येष्ठों का सम्मान 3. मधुर-भाषण 4. परनिन्दा-परिवर्जन 5. उदारतापूर्वक दान-कर्म 6. सत्य-सम्भाषण और 7. क्रोध का परित्याग जिनके कारण वे इस पद पर आरूढ़ हुए थे। शक्र को "क्षमाशील, कोध्र रहित, शान्ति का प्रतीक मधुर भाषी, निष्कपट, धर्म परायण, उत्साही एवं बलशाली कहा गया हैं"।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- बौद्ध साहित्य में देवता- Bauddh saahity Mein Devata के माध्यम से जाना कि बौद्ध धर्म में ब्रहमा कैसे सृष्टिकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं।
Nice post
जवाब देंहटाएं