शरदपूर्णिमा का महत्व Importance of sharadpurnima-
आज हम हमारें लेख- शरदपूर्णिमा का महत्व Importance of sharapurnima के मध्यम से शरदपूर्णिमा के महत्व के बारें में आप सबको बताने जा रहें इस लेख के माध्यम से हम ये भी जानेंगे कि कोजागर पूर्णिमा और शरदपूर्णिमा में क्या समानताएं हैं। तो आयें जानते हैं शरदपूर्णिमा के विषय में जैसा कि पुराणों में शरदपूर्णिमा का बहुत महत्व व काफी बड़ी महिमा का वर्णन मिलता हैं।
महालक्ष्मी माँ के जन्म से लेकर महारास तक श्रीकृष्ण को लेकर सभी इस पुर्णिमा से सम्बंध रखते हैं। आशिवन माह के शुक्ल माह की पूर्णिमा को शरदपूर्णिमा, रास पूर्णिमा व कोजागर पूर्णिमा से भी जाना जाता हैं, कुछ पुराणों में इस पूर्णिमा को "कुमार पूर्णिमा" भी कहा जाता हैं। इन सब के पीछे कोई न कोई पौराणिकता जुड़ी हुई हैं।
शरदपूर्णिमा का महत्व Importance of sharadpurnima-
Importance of sharadpurnima: रास पूर्णिमा - भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं के समान ही चन्द्रमा की 16 कलायें हैं ( 1. अमृत, 2. भनदा, 3. पुष्प, 4. पुष्टि, 5. ध्रति, 6. शाशनी, 7. चंद्रिका, 8. कांति, 9. ज्योत्सना, 10. श्रीं, 11. प्रीति, 12. अंगदा, 13. पूर्ण, 14.पूर्णामृत, 15. सत्य, 16. स्वरुपवस्थित ) इस दिन "अमृतत्व व आरोग्य" की प्राप्ति होती हैं।
Importance of sharadpurnima: महारस- श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब राधा अवतरित हुई श्रीकृष्ण व राधा जी की रासलीला का आरंभ भी शरदपूर्णिमा के दिन हुआ व गोपियों संग महारस भी इस पूर्णिमा पर रचाया था इसलिए इसे "रासपूर्णिमा" भी कहा जाता हैं इस दिन सभी राधा-कृष्ण मंदिरों में सजावट की जाती हैं और राधा- कृष्ण का क्षृंगार किया जाता हैं।
1. कोजागर पूर्णिमा:-
कोजागर का अर्थ हैं- कौन जाग रहा हैं- माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, नारदपुराण के अनुसार माँ लक्ष्मी मध्यरात्रि में अपने कर-कमलों पर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा हैं ? जो व्यक्ति जाग रहा होता हैं, माँ लक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं व जो नहीं जाग रहा होता, वहाँ माँ लक्ष्मी नहीं ठहरती। इस रात्रि को माँ लक्ष्मी के जागरण व पूजा करनी चाहियें व प्रातः काल पूजा कर व्रत करना चाहियें। माँ लक्ष्मी जी का जागरण व रात्रि में कौन जाग रहा हैं, इसलिये इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा से भी जाना जाता हैं।
2. शरद पूर्णिमा:-
शरद ऋतु में मौसम एक दम साफ रहता हैं। आकाश में न तो बादल होते हैं और न ही धूल-गुब्बार इस दिन चन्द्रकिरणों का शरीर पर पड़ना काफी लाभकारी माना जाता हैं। पौराणिक कथा के अनुसार- रावण भी इस दिन चन्द्र किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। ज्योतिष में चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता हैं। इस दिन चन्द्रकिरणों में अमृतत्व व आरोग्य की प्राप्ति सुलभ होती हैं, इससे मन व शरीर आरोग्य होता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार- इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता हैं, इन किरणों से शरीर के अंदर रक्त व न्यूराँन सेल्स क्रियाशाली हो जाते हैं। आयुर्वेद के ग्रंथों में भी चंद्रमा की चांदनी का बड़ा महत्व बताया गया हैं, इस दिन खीर बना कर रात भर चन्द्र किरणों में रखकर प्रातःकाल माँ लक्ष्मी व भगवान श्रीकृष्ण के भोग लगा कर सेवन करना चाहियें । रात्रि की चांदनी में सूई में धागा डालना चाहिये, इससे आँखों की रोशनी तेज होती हैं। कहा जाता हैं कि शरद पूर्णिमा को रात्रि में काली मिर्च रात भर चांदनी में रखी रहे और उसे सालभर सेवन करने से आँखें तेज होती है व शरीर आरोग्य होता हैं। इस दिन व्रत करना चाहियें व माता लक्ष्मी जी व विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहियें। यदि इस दिन कोई भी अनुष्ठान करें उसका अनुष्ठान सफल होता हैं।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION- आज हमने हमारें लेख- शरदपूर्णिमा का महत्व Importance of sharapurnima के माध्यम से शरदपूर्णिमा के महत्व के बारें में आप सबको बताया।
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