व्रत का जीवन में महत्व Importance of fasting in life-

आज हम हमारें इस लेख के माध्यम से जानेंगे की व्रत का जीवन में महत्व क्या हैं ? और व्रत कितने प्रकार के होतें हैं और किस व्रत का क्या फायदा होता हैं तो आयें तो जानतें- हमारें इस लेख में व्रत का जीवन में महत्व Importance of fasting in life किस प्रकार का होता हैं। 

Importance of fasting in life

व्रत का जीवन में महत्व Importance of fasting in life-

Importance of fasting in life: व्रत, पर्व और उत्सव व्यक्ति के लौकिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के सशस्त साधन हैं। इनसे हमें जीवन जीने की प्रेरणा मिलती हैं। इस सम्पूर्ण सृष्टि का उभ्दव भाव तथा आनंद से हुआ हैं और यह सृष्टि उसी आनंद में स्थित भी हैं। दर्शन शास्त्रों में स्थित पूवों के मूल में इसका समावेश मिलता हैं। भय,शोक, दुख, मोह और अज्ञानता की निवृत्ति और आनंद की प्राप्ति ही व्रत, पर्व उत्सावों का लक्ष्य हैं। 

शायद यही कारण हैं कि- व्रत जीव के अन्तर्मुख होनें की प्रेरणा देते हैं। व्रतों से पिण्डरुपी शरीर की अन्त-करण शुध्दि के साथ-साथ बाहरी वातावरण में भी पवित्रता आती हैं और व्यक्ति की संकल्पशक्ति में भी दृढ़ता आती हैं। जिससे मानसिक शांति और ईश्वर की भक्ति प्राप्त होती हैं। शास्त्रों में व्रतों के महत्व को एक अलग ही स्थान दिया गया हैं। व्रतों के सन्दर्भ में तीन तरह के राजों का उल्लेख शास्त्रों में मिलता हैं।

1. तीन तरह के राज Three types of secrets:-

1. मानसिक व्रत:- ब्रह्मचर का पालन करते हुये सत्य निष्ठा से किया गया व्रत मानसिक व्रत की क्षेणी में आता हैं। 

2. वाचिक व्रत:- किसी की चुगली न करना, असत्य न बोलना, शास्त्रों का पालन करते हुये कीर्तन आदि करना वाचिक व्रत की क्षेणी में आता हैं।

3. कायिक व्रत:- व्रत के दिन एक बार आहार करना कायिक व्रत की क्षेणी में आता हैं। मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र या विषयों से संबंधित भिन्न-भिन्न व्रतों का वर्णन शास्त्रों में निर्दिष्ट हैं। सभी व्रतों का अपना महत्व होता हैं।

 2. व्रत के प्रकार Types of fasting:-

1. धन्य व्रत:- यह व्रत मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किया जाता हैं। यह व्रत करने वाले को दिनभर भूखा रहकर रात्रि की चार घड़ी बीतने के बाद भोजन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के अग्नि स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती हैं तथा "ऊँ वैश्वानराय नमः ऊँ आग्नेय नमः ऊँ ज्वलनाय नमः" आदि मंत्रों द्वारा पाठ किया जाता हैं। व्रत करने वाला सामथ्र्यानुसार वस्त्र, धान्य तथा भगवान की स्वर्ण प्रतिमा दान करता हैं तो निम्न वर्ग में उत्पन्न व्यक्ति भी धन सम्पत्ति से परिपूर्ण होकर सम्मान प्राप्त करता हैं।

2. सौभाग्य व्रत:- फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत किया जाना हैं। इस दिन अर्द्धनारीश्वर की पूजा की जाती हैं। दिनभर निराहार रहकर यह व्रत किया जाता हैं। "ऊँ सुभगाय नमः ऊँ देवदेवाय नमः" आदि मंत्रों का पाठ करना चाहिये। स्त्रियाँ यदि इस व्रत को नियम पूर्वक करती हैं तो पति की आयु वृद्धि होती हैं तथा समस्त सुख-सुविधा की प्राप्ति होती हैं।

3.शांति व्रत:- जब प्रतिदिन घर में किसी ना किसी बात को लेकर कलह होती रहती हैं तो उसके निराकरण के लिये शास्त्रों में शांति व्रत का विधान दिया गया है। यह व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाता हैं, साथ ही चैत्र मास तक ऊष्ण भोजन का त्याग भी किया जाता हैं। इसमें "ऊँ अनन्ताय नमः ऊँ वासुकये नमः" आदि मंत्रों से विष्णु भगवान के शेष शैय्या रुप की पूजा करनी चाहिये।

4. आरोग्य व्रत:- यह व्रत माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता हैं इस व्रत को करने पर व्यक्ति शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता हैं। यदि रोग गम्भीर व  दीर्घकालीन हो तो तीन वर्ष तक इस व्रत के करने पर रोग से मुक्ति प्राप्त होती हैं।

5. पुत्रेष्टि व्रत:- संतान न प्राप्त होना पूर्वजन्म में किये गये कर्मो का फल होता हैं व्यक्ति पितृ ऋण से तब तक उऋण नहीं होता जब तक संतान की प्राप्ति ना हो, जिन दाम्पति्यों को संतान सुख की प्राप्ति न हो रही हो उन्हें यह व्रत करने पर संतान प्राप्ति होती हैं, इसमें भगवान कृष्ण के यशोदा मां की गोद में क्रीड़ा करते हुये रुप का ध्यान करते हुये पूजा करनी चाहिये। यह व्रत भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता हैं।

6. शौर्य व्रत:- आज के इस आधुनिक युग में प्रत्येक राष्ट्र के साथ-साथ व्यक्ति को भी शक्ति की आवश्यकता होती हैं। यह व्रत व्यक्ति को शक्ति प्रदान करता हैं। इस व्रत को अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को किया जाता हैं। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा की जाती हैं। व्रत से पूर्व अष्टमी तिथि को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए तथा व्रत के दिन कुवांरी कन्याओं का पूजन कर सामर्थ्यनुसार स्वर्ण या द्रव्य का दान देना चाहिये।

Importance of fasting in life

FAQ:-

1. व्रत का धार्मिक महत्व क्या हैं ?

शास्त्रों में उपवास रखने का विशेष महत्व होता हैं, मान्यता- हैं कि व्रत रखने पर सभी तरह के पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। व्रत रखने से व्यक्ति का मन, विचार और आत्मा शुद्ध होती हैं, हिंदू सनातन धर्म में व्रत रखने से भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा, भाव, भक्ति और समर्पण का भाव आता हैं

2. व्रत रखना जरूरी हैं क्या ?

हिंदू सनातन धर्म में व्रत रखने के कई नियम हैं, और इसका बहुत ही महत्व हैं। व्रत रखना एक पवित्र कर्म हैं और यदि इसे नियम-पूर्वक नहीं किया जाता हैं, तो! ना तो इसका कोई महत्व हैं और न ही लाभ अपितु इससे नुकसान भी हो सकते हैं। हालांकि! आप व्रत बिल्कुल भी नहीं रखते हैं तो भी आपको इस कर्म का भुगतान करना ही होगा।  

3. उपवास का उद्देश्य क्या हैं ?

उपवास का अंतिम लक्ष्य शरीर में कोशिकाओं, ऊर्जा, प्रतिरक्षा, रक्त और अन्य महत्वपूर्ण जरूरतों का पुनर्जनन हैं। इसके अलावा जब पेट खाली होता हैं और उसमें कुछ आवश्यक अम्ल प्रवाहित हो रहे होते हैं, उस समय शरीर और मन अच्छे संबंध और सामंजस्य के कारण अपने सर्वोत्तम स्तर पर प्रदर्शन करते हैं। ये उपवास का उद्देश्य होता हैं।

4. व्रत रहने से क्या लाभ हैं ?

व्रत करने का सबसे पहला फायदा ये हैं कि इससे बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद मिलती हैं, शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ साफ हो जाते हैं। व्रत रखने से वजन कम होता हैं, उपवास के दौरान फैट बर्निंग प्रोसेस तेज होकर चर्बी को कम करता हैं, ये व्रत करने के कुछ लाभ हैं

5. व्रत रखने का मुख्य कारण क्या हैं ?

व्रत रखने का मुख्य कारण प्रलोभन का विरोध, आध्यात्मिक शक्ति का विकास, आत्मा-निपुणता विकसित करना, हमारी आत्मा को हमारे शरीर का स्वामी बनाना, विनम्रता का बोध कराना हैं

नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

CONCLUSION- आज हमनें हमारे लेख- व्रत का जीवन में महत्व Importance of fasting in life के माध्यम से व्रत के प्रकार और व्रत के फायदों के बारें में जाना।

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